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________________ SM Mahavam A kende Acharya Sh Kailasager Gamandi स्तवन कल्याणकनु ८७॥ च्यवन भूतल भयहरु, नृपनाभि नंदन जन्म चारित्र दिवस आठम सुखकरूं; चैत्र शुदि तिथि त्रिज केवलनाण कुंथु अलंकर्या, अजित संभव जिन अनंतज पंचमी दिन शिववर्या ॥ २१ ॥ ढालपूर्वली-नवमि सीद्धारे सुमति इग्यारसे केवली, तेरस दिनरे वीर जन्म पुहत्ती रली; पुनम दिनेरे जिन छठां नाणीथयां, चैत्रवदिरे पडवे कुंथु मुक्तिगया ॥ २२ ॥ त्रूटक-गया शीतल मुक्ति बीजे कुंथुव्रत तिथि पंचमी, जिनराय शीतल च्यवन छठे दशमी सिद्धा जिन नमी; तेरसे जन्म अनंत जिननो जंतु कीधां निर्मलां, चउदशे देव अनंत दिक्षा नाण कुंथु जण्या भला ॥ २३ ॥ __ढाल३-त्रीजी ॥ राग केदारो ॥ गोडी ॥ पारधियारे मुज तें वनवाटि देखाडि ॥ ए देशी॥ आदरीयारे जिन कल्याण दिन सार ॥ ए आंकणी ॥ जेहथी लहीए भवनो पार, भजो भावे वारोवार; करो तप जप अतिही उदार, प्रभु पूजो लेइ घनसार ॥ आ० ॥ २४ ॥ वैशाख शुदि चोथे | चव्या रे, अभिनंदन जिन हंस; सातमे धर्म च्यवी थयारे, त्रिभुवन जन अवतंस ॥ आ०॥२५॥ आठमे शीव अभिनंदननुरे, सुमति जण्या जग धीर; नवमि सुमति संयम धर्योरे, दशमे केवल For Pavle And Personal use only
SR No.020395
Book TitleJain Prachin Purvacharyo Virachit Stavan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Rupchand Zaveri
PublisherMotichand Rupchand Zaveri
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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