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SM Mahavam
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शांतिना थना.
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मनईश ॥१॥ मंडपरायें मंडावीयो, विचित्रित सोवन वान; चिहुं दिश तोरण बारणे, जडित रयण स
यणपंच क० मान ॥२॥ ढोल नगारां गडगडे, सरणाइ भुंगल सार; विवाह महोत्सव करे घj, हरख तणो नहिं पार ॥३॥
ढाल-राग धन्याश्री ॥ भरत नृप भाव स्युं ए ॥ ए देशी ॥ पणवीस सहस्स वरष वोल्या ए, कुमरपणे जगदीश; महोच्छव मंडावीयो ए। मातपिता देखी हरखियां ए, हरखे सुरनर इशा महोच्छव० ॥१॥ आंकणी ॥ हथिणा उर पुरमें हुआ ए, अचीरानंद मल्हार महो० जोवन वय विभु| पामीया ए, नीगम्यो बालाचार महो॥२॥ वात करे विवाह तणी ए, जुए राजकुमारी महो ए सरिखि कन्या जो मिले ए, तोहोए मन श्री कारी महो० ॥ ३॥ महा मोटे आडंबरें ए, राजा हर्ष अपार महो०; मंडप सखर रचावियाए, अधीक सोहे सफार महो० ॥ ४॥
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