________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
शां. १४
www.kobatirth.org.
उत्तमविजय गुणाकरो; तस शीष्य नामे सुगुण कामे, पद्मविजये आदर्यो; शुभ एह आदर, भवि | सुहागर; नाम षटू पर्वी धर्यो ॥ ८ ॥
"इतिश्री षट् पर्वी अधिकार गर्जित श्रीवीर जिन स्तवनम् सम्पूर्णम्” "अथ श्री दशविध पच्चख्खाण स्तवनम् ”
दुहा- सिद्धारथ नंदन नमुं, महावीर भगवंत; त्रिगडे बेठां जिनवरुं, परषदा बार मिलंत ॥ १ ॥ गणधर गौतम तिण समें, पूछे श्रीजिनराय; दश पञ्चख्खाण किसां कह्यां, कीयां कवण फल थाय ॥ २ ॥
ढाल १ ली ॥ सीमंधर करजो मया ॥ ए देशी ॥ श्री जिनवर इम उपदिशे, सांभलि गौतम स्वामिरे; दश पञ्चख्खाण कीयां थकां, लहीयें अविचल ठामरे ॥ श्री जिनवर ॥ ए आंकणी ॥ ३ ॥ नैवकारशी, बीजी पोरिसी, साढ पोरिसी, पुरिमढरे; ऐकासण निवी केही, एकलठाण दिवर्द्धरे ॥ श्री जिनवर ॥ ४ ॥ दाति आंबिल उपवासहि, एहज दश पञ्चख्खाणारे; एहनां फल सुण गौतमा, जूजूआ करूंअ वखाणरे || श्री जिनवर ॥ ५ ॥ रत्न प्रभा शर्करा प्रभा, वालूक श्रीजीय जांणरे;
For Pitvate And Personal Use Only
Acharya Shn Kailassagarsuri Gyanmandir