________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
शां. १२
www.kobahrth.org
Acharya Shn Kailassagarsuri Gyanmandir
66
በ अथ श्री ज्ञान पञ्चमी स्तवनम् ॥
दुहा— सारद मात पसाउले, निज गुरु चरण नमिय; पंचमि तप विधिशुं भणुं, हयडे हरख धरेवि ॥ १ ॥ राजुल वर श्री नेमजी, करुणा रस भंडार; आणंद भविअण आपता, महिअल करे विहार ॥ २ ॥ द्वारावती नगरी भली, जिहां केशव नरदेव; अनुक्रमे तिहां जिन आवीयां, सुरनर करतां सेव ॥ ३ ॥ वासुदेव वसुधा पति, वंदन आवे ताम; बारह पर्षदा सांभले, देशना अति अभिराम ॥ ४ ॥ वरदत्त गणधर हरखश्युं, पूछे तव कर जोडि; पंचमि तप महिमा घणो, कहो प्रभु मुजछे कोड ॥ ५ ॥
ढाल - ॥ १ ॥ रांग वेलीनो ॥ कहो प्रभु मुजछे कोड बहु तेरो, ए पंचमी तप नाण करवानी; विधि सघली कुणी परे, कहो जिन तिहुअण भाण ॥ ६ ॥ वाणी अमिअ समाणी जिनकी, नीकीपरे एजाणी; बारह पर्षदा सदु सांभलतां, पंचमि नेमी वखाणी ॥ ७ ॥ अजुआली पंचमि तप मांडो, छंडो दुरित मिथ्यात्व; चोथ छडे एकासणुं कीजे, लीजे प्रासुक भात ॥ ८ ॥ ए तपनुं कीजे मास
For Pitvale And Personal Use Only