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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ | जैन न्याय-शास्त्र : एक परिशीलन नयों का लक्षण प्रमाण-नय-तत्वालोक के सप्तम परिच्छेद में नयों के लक्षण नयाभासों के लक्षणों का प्रतिपादन किया गया है। नय का सामान्य लक्षण आचार्य वादिदेव सूरि ने इस प्रकार किया है श्रत ज्ञान द्वारा परिज्ञात पदार्थ का एक धर्म, अन्य धर्मों को गौण करके, जिस अभिप्राय से जाना जाता है, वक्ता का वह अभिप्राय, नय होता है। श्रुत ज्ञान रूप प्रमाण अनन्तधर्मात्मक वस्तु को ग्रहण करता है । तद्गत अनन्त धर्मों में से किसी एक धर्म को जानने वाला ज्ञान, नय कहा जाता है। नय जब वस्तु के एक धर्म को जानता है, तब शेष रहे हुए धर्म भी उस वस्तु में रहते हैं, किन्तु उनको गौण कर दिया जाता है। अतः वस्तु के किसी एक धर्म को मुख्य करके उसे ग्रहण करने वाला, ज्ञान ही वस्तुतः नय कहा गया है । नयाभासों का लक्षण अपने अभिप्रत अंश के अतिरिक्त अन्य अंशों का अपलाप करने वाला ज्ञान, नयाभास कहा गया है । नयाभास का यह सामान्य लक्षण है। ___ अनन्त धर्मात्मक वस्तु के धर्मों में से किसी एक धर्म को ग्रहण करके शेष समस्त धर्मों का अभाव मानने वाला ज्ञान ही नयाभास है। वस्तु के एक अंश को जो ग्रहण करता है, और अन्य अंशों का अपलाप अथवा विरोध करता है, दूसरों की उपेक्षा करता है, वह नयाभास कहा जाता है। नय के भेद-प्रभेद आचार्य वादिदेव सरि ने नय के दो भेद माने हैं--व्यास नय और समास नय । व्यास नय के अनेक भेद हैं । समास नय के दो भेद हैं- द्रव्याथिक नय और पर्यायाथिक नय । व्यास का अर्थ है---विस्तार । सभास का अर्थ है ----संक्षेप । व्यास की अपेक्षा नय के अनन्त भेद हो सकते हैं। क्योंकि जैन दर्शन के अनुसार प्रत्येक वस्तु में अनन्त धर्म होते हैं। जैसे पुद्गल एक वस्तु है, उसमें वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्ण आदि अनन्त धर्म हैं। समास की अपेक्षा न य के भेद होते हैं--द्रव्याथिक और पर्यायाथिक । जो ज्ञान द्रव्य को मुख्य रूप में ग्रहण करता है, वह द्रव्य नय होता है । जो ज्ञान पर्याय को मुख्यरूप में ग्रहण करता है। वह पर्याय नय होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020394
Book TitleJain Nyayashastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni
PublisherJain Divakar Prakashan
Publication Year1990
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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