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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४ नागरीप्रचारिणी पत्रिका वीर-ताब्द ३६२ वक्रराय का स्वर्गवास । " " ३६२ विदहराय का राज्याधिकार । " " ३६४ नभावाहन का स्वर्गगमन । " " ३६४ गर्दभिल्ल का राज्याधिकार । " " ३६५ विदहराय का परलोकवास । " " ४१० विक्रमाके का उज्जयिनी में राज्या भिषेक । विक्रम-गतान्द १५३ आर्य स्कंदिल की प्रमुखता में जैन श्रमणों की मथुरा में सभा हुई। " " २०० गंधहस्ती ने आचारांग का विवरण रचा। " " २०२ स्कंदिलाचार्य का मथुरा में स्वर्ग: वाल । उपसंहार हिमवंत थेरावली की खास ज्ञातव्य बातों का दिग्दर्शन करा दिया। इनमें कई बाते ऐसी हैं जो अधिक खेाज और विवेचन की अपेक्षा रखती हैं। यदि मूल थेरावली उप. लब्ध हो गई और अपेक्षित समय मिला तो इसके संबंध में स्वतंत्र निबंध लिखेंगे-इस विचार के साथ यह लेख यहीं पूरा किया जाता है। १ इस घटनावली में जिस जिस घटना का समय इस चिह्न से चिह्नित है उसका पट्टावली, थेरावली आदि अन्य ग्रंथों से भी समर्थन होता है, पर जिस घटनाकाल के आगे उक्त चिह्न नहीं है उसका सिर्फ इसी थेरावली में उल्लेख है-ऐसा समझना चाहिए। For Private And Personal Use Only
SR No.020391
Book TitleJain Kalganana Vishayak Tisri Prachin Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherKalyanvijay
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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