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जैन काल-गणना
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राजा पुण्यरथ महावीर निर्वाण से २८० व के बाद अपने पुत्र वृद्धरथ' को राज्य देकर परलोकवासी हुआ ।
बौद्ध धर्म के अनुयायी राजा वृद्धरथ को मारकर उसका सेनापति पुष्यमित्र महावीर निर्वाण से ३०४ वर्ष के बाद पाटलिपुत्र के राज्यासन पर बैठा । "
राजा खारवेल और उसका वंश
पाटलिपुत्रीय मौर्य राज्य शाखा को पुष्यमित्र तक पहुँचाने के बाद थेरावलीकार ने कलिंग देश के राजवंश का वर्णन दिया है। हाथीगुंफा के लेख से कलिंग चक्रवर्ती खारवेल का तो थोड़ा बहुत परिचय विद्वानों को अवश्य है, पर उसके वंश और उसकी संतति के विषय में अभी तक कुछ भी प्रामाणिक निर्णय नहीं हुआ था। हाथीगुंफा के लेख के " चेतवसवधनस" इस उल्लेख से कोई कोई विद्वान् खारवेल को "चैत्रवंशीय" समझते थे, तब कोई उसे " चे दिवंश" का राजा कहते थे । हमारे प्रस्तुत थेरावलीकार ने इस विषय को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है। येरावली के लेखानुसार खारवेल न तो चैत्रदश्य था और न चेदिवंश्यः वह तो "चेटवंश्य " था; क्योंकि वह वैशाली के प्रसिद्ध राजा चेटक के पुत्र कलिंगराज शोभनराय की वंश परंपरा में जन्मा था ।
अजातशत्रु के साथ की लड़ाई में चेटक के मरने पर उस का पुत्र शोभनराय वहाँ से भागकर किस प्रकार
"हियका कुभा दषलयेन देवानं प्रियेनानंतलियं श्रभिषितेना [ श्राजीवकेहि ] भदंतेहि वाष निषिदियाये निषिवे" ।
( प्रियदर्शि प्रशस्तयः, टिप्पण विभाग, पृष्ठ ३८ ) ( १ ) पुराणों में इसका नाम "बृहद्रथ" मिलता है ।
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