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रचयिता, विद्वद्वर्य पंडित मुनिश्री नन्दलालजी महाराज
सुयोग्य शिष्य धैर्यवान शास्त्रज्ञ मुनिश्री
खूबचन्दजी महाराज. जैन ज्ञान गजलगुच्छा
प्रथम भाग.
गरसूरि मंदिर धीनगर
प्रबोधक, प्रियव्याख्यानी मुनिश्री सुखलालजी महाराज.
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प्रकाशक, सिंगोली निवासी स्वर्गीय शेठ, धनराजजी तत्पुत्र फूलचन्द पीछोलीया.
प्रथमावृत्ति अमूल्यम् ( वीर सं.२४५१॥ १००० प्रति. नित्यपंठन. वि. सं. १९८१
नोट:-स्वर्गीय पिताजी के स्मार्थ भेंट.
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