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जिनगुणहीरपुष्पमाला माता मोरादेवी कुंखे, लिया है जन्म प्रभुजी ने। इन्द्रादि सुर करें ओच्छव, प्रतापी हो तो ऐसे हो। १। धर्म युगलिक हडा करके, बताई रीत जग जनको । चलाइ राजनिति को, राजेश्वर हो तो ऐसे हो । २ । राज लीला सभी छोडी, कुटुंब का प्रेम सब तोडी। संयमसे चित को जोडी, योगीश्वर हो तो ऐसे हो।३। मास बारे करी तपस्या, पाया है ज्ञान अति भारी। तारे है नर अरु नारी, जिनेश्वर हो तो ऐसे हो । ४ । आठों ही करमको जारी, परम सुख मोक्ष अधिकारी। वन्दे अमृत श्री जिनवर को, उपकारी हो तो ऐसे हो।५।
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(२४) (गजल कव्वाली.) ॥ मेरे मौला बुला लो मदीने मुझे ॥ मेरे निनजी शेजे बुलालो मुजे आदि जिणंदा दरश दीखालो मुजे ॥ टेर ॥ पुनीत परमानंद श्री जीणंद प्रभुजी आप हो, भवीक जन कटे भक्ति से जन्मो जन्मको पाप है, अबतो मायाके फन्दे से छुडालो मुजे ॥ मेरे० ॥१॥
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