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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुष्पमाला अहो ब्रह्म ज्ञान धारी, शिव मार्गके विहारी; विपदा हरो हमारी, र वीर नाम वाले.। पैदा० ४ दे करके दान जनको, करके निरोध मनका; वपसे सुषाके तनको, शिव धर्म पाने वाले. । पैदा० ५ प्रभु आपके तिलकको, है आप नाम शरणा; संसार पार करणा, करके जगाने वाले। पैदा० ६ (१८) ( आंख विना अंधारू रे-ए राग ) भवजल पार उतारोरे, दयालु देवा भवजल पार उतारो. टे काईके मन वासुदेवा, कोइ करे शिवनी सेवा; मारे मन तुम बिन अवर न प्यारो प्यारो रे. दयालु० १ कोइ मन ब्रह्मा भावे, कोइ राम नाम गावे काइ वली एथी न्यारो न्यारो रे. दयालु०२ मारे मन एथी न्यारी, शरण तुमारी धारी; शिव सुख आपो, कापो भव दुःख भारा रे. दयालु० ३ आतम लक्ष्मी स्वामी, वल्लभ होवे नामी; ललित शिशु प्रभु तिलकनी अरज सीकारो रे. दयालु० ४ For Private and Personal Use Only
SR No.020387
Book TitleJain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH P Porwal
PublisherJain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay
Publication Year1928
Total Pages49
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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