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जिनगुणहीरपुष्पमाला विशाखा नक्षत्र मे, पाये पद निर्वाण; ____ मास खमणके पारणे, साधु तेतीस जाण. भवि को मोक्ष नगरीका, सरल रस्ता बताया है ।। नाम०६
मार्थ प्रभु के नाम से सर्व उपाथि जायः
दरिशन से भव भय मिटे पूजन पाप पलाय. सिलकने आपका दर्शन गुरु वल्लभने पाया है ।। नाम० ७
(१३) ॥ भेरे मौला बुलाले मदीने मुझे ॥ ए राग ॥ प्यारे प्रभुका ध्यान लगातो सही, .
इन पापों को दूर भगातो सही ।। टेर ॥ सो रहा किस नींद मे जिसका न मुझको ज्ञान है; आया था यहां किस लिये क्या कर रहा नादान है. एसी नींद को वेग उडातो सही ॥ प्यारे० १॥ चार दिनकी चांदनी है फिर अंधेरी आयगी साथ कुछ चलता नही दौलत पडी रह जायगी. ऐसी ममता को दूर हटा तो सही ॥ प्यारे० २ ।। मतलब के साथी है सभी नही साथ तेरे जायंगे; जब मोत तेरी आ जायगी, जंगल में घर कर आयंगे, जिन धर्म से प्रेम बढा तो सही ॥ प्यारे० ३ ॥
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