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(ए) आनड दाम मूके एक लाख लोक घणां ते हांसी करे, हेम कहे एटले नवि सरे ॥५॥ मूक्या मोक ला नवलख दाम, अधिके करशुं पुण्यनुं काम ॥ पां चदाम हुँता तस गांउ, अनील बालीने कंठ ॥६॥ पांच दाम थापी ते लीध, तेहना मणिया जाजा कीध ॥ लाखें मणियो वेचे एक, एम करतां धन हर्बु अनेक ॥७॥ अनुक्रमें कोटिध्वज थाय, श्रावी सुत स्त्री लागां पाय, नगरमांहि परगयो पडो,मुनि वरने दिये घृतनो घडो ॥ ॥ सर्वगाथा ॥ ७६४ ॥
॥दोहा॥ साहसियां लबी मिले, नहु कायर पुरुषांह ॥ काने कुंमल रयणमय, काजल लहे नयणाह ॥१॥ सतिया सत्य न डोडियें, सत्य बोडे पत जाय ॥ सतकी बांधी लबमी, बहोत मिलेगी आय ॥२॥ जमरा नाखर दाढला, लांबी चढीने ठेल ॥ काले के तकी फूलशे, वली थाशे रंगरेल ॥३॥सणा७६॥
- ॥ ढाल ॥ चोपाईनी देशी ॥ ॥ रंगें सामिवत्सल करे, जिनवरनी पूजा श्राद रे ॥ शत्रुकार मंगावे सोय, संघ नक्ति वरसे करे दोय ॥१॥ पुस्तक देरांने उछरे, वरष चोराशी आउ
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