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(२३) मरे तुमारो हो बापो,लेश खेतर जाजो आपो ॥ए॥ ए मुफ करशे हो घायो,तुमो जालजो एहने धायो॥ लेजो पाडं हो वयरो, मनमां न आणशो कांश म हेरो ॥ १० ॥ पुत्र दीधो हो बोलो, पुष्ट पापी मुर्ड निटोलो ॥ नवि त्यांहे रूवे हो कोयो, मूक्यो खेतर मां जश् सोयो ॥११॥ एक थांने हो अटकाव्यो, श्र जीरण कणबी तिहां श्राव्यो ॥ दीगे पटेल हो ज्यारें, देखी वैर सांजलुं त्यारें ॥ १५ ॥ आधु पाळ हो जोश, घाव करे न देखे कोई ॥ पड्यो नूमि हो मोसो, धाया पुत्र चारे धरी घोसो ॥ १३ ॥ काली बांध्यो हो बंधे, लेई चाल्यो राउल संधे ॥ एणे मास्यो हो तातो, तव बोल्यो वलतो नाथो ॥१४॥ श्रा न्यो तुमारे हो साथें, मारतां न वढे को तुम साथें ॥ काली निकल्या हो चारे, तात वचनें तेहने मारे ॥१५॥ एहवो ते पुष्ट हो निरखो, पटेल जीरण कणबी सरखो ॥धर्मकथा एहने नवि कहिये, शषन कहे ए साचूं लहियें ॥ १६ ॥ सर्व गाथा ॥१९॥
॥ चोपाईनी देशी ॥ लहियें मूढ नवि कहियें कथाय,विप्र एक काशीयें जाय ॥ घणो काल तिहां नाख्यो सहि, घर आव्यो
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