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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( 22 ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ढाल ॥ महीडं वलोवे हो गोपी ॥ ए देशी ॥ ॥ राग गोडी ॥ सुरसुंदरी की चाल ॥ ॥ मति निर्मल हो थाय, सुणो दुष्ट तणी कथाय ॥ क एबी जीरण हो जे हो, करे जली पटेली तेहो॥ १ ॥ तेह ने अजीरण हो ठेली, ते उपर करेज पटेली ॥ कालें जीरण हो जाएं, श्राव्यं दैव तणुं तस एं ॥ २॥ नाख्यो नू मियें हो रूप, सुत पूढे बेसाहामुं जुइ ॥ कोण दुःख तुमने हो तातो, ते नांखोजी श्रमने वातो ॥ ३ ॥ तुला तुमारी हो कीजें, कहोतो दान विप्रने दीजें ॥ दीजें गवरी हो दुःख हरणी, उतारे नदी वैतरणी ॥ ४ ॥ पुं शय्या हो तलाई, पोढी सरगें सुख भर जाइ ॥ तव ते बोल्यो हो तातो, जीव सुपरें तो सहि जातो ॥ ५ ॥ अर्थ एटलो हो मुऊ सारो, पटेल जी रणने ज‍ मारो ॥ सुत कहे शुं ए हो कामो, तें लीयो रामनो नामो ॥ ६ ॥ श्रपे जी रण हो उत्रो, नहीं मुऊ कुलनां तुमो पुत्रो ॥ न करो, एतुं जो काजो, जीव सुखें जाये किम जो ॥७॥ तात ते फूरे हो अपारो, सुत बोल्यो तेणी वारो ॥ एहनी करशुं हो घातो, तव बोल्यो वेगें तातो ॥८॥ केम होशो हो पुत्रो, प्रगट मारतां जाय घरसूत्रो ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020379
Book TitleHitshikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdas Shravak
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages223
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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