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कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद।
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के लिए जैसे कोई कहे कि आपने मेरे पैर में से ऐसे काँटा निकाला कि मुझे मालूम भी न हुआ। अब जिस का दूसरा रात्रि को श्रमण भगवन्त श्रीमहावीर देवानन्दा की कुक्षि से त्रिशला की कुक्षि में आये उसी रात्रि को देवान- व्याख्यान. न्दाने यह स्वप्न देखा कि मेरे वे चौदह स्वम त्रिशला क्षत्रियाणीने हर लिए। जिस रात्रि में भगवन्त को त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षि में गर्भतया रक्खा गया उस रात को त्रिशला क्षत्रियाणी ऐसे सुन्दर वासगृह में थी कि जिसका वर्णन करना कठिन है । वह शयन घर भाग्यवान के योग्य था। वह अनेक प्रकार के चित्रों से सुशोभित था, बाहरी भाग कली चूने आदि से धवलित किया हुआ था। उसका तल भाग सुन्दर फर्स के कारण अतिरमणीय था, अतः सुकोमल और दीप्तिमान था । जिस में जड़े हुए पंचवर्णीय मणि रत्नों के प्रकाश से अन्धकार का सर्वथा प्रवेश न था । उसका समतल भूमिभाग विविध स्वस्तिकादि की रचनासे अतीव मनोज्ञ था। उस शयनगृह में पंचवर्ण के पुष्प बिखरे हुए थे। दशांग धूप आदि अनेक प्रकार के सुगंधी द्रव्यों के संयोग से उत्पन्न हुए सुवास से वह शयन घर अतिसुगन्धित हो रहा था, अर्थात् उसमें पुष्पों और सुगंधवाले* द्रव्यों की सुगंध चारों और प्रसर रही थी। इस प्रकार के अति मनोहर शयनगृह में लंबाई के प्रमाण में दोनों तरफ लगे हुए तकियों वाले, शरीर के प्रमाण में बिछी हुई तलाईवाले, दोनों ओर से ऊंचाई और मध्यमें नमे हुए, | जिस तरह गंगा की रेती में पैर रखने से वह नीचे को जाता है वैसे कोमल पलंग पर कि जो अपरिभोगावस्था में सुन्दर रजत्राण से आच्छादित रहता है और जिस पर मच्छरदानी लगी हुई है, कपास की 5वाटी और
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