SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाराजा कुमारपाल चौलुक्य महादेव के मन्दिर का जीर्णोद्धार कराने का । जगत्प्रसिद्ध सोमनाथ का मन्दिर उस वक्त जीर्ण-शीर्ण हो गया था, ऐसा प्रबन्धचिन्तामणिकार लिखते हैं । कुमारपाल को इस निष्पक्ष सलाह से हेमचन्द्र के ऊपर बहुत श्रद्धा हुई । उस ने सोमनाथ का जीर्णोद्वार शुरू करवाया | जब तक सोमनाथ के मन्दिर पर ध्वजारोपण न हो तब तक हेमचन्द्र के कहने से राजा ने मांस-मद्य का त्याग किया | दो वर्ष में सब कार्य हो गया; ध्वजा चढ़ाई गई । राजा ने हेमचन्द्र से महादेव की स्तुति करने की प्रार्थना की। आचार्य ने ख़ुशी से नई स्तुति बना कर कही । राजा बहुत प्रसन्न हुआ । मन्दिर में साक्षात् शिवजी ने आकर दर्शन दिए । कुमारपाल ने वहां पर यावज्जीवन हेमचन्द्र के उपदेश से मांस का त्याग किया । ६९ --- १. 'मिराते - अहमदी', 'आईन-इ-अकबरी' प्रभृति - मुसलमानी लेखकों के ग्रन्थों के आधार पर फार्बस साहब कहते हैं कि उस वक्त तक महमुद सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण कर चुका था । सम्भव है, इसी से कुमारपाल ने जीर्णोद्धार करवाया हो । यह मन्दिर प्रभासपाटण में है । २. सोमनाथ की प्रतिष्ठा का प्रसंग विस्तार से जैन ग्रन्थों में मिलता है। हेमचन्द्र सूरि ने स्तुति की, जिसका एक श्लोक यह है- भवबीजाङ्कुरजनना रागाद्याः क्षयमुपागता यस्य । ब्रह्मा वा विष्णुर्वा हरो जिनो का नमस्त ॥ For Private and Personal Use Only प्र० बि० १२९ । 10
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy