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महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
सिद्धराज के कोई पुत्र नहीं था । इसलिए वह हमेशा चिन्ताकुल रहता था कि मेरा उतराधिकारी कौन होगा। इस बात का समाधान कई ज्योतिर्विदों और श्री हेमचन्द्राचार्य से राजा ने पूछा। सबसे यही उत्तर मिला कि तुम्हारे पीछे राज्याधिकारी त्रिभुवनपाल का पुत्र कुमारपाल होगा जो वडा प्रतापो और न्यायी होगा ' ।
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महाराजा कुमारपाल
कुमारपाल के पूर्वजों के विषय में भिन्न भिन्न ग्रन्थों के जुदे जुदे उल्लेख मिलते हैं । प्रबन्धचिन्तामणिकार भीमदेव का पुत्र हरिपाल, हरिपाल का त्रिभुवनपाल और त्रिभुवनपाल का पुत्र कुमारपाल बताते हैं । साथ साथ यह भी बताते हैं कि भीमदेव ने चउलादेवी नाम की वाराङ्गना रक्खी थी, जो सदाचारिणी और नीतिमती थी, उस से हरिपाल का जन्म हुआ । परन्तु यह बात और कहीं देखने में नहीं आती ।
प्रभावnaरित्र में लिखा है कि देवप्रसाद, कर्णराज
१. 'प्रभावकचरित्र में लिखा है कि हेमचन्द्रसूरि ने तीन उपवास और ध्यान कर के अम्बा देवी को प्रत्यक्ष किया, और सिद्धराज के उत्तराधिकारी के विषय में पूछा । देवी ने उत्तर दिया कि इस राजा के भाग्य में संतति नहीं है । अतः इस राजा के भाई का पुत्र कुमारपाल, जो पुण्य प्रताप और महिमा से युक्त है, राजा होगा ; दूसरे राज्यों को अपने अधीन करेगा और जैन धर्म को पालेगा । श्लो० ३५२ ।
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