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महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
कायम की। इस प्रदेश की सुन्दरता और सुरक्षितता के कारण करीब ६०० वर्ष तक चावडा और चौलुक्यवंशीय राजाओं की यह राजधानी बनी रही। अभी तक यह पोटण' हजारों धनी और यशस्वी व्यापारियों का प्रसिद्ध नगर है। इस समय यह शहर महाराजा गायकवाड बड़ौदो के राज्य में है । महाराजा कुमारपाल के वख्त में इस शहर में १८०० क्रोड़पति थे। टॉड साहब का कहना है कि 'उस वख्त भारत के सभी शहरों में यह पाटण अधिक समृद्ध था जहां पूर्वीय और पाश्चात्य वस्तुएं मिलती थीं।
बड़े २ विद्वानों और कवियों ने इस नगर की भूरिभूरि प्रशंसा की है ।
वनराज के बाद योगराज, क्षेमराज, भूवड़राज, वयरसिंह, रत्नादित्य, सामन्तसिंह, ये छः राजा चावडावंश के हुए । इन सातों राजाओं का राज्यकाल १९६ वर्ष है। ऐसा गुर्जरदेश-भूपावली से मालूम होता है । टांड
१. वर्तमान में इस को सिद्धपुर पाटण कहते हैं। जो
अहमदाबाद से उत्तर दिशा में है। २, कुमारपाल चरित्र ( जिनमंडनकृत)
३. संस्कृत और प्राकृत द्वयाश्रय काव्य, कुमारपाल-प्रबन्ध, मोहपराजय नाटक, कुमारपाल चरित्र, प्रभावक चरित्र आदि.
४. श्लो० ३३; यह ग्रन्थ अभी तक छपा नहीं है। मेरे पास इसकी प्रेस कापी है।
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