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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शिक्षा और परीक्षा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०७ देशी राजाओं की अपेक्षा ब्रिटिश शासन ने अपने ढंग के शिक्षा के साधन बहुत उपस्थित किये हैं । हाईस्कूलों और कालेजों की तादाद काफी है। यूनिवर्सिटियाँ भी बढती जा रही हैं । यह सब है परन्तु, न मालूम शिक्षितों की तादाद में क्योंकर तरक्की नहीं होती ? यह प्रश्न विकट है । माध्यमिक और ऊँची शिक्षाओं की तो बात जाने दीजिये, प्राथमिक शिक्षण प्राप्त करनेवालों को संख्या भी असन्तोष उत्पन्न करनेवाली है । बम्बई प्रान्त ( जो कि, शिक्षा में अग्रगण्य माना जाता है) की परिस्थिति ही देखिये । सन् १९२१ ई० की सरकारी रिपोर्ट से जाना जाता है कि, बम्बई प्रान्त में पुरुषों में, प्रति हजार में, सिर्फ ८३ पढे लिखे हैं ! स्त्रियों में, प्रति हजार में, सिर्फ २३ को लिखना आता है । इंगलिश भाषा में, प्रति हजार में, बीस पुरुष और तीन स्त्रियां शिक्षित हैं । बम्बई प्रांत के छोटे-बडे २६७३० गांवों में से सिर्फ १०००० हजार गाँवों में ही सरकारी स्कूल हैं यानी १६७३० गाँव सरकारी स्कूलों से शून्य हैं । कुल १२२४८८८ छात्रों में माध्यमिक शिक्षा ९८९६६ को और ऊँची शिक्षा ८०८९ छात्रों को मिलती है । For Private and Personal Use Only पाठक इन संख्याओं पर स्वयम् विचार कर सकते हैं । जब बम्बई प्रान्त ( जिसमें कि, महाराष्ट्र गुजरात जैसे शिक्षित जनपद सम्मिलित हैं ) की ही शिक्षा के विषय में इतनी खराब दशा है, तब दूसरे प्रान्तों की तो बात ही क्या ? मतलब यह कि, भारतवर्ष शिक्षा में बहुत
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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