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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १९८ www.kobatirth.org जैन समाज और पाठ्यक्रम का सम्बन्ध -: ३७ : जैन समाज Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आर पाठ्यक्रम का सम्बन्ध किसी भी देश और जाति की उन्नति या अवनति उसके पाठ्यक्रम की अपेक्षा रखती है । जैसा पाठ्यक्रम होगा वैसी ही प्रजा संस्कारित होगी। पूर्वकाल में इस विषय पर बहुत कुछ ध्यान दिया जाता था । वर्तमान में अमेरिका आदि स्वतंत्र देशों में भी इस विषय पर बडे बडे देश जाति के नेता गम्भीरता पूर्वक विचार करके अपने अपने देश जाति को उन्नत बनाने के लिए हरसाल नवीन पाठ्यक्रम नियत करते हैं । भारत का विचार आचार आदि बदल जाये, ब्रिटिश अधिकारियों के जब ऐसे विचार हुए थे, तब करीब आज से १०० वर्ष पहिले इन्होंने अपने अनुकूल पाठ्यक्रम बनाकर गवर्नमेंट स्कूल और कालेज आदि संस्थाओं में अंग्रेजी भाषा द्वारा भारतीय प्रजाको पढाना शुरू किया था। जिसका परिणाम ७५ वर्ष में ही यह हुआ है कि सारा भारतवर्ष अपने विचार और आचार को हलका - लज्जास्पद समझ कर या छोडकर विदेशी विचार और आचारों को अच्छा समझने लगा या स्वीकारने लगा | * जैनमित्र, सूरत वीर सं. २४५८, श्रा सु. २ For Private and Personal Use Only
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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