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छपा हुआ अनूठा जैन साहित्य
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more ethical and religious than literary." *
भाइओ ! जैन साहित्य के थोडे प्रचार से ही कितना अच्छा परिणाम आया है ? यह जरा देखिये और फिर यह विचारिये कि यदि संगठित रीति से बड़े जोशोखरोश के साथ उसका प्रचार किया जाय तो कितना अधिक लाभ हो ? अप्रैन जनता में जैन साहित्य के प्रकाश से ही वह अन्धकार दूर हो सकेगा, जिसके कारण आज भी भारत के स्कूल और कौलिजों में जैन धर्म के विषय में मिथ्या बातें पढाई जाती हैं । अतः इस विषय की प्रसिद्धि के लिए अब तक प्रकट हुए जैन साहित्य के मुख्य ग्रन्थों का परिचय करा देना उचित हैं ।
* मि० हॉपकिन्स यद्यपि इस पत्र के द्वारा जैन धर्म के विषय में अपनी गलत फहमी के लिए खेद प्रकाश करते हैं, किन्तु जैन साहित्य को वह अब भी वैदिक या बौद्ध साहित्य की कोटि का नहीं मानते । वह उसे साहित्यक ही खयाल नहीं गलत है । किसी विद्वान् को उनसे पत्र धारणा को भी ठीक करा देना चाहिये ।
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करते । उनकी यह धारणा व्यवहार करके उनकी इस