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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७८ महाराजा कुमारपाल चौलुक्य विषयों पर इन के ग्रन्थ हैं, जिनकी श्लोकसंख्या साढ़ेतीन करोड कही जाती है । प्रबन्धशतकर्ता रामचन्द्र सूरि आदि इन के विद्वान् शिष्य थे । हेमचन्द्र तप-त्याग और ब्रह्मश्चर्य के अवतार थे । इन की आयु ८४ वर्ष की थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारपाल का उत्तराधिकारी या स्वर्गवास सिद्धराज की तरह कुमारपाल को भी कोई पुत्र न था । अपना उत्तराधिकारो बनाने के विषय में उस ने हेमचन्द्रसूरि से सलाह पूछी । आचार्य ने राजा के दौहित्र प्रतापमल्ल को राज्याधिकारो बनाने को कहा, और अजयपाल के लिए साफ मना कर दिया, क्योंकि वह मूर्ख, दुराचारी और कायर था। हेमचन्द्र के शिष्य बालचन्द्र ने अजयपाल से ये सब बातें कह दीं । अजयपाल को हेमचन्द्र के ऊपर बड़ा क्रोध आया। वह कुमारपाल का भतीजा लगता था और महिपाल का पुत्र था। अजयपाल के जहर देने से वि० सं० १२३० में कुमारपाल की मृत्यु हुई | आचार्य हेमचन्द्र का स्वर्गवास वि० सं० १२२९ में राजा के पहले ही हो चुका था । इस से भी राजा को बडा आघात पहुँचा था' | अजयपाल ने वि० सं० १२३० में कुमारपाल का राज्य ले लिया 1 द्वेष और दुष्टता से उस ने हेमचन्द्र १. दे० " प्रबन्ध - कोष" कुमारपाल - प्रबन्ध और जैन वंशावली | For Private and Personal Use Only युग की राज
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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