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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir हिदायत बुतपरस्तिये जैन. २३ कबसे चला? उत्तराध्ययनमूत्रमें जैनमुनिकों तीसरे प्रहर गौचरी जाना कहा, आजकल पहले दुसरे प्रहरमें जानेका रवाज चलता है. यह रवाजभी कबसे जारी हुवा ? पहलेके जमानेमें जैनमुनि लुखासुका आहार लेते थे, अगर कोई पंचमहाव्रतधारी उत्कृष्ट संयमी पूर्ण क्रियापात्र बनना चाहे तो ऊद्यान या बनखंडमें रहे. और लुखासुका आहार लेवे, पहले जमानेमें कई जैनमुनि ऐसे थे जो राग होते हुवेभी औषध नही करवाते थे, अगर कहा जाय कि द्रव्यक्षेत्र कालभाव देखकर ऐसा बर्ताव करना पडता है तो इसी बातपर खयाल किजिये, महत्वता किस बातकी करना. जैसा द्रव्यक्षेत्रकालभाव है और जैसा सत्व संहनन और योग्यता है, मुताबिक ऊसके बर्ताव किया जाता है ऐसा कहना चाहिये. [बत्तीससूत्रके नाम यहां बतलाये जाते है जोकि स्थानकवासी मजहबमें मंजुर रखे गये है.] १ आचारांग. १७ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र. २ मूत्रकृतांग. १८ जंबूद्वीप प्रज्ञप्तिसूत्र. ३ स्थानांग. १९ निर्यावलीसूत्र. ४ समवायांग. २० कल्पावतंसिकासूत्र. ५ भगवतीसूत्र. २१ पुष्पिकासूत्र. ६ ज्ञातासूत्र. २२ पुष्पचुलिकासूत्र. ७ ऊपाशक दशांगमूत्र. २३ वन्हीदशांगसूत्र. ८ अंतकृतसूत्र. २४ ऊत्तराध्ययनसूत्र. ९ अनुत्तरोववाइसूत्र २५ दशवैकालिकसूत्र. १० प्रश्नव्याकरणसूत्र. २६ नंदीमूत्र. ११ विपाकसूत्र. २७ अनुयोगद्वारसूत्र. १२ ऊवाइसूत्र. २८ निशीथसूत्र. For Private And Personal Use Only
SR No.020373
Book TitleHidayat Butparstiye Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherPruthviraj Ratanlal Muta
Publication Year1916
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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