________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३३२
हरीतक्यादिनिघंटे समान वारुणी हलकी और पीनस आध्मान शूल इनकों हरतीहै सुरासें मेदार्थ हलकी ऐसा कहाहै अब दोनों सीधृका लक्षण और गुण ॥५२॥ ईखके पक रसमें सिद्ध सीधु
और पक्क रस वोहै तथा उसी कच्चे रससे जो सीधु होतीहै उसको शीतरस कहाहै ॥ ५३॥ पकरस सीधु श्रेष्ठ है वोह अग्नि बल वर्ण इनकों करनेवाला और वातपित्तकों करनेवाला तत्काल स्नेहन रोचन होताहै ॥ ५४॥ और विबन्ध मेद शोफ बवासीर शोफोदर कफरोग इनकों हरताहै उस्से अल्पगुण शीतरस कहाहै और लेखन कहाहै ॥ ५५ ॥
अथ आसवानां नूतनानूतनमद्याना च गुणाः. यदपकौषधाम्बुभ्यां सिद्धं मद्यं स आसवः । आसवस्य गुणा ज्ञेया बीजद्रव्यगुणैः समाः ॥ ५६ ॥ मद्यं नवमभिष्यन्दि त्रिदोष जनकं सरम् । अहृद्यं बृंहणं दाहि दुर्गंधं विशदं गुरु ॥ ५७ ॥ जीर्णं तदेव रोचिष्णुकमिश्लेष्मानिलापहम् । हृद्यं सुगन्धि गुणवल्लघु स्त्रोतोविशोधनम् ॥ ५८ ॥ सात्विके गीतहास्यादि राजसे साहसादिकम् । तामसे निन्द्यकर्माणि निद्रां च मदिराचरेत् ॥ ५९ ॥ विधिना मात्रया काले हितैरन्नैर्यथाबलम् । प्रहृष्टो यः पिबेन्मद्यं तस्य स्यादमृतं यथा ॥ ६० ॥ किन्तु मद्यं स्वभावेन यथैवान्नं तथा स्मृतम् । अयुक्तियुक्तं रोगाय युक्तियुक्तं यथामृतम् ॥ ६१॥ मुस्तैलवालगदजीरकधान्यकैला यश्चर्वयन्सदसि वाचमभिव्यनक्ति ॥ स्वाभाविकं मुखजमुज्झति
पूतिगन्धान्गन्धं च मद्यलशुनादिभवं च नूनम् ॥ ६२॥ टीका-अब आसवका लक्षण और गुण कहतेहैं जो अपक औषधके जलसें सिद्ध मय वोह आसवहै जैसे लोहासव आदि आसक्के गुण बिन द्रव्यके गुणके समान जानना चाहिये अनन्तर नया और पुराने मद्यका गुण ॥ ९६ ॥ नवीन
For Private and Personal Use Only