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हरीतक्यादिनिघंटे हेमवत्यव्यथा चापि चेतकी श्रेयसी शिवा ॥ ६ ॥
वयस्था विजया चापि जीवन्ती रोहिणीति च । टीका-हरीतकी १, अभया २, कायस्था ३, पूतना ४, अमृता ५, हेमवती ६, अव्यथा ७, चेतकी ८, श्रेयसी ९, शिवा १०, ॥ ६ ॥ वयस्था ११, विजया १२, जीवंती १३, और रोहिणी १४ ये चौदाह हर्डके नाम हैं.
विजया रोहिणी चैव पूतना चामृताऽअया ॥ ७ ॥
जीवंती चेतकी चेति विज्ञेयाः सप्त जातयः। टीका-अब हरडोंकी जाति कहते हैं. विजया १, रोहिणी २, पूतना ३, अमृता ४, अभया ५, ॥७॥ जीवन्ती ६, चेतकी ७ ये सात प्रकारकी हरड होती हैं. और इन्ही सातोंकों मिलाके बहुतसे निघंटोंमें हर्डके २१ एकवीस नाम कहे हैं.
अलाबुरत्ता विजया वृत्ता सा रोहिणी स्मृता ॥८॥ पूतनास्थिमती सूक्ष्मा कथिता मांसलाऽमृता ।
पंचरेखाभया प्रोक्ता जीवन्ती स्वर्णवर्णिनी ॥ ९॥ टीका-अब हर्डकी पहिचान लिखते हैं. जो हर्ड तूंबीके समान गोल होय उसकों विजया कहते हैं, और जो गोल होय उसको रोहिणी कहते हैं, ॥८॥ और जिसमें छोटी गुठली होय उसको पूतना, और जो गूदेदार होय उसकों अमृता कहते हैं.
और जिस हर्डमें पांच लकीर होय उसकों अभया, और जिसका सोनेकासा रंग होय उसको जीवन्ती कहते हैं ॥ ९॥
त्रिरेखा चेतकी ज्ञेया सप्तानामियमाकतिः।
विजया सर्वरोगेषु रोहिणी व्रणरोहिणी ॥ १० ॥ टीका-और जिसमें तीन रेखा हों उसको चेतकी कहते हैं, यामकार सातोंप्रकारके हौँके स्वरूप कहे हैं. और विजया समस्त रोगोंमें देनी चाहिये, और घावोंके भरनमें रोहिणी श्रेष्ठ है ॥ १०॥
प्रलेपे पूतना योज्या शोधनार्थेऽमृता हिता।
अक्षिरोगेऽभया शस्ता जीवन्ती सर्वरोगहृत् ॥ ११ ॥ . टीका-लेपमें पूतना श्रेष्ठ है, और शोधनके अर्थ पूतना श्रेष्ठ कही है, और नेत्ररोगमें अभया देनी अच्छी है, और जीवन्ती सर्वरोगोंकों हरनेवाली कही है ॥ ११ ॥
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