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हरीतक्यादिनिघंटे इसप्रकार लोकमें कहतेहैं अन्य पारीष पलाश, कपिरुत, कमण्डल ॥ ४॥ गर्दभाण्ड, कंदराल, कपीतन, सुपार्श्वक, यह परसपीपलके नामहैं यह दुर्जर, चिकना, कृमि, शुक्रकों कफकों करनेवालाहै. ॥५॥ फलमें खट्टा, मूलमें मधुर, गिरी कसेली और मधुर होती है.
अथ नंदिटक्षनामगुणाः। नन्दिवृक्षोऽश्वत्थभेदः प्ररोही गजपादपः ॥६॥ स्थालीवृक्षः क्षयतरुः क्षीरी च स्यादनस्पतिः। नन्दिवृक्षो लघुः स्वादुः तिक्तस्तुवर उष्णकः ॥७॥
कटुपाकरसो ग्राही विषपित्तकफास्त्रजित् । टीका-नन्दिवृक्ष अश्वत्थवेल, प्ररोही, गजपादप, ॥६॥ स्थालीवृक्ष, क्षयतरु, क्षीरी, वनस्पति यह वेरियापीपरके नाम हैं. वेरियापीपर, हलका मधुर, तिक्त, कसेला, गरम है ॥ ७ ॥ और पाकरसमें कटु, काविज, विष, पित्त, कफ, रक्तकों हरता है.
अथ उदुम्बर तथा कटुंभरीनामगुणाः। उदुम्बरो जन्तुफलो यज्ञाङ्गो हेमदुग्धकः ॥ ८॥ उदुम्बरो हिमो रूक्षो गुरुः पित्तकफास्त्रजित् । मधुरस्तुवरो वयो व्रणशोधनरोपणः ॥ ९॥ काकोदुम्बरिका फल्गुमलयूर्जघनेफला। मलपूस्तम्भकृत्तिक्ता शीतला तुवरा जयेत् ॥ १०॥
कफपित्तव्रणश्वित्रकुष्ठपाण्ड्दर्शकामलाः । टीका-उदुम्बर, जंतुफल, यज्ञाङ्ग, हेमदुग्धक, यह गूलरके नाम हैं ॥ ८॥ गूलर शीतल, रूखा, भारी, पित्त, कफ, रक्तको हरनेवाला है. और मधुर, कसेला, वर्णकों अच्छा करनेवाला, व्रणकों शोधन रोपण है ॥९॥ काकोदुम्बरिका, फल्गु, मलयू, जघनेफल, यह कठिया गूलरके नाम हैं. कठियागूलर स्तंभन करनेवाला, तिक्त, शीतल, कसेला है ॥ १० ॥ और कफ, पित्त, व्रण, श्वित्र, कुष्ठ, पांडुरोग, ववासीर, कामला इनकों हरताहै ॥
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