________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१३२
हरीतक्यादिनिघंटे अथ जलकुम्भी(सेवार)नामगुणाः, वारिपर्णी कुम्भिका स्याच्छैवालं शैवलं च तत् । वारिपर्णी हिमा तिक्ता लघ्वी स्वाही सरा कटुः ॥ १८॥ दोषत्रयहरी रूक्षा शोणितज्वरशोषकत् ।। शैवालं तुवरं तिक्तं मधुरं शीतलं लघु ॥ १९ ॥ स्निग्धं दाहतृषापित्तरक्तज्वरहरं परम् । टीका–वारिपर्णी, कुम्भिका, यह जलकुंभीके नाम हैं. शैवाल शैवल यह सैवारेके नाम हैं. जलकुम्भी शीतल, तिक्त, हलकी, मधुर, सर, कटु होती है ॥१८॥
और त्रिदोषको हरनेवाली, रूखी, रक्त, ज्वर, इनकों करनेवाली है और सिवार, कसेला, तिक्त, मधुर, हलका ॥१९॥ चिकना और दाह, तृषा, पित्त, रक्त, ज्वर, इनकों दूर करनेवाला है.
अथ सेवती गुलाबइति तस्य नामगुणाः, शतपत्री तरुण्युक्ता कर्णिका चारुकेशरा ॥ २० ॥ महाकुमारी गन्धाढ्या लाक्षा कृष्णातिमञ्जुला। शतपत्री हिमा हृद्या ग्राहिणी शुक्रला लघुः॥ २१ ॥
दोषत्रयाजिदा तिक्ता कटी च पाचनी।। टीका-शतपत्री, तरुणी, कणिका, चारुकेशरा ॥ २० ॥ महाकुमारी, गन्धाहा, लाक्षा, कृष्णा, अतिमञ्जुला, यह सेवतीके नाम हैं. शेवती शीतल, हृदयकों प्रिय, काविज, शुक्रकों उत्पन्न करनेवाली, हलकी ॥२१॥ और त्रिदोष, रक्त, इ. नकों हरनेवाली और वर्णकों अच्छा करनेवाली, तिक्त, कडवी, पाचन है.
__ अथ वासंती (नेवारि)इति लोके. नेपाली कथिता तज्ज्ञैः सप्तला नवमालिका ॥ २२ ॥ वासन्ती शीतला लघ्वी तिक्ता दोषत्रयास्त्रजित् । श्लीपदी षट्पदा नन्दा वार्षिकी मुक्तबन्धना ॥ २३ ॥ वार्षिकी शीतला लध्वी तिक्ता दोषत्रयापहा । कर्णाक्षिमुखरोगे स्यात्तैलं तद्गुणकं स्मृतम् ॥ २४॥
For Private and Personal Use Only