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हौआ - ऐतिह्य
दे० 'हो' |
हौआ - पु० एक कल्पित वस्तु जिसका नाम लेकर स्त्रियाँ बच्चोंको डराया करती हैं, भकाऊँ; असाधारण और डरावनी चीज । स्त्री० दे० 'हौवा' |
हौका - पु० खानेकी तृष्णा, पेटूपन; लोभ, लालच । हौज़ - पु० [अ०] कुंड, चहबच्चा ; नाँद । हौज़ा - पु० [फा०] हौदा, हाथीकी अम्मारी ।
हौड़ * - स्त्री० दे० 'छोड़' ।
हौद - पु० हौज, कुंड; नाँद । हौदा - पु० दे० 'हौज़ा'; दे० 'हौज़' । हौरा - पु० हल्ला, शोरगुल । हौरे हौरे * - अ० धीरे-धीरे हौले-हौले, आहिस्ते से । हौल - पु० [अ०] भीति, भय, डर, दहशत । - खौल, - जौल - स्त्री० जल्दी, शीघ्रता; उतावली; शीघ्रताजनित उद्विग्नता, घबराहट । -दिल-स्त्री० दिलकी धड़कन, हृत्कंप; दिल धड़कनेकी एक बीमारी । वि० भीत, डरा हुआ; व्यग्र, व्याकुल; जिसे दिलकी धड़कन (की बीमारी) होती हो। -दिला - वि० डरपोक । - नाक - वि० भयंकर, खौफनाक । मु० - पैठना, - बैठना- मनमें डर पैदा होना, दहशत समाना ।
हौली - स्त्री० शराब बिकनेकी जगह, कलवरिया, मदिरालय । हौले-हौले - अ० धीरे-धीरे, आहिस्ते से । हौता - स्त्री [अ०] आदमकी पत्नी, इसलाम, ईसाई यहूदी धर्मों के अनुसार मानव जातिकी माता; दे० 'होआ' | हौस-स्त्री० [अ०] हवस, हौसला; मनकी तरंग, उमंग; उत्कंठा, प्रबल इच्छा ।
अ
अंततोगत्वा - अ० [सं०] अंतमें जाकर, निदान, आखिरकार । अंतद्वंद्व - पु० [सं०] हृदयके भीतरका द्वंद्व, असमंजसकी
अवस्था ।
अत्यंतातिशयोक्ति - स्त्री० [सं०] अतिशयोक्तिका एक भेद - जहाँ कारणका आरंभ होनेके पूर्व ही कार्यका हो जाना वर्णित किया जाय ।
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आ
आंकिक - पु० [सं०] सांख्यिक (स्टेटिशियन) । आख़ता, आख़्ता- वि० [फा०] (वह घोड़ा आदि) जिसका अंडकोष निकाल लिया गया हो, बधिया ।
छूटे हुए शब्द और अर्थ
आबला - पु० [फा०] छाला, फफोला ( चलते-चलते पाँव में आबले पड़ गये ) ।
आमक - पु० वह श्मशान जहाँ मृत व्यक्तियोंके शरीर कोओं, गृद्धों आदिके खानेके लिए यों ही फेंक दिये जाते हैं।
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आवर्तनी - स्त्री० [सं०] धातु गलानेकी कुम्हिया; दोहरानेकी क्रिया ।
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हौसला - पु० [अ०] सामर्थ्य; साहस, हिम्मत, उत्साह; लालसा | - मंद - वि० हौसलेवाला, उत्साही । मु०निकालना - अरमान पूरा करना, इवस निकालना । - पस्त होना - जोश ठंढा पड़ना, हिम्मत टूट जाना । ह्याँ* - अ० यहाँ ।
ह्यो* - पु० हिया, हृदय ।
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इद-पु० [सं०] गहरा जलाशय; गहरी झील; गहरा गड्ढा । हृदिनी - स्त्री० [सं०] नदी; विद्युत् ।
हसित - वि० [सं०] संक्षिप्त किया हुआ, छोटा किया हुआ, घटाया हुआ; ध्वनित ।
हस्व - वि० [सं०] छोटा, लघु (दीर्घका उलटा ); नाटा, ठिंगना; तुच्छ, नीचा, अनुच्च (जैसे द्वार) | पु० बौना । हस्वांग - वि० [सं०] वामन, बौना, ठिंगना । हास - पु० [सं०] क्षय, क्षीणता; अवनति; शब्द, ध्वनि; छोटी संख्या; अभाव, कमी । हासन-पु० [सं०] क्षीण करनेकी क्रिया; कम करनेका
काम, घटाना ।
हासनीय - वि० [सं०] कम करने, घटाने योग्य | हित- वि० [सं०] हरण किया हुआ, लाया हुआ, नीत । ही - स्त्री० [सं०] लज्जा, व्रीडा, संकोच । -जित- वि० लज्जा के वशीभूत, लज्जाशील, संकोची । ह्लादक - वि० [सं०] प्रसन्न करनेवाला | ह्लादित - वि० [सं०] आनंदित । *+ - अ० वहाँ ।
ह्वान - पु० [सं०] शोरगुल, पुकार, निकट बुलाना, आह्वान | है* - पूर्वका० क्रि० ' होकर' ।
आहव - पु० [सं०] यश; युद्ध; (तुमुल ) । इ इंसान- पु० दे० ' इनसान' ।
इज़ाफ़त - स्त्री० [अ०] संबंध, लगाव; एक शब्दका दूसरे से संबंध, समास ( व्या० ) ।
इमरतीदार - वि० इमरतीके ढंगको बनावटवाला ।
उ
उड़नतश्तरी - स्त्री, उड़नथाल - पु० उड़नेवाली तश्तरी जैसा एक आधुनिक युद्धोपकरण ।
उत्कर्णता - स्त्री० [सं०] सुननेकी उत्सुकता - 'देख भावप्रवणता, वर-वर्णता, वाक्य सुननेको हुई उत्कर्णता' - साकेत ।
उलटबाँसी - स्त्री० कविता में ऐसी उक्ति जिसमें सामान्य से उलटी बात कही गयी हो ।
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उसवास - पु० प्रवेग, प्रवृत्ति ।
ऐ
ऐतिह्य - पु० [सं०] परंपरा प्राप्त उपदेश या प्रमाण - ' नहिं पराग...' वाले दोहेका ऐतिह्य लोक-प्रसिद्ध हैं' - चुने फूल |