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हरिनीग-हर्षाना हरिनीग-विली. मृगनैनी (उदा०' हरै)। 'सापनेमें बिछुरे हरि हेरि हरैइ हरै हरिनीग रोवै'हरिन्मणि-पु० [सं०] मरकत मणि, पन्ना।
भाववि०। हरिमा (मन्)-स्त्री० [सं०] पीलापन, पांडुता हरापन । हरैना-पु० हलका वह भाग जिसमें नीचेकी ओर फाल हरियर*-वि० दे० 'हरिअर'।
लगाते हैं। बैलगाड़ीका वह भाग जो सामनेकी ओर हरियराना*-अ० क्रि० दे० 'हरिअराना।
निकला रहता है। हरियाई-स्त्री० दे० 'हरियाली' ।
हरैया-पु० हरण करनेवाला, दूर करनेवाला । हरियाथोथा-पु० तृतिया।
हरोल, हरौल*-पु० दे० 'हरावल' । हरियाना-भ० क्रि० दे० 'हरिआना' । पु० बाँगड़ देश। | हरौती-स्त्री० दे० 'हलवत' । हरियानी-स्त्री० हिंदीकी एक बोलीका नाम; बाँगडू, | हर्ज-पु० दे० 'हरज'। जाटू बोली।
हर्तव्य-वि० [सं०] हरण करने योग्य । हरियाली-स्त्री० दे० 'हरिआली' । मु०-सूझना-(प्रायः हर्ता(त)-पु० [सं०] हरण करनेवाला; ले जानेवाला नष्ट भ्रमसे) सुख ही सुखका आभास होना ।
करनेवाला; लानेवाला; डाकू चोर काटकर अलग करनेहरिला-पु० हारिल पक्षी।
वाला; कर लगानेवाला (राजा)। हरिश्चंद्र-पु० [सं०] त्रेतायुगके सूर्यवंशके २८ वें राजा हर्फ़-पु० [अ०] अक्षर, वर्ण; शब्द, बात (शिकायतका (ये त्रिशंकुके पुत्र थे और अपनी उदारता तथा सत्य- हर्फ); अव्यय, प्रत्यय (व्या); दोष, ऐब । वादिताके लिए प्रसिद्ध थे)।
| हर्ब-पु० [अ०] युद्ध । -गाह-पु०, स्त्री० युद्धभूमि । हरिस-स्त्री० हलकी वह लंबी लकड़ी जिसका एक सिरा हर्बा-पु० दे० 'हरबा। हलकी फालवाली मोटी लकड़ीसे संबद्ध होता है और हर्म्य-पु० [सं०] बहुत बड़ा मकान, महल, प्रासाद । दूसरा बैलोंके जुएसे।
हर-स्त्री०, हर्रा-पु०, हरें-स्त्री. हरीतकी। मुहर्रा हरिसिंगार-पु. हरसिंगार, परजाता।
लगे न फिटकरी, रंग चोखा हो जाय-बेखर्चके काम हरिहाई-वि० स्त्री० दे० 'हरहाई'। स्त्री० पशुओंकी | बन जाय । परेशान करनेवाली प्रवृत्ति ।
हरैया-पु० हरें जैसे दानोंवाला हाथका एक गहना, कंठेके हरी-स्त्री० [सं०] एक वर्णवृत्त; बंदरोंकी माता; * जमी- छोरोंपरका दाना।।
दारको दी जानेवाली हलकी बेगार । * पु० दे० 'हरि'। हर्ष-पु० [सं०] प्रिय वा इष्ट वस्तु, व्यक्ति आदिके देखने, हरीक्षणा-स्त्री० [सं०] मृगनयनी ।
उनके विषयमें सुनने, पढ़ने आदिसे उत्पन्न होनेवाला हरीत-पु० दे० 'हारीत'।
एक सुखात्मक भाव, आनंद, प्रसन्नता; रोमांच, रोंगटोंका हरीतकी-स्त्री० [सं०] हड़, हर्रका पेड़ इस पेड़का फल । खड़ा होना; एक संचारी भाव (सा०); कामोत्तेजना; दे० हरीतिमा-स्त्री. हरा रंग, हरियाली ।
'हर्षवर्द्धन'। -कर,-कारक-वि० प्रसन्न करनेवाला । हरीफ-पु० [अ०] हमपेशा प्रतिद्वंद्वी लड़नेवाला, शत्रु । -गद्द-वि० जिसकी आवाज आनंदसे भर्रायी हुई हो, हरीरा-पु० [अ०] प्रसूताके लिए हलदी, सोंठ, पंचमेवा गद्गदकंठ । -चरित-पु. बाणभट्टरचित एक गद्यकाव्य
आदि गुड़में पकाकर बनाया जानेवाला पेय, अछवानी। जिसमें सम्राट हर्षवर्द्धनका चरित वर्णित है। -ज-वि. + वि० हरा; * प्रसन्न, ताजा ।
हर्षसे उत्पन्न । पु० शुक्र । -दान-पु० आनंदपूर्वक दिया हरीश-पु० [सं०] बानरोंका राजा, सुग्रीव हनुमान् । हुआ दान । -ध्वनि-स्त्री०,-नाद-पु० आनंदातिरेकसे हरीषा-स्त्री० [सं०] मांसका एक व्यंजन ।
की जानेवाली आवाज । -चर्द्धन,-वर्धन-वि० हर्षको हरीस-स्त्री० दे० 'हरिस'। वि० [अ०] हिर्स करनेवाला, बढ़ानेवाला, आनंदवर्धक । पु० विक्रमकी सातवीं शतीमें लोभी, लालची; पेटू।
होनेवाले भारतके अंतिम सम्राट (चीनी यात्री हुएनसांग हरुअ, हरुआ, हरुवा*-वि० हलका ।
इन्हींके राजत्वकालमें आया था। ये स्वयं कवि थे और हरुआई, हरुवाई*-स्त्री० हलकापन ।
सुप्रसिद्ध संस्कृतकवि बाणभट्टके आश्रयदाता थे)। -विवहरुआना*-अ० क्रि० हलका होना; जल्दी करना। धन-वि० आनंद बढ़ानेवाला। -विहल-वि. आनंदहरुए*-अ० धीरे-धीरे, हलके हलके।
विभोर । -समन्वित-वि. आनंदयुक्त। -स्वन-पु० हरू*-वि० दे० 'हरुअ'।
आनंदध्वनि। हरूफ-पु० [अ०] 'हर्फ़' का बहुवचन ।
हर्षक-वि० [सं०] आनंददायक, प्रसन्न करनेवाला। पु० हरे*-अ०दे० 'हरुए'। -हरें -अ० धीरे-धीरे,हौले-होले। | एक पर्वत; चित्रगुप्तका एक पुत्र । हरे*-अ० आहिस्ते, धीरे, हौले। -हरये*-अ० धीरे-हर्षण-वि० [सं०] आनंददायक, प्रसन्नता उत्पन्न करने धीरे, हौले-हौले-हरे-अ० राम! राम!!; * धीरे-धीरे ।
वाला । पु. प्रसन्न होना; (रोंगटोका) खड़ा होना आनंद; हरेक-वि० दे० 'हर-एक' ।
कामदेवके पाँच बाणोंमेंसे एक । हरेरी*-स्त्री० हरिअरी, सब्जी।
हर्षना*-अ० कि. आनंदित होना, प्रसन्न होना। हरेव-पु० मंगोल जाति: मंगोल देश ।
हर्षमाण-वि० [सं०] हर्षयुक्त, प्रसन्न । हरेवा-पु. हरे रंगका एक पक्षी।
हर्षातिशय-पु० [सं०] आनंदातिरेक । हरै*-अ० दे० 'हरे' । -हरे-* अ० धीरे-धीरे- हर्षाना*-अ० कि० दे० 'हर्षना'। स० क्रि० आनंदित,
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