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हरि-हरिनाक्ष
मेढ़क साँप; मोर - 'हरि (बादल) गर्जन सुनि हरि (मेढक ) बोलेला, हरिक सबद सुन हरि (साँप ) चलेला । हरि | (मोर) बिचहिं मिलल, हरि हरिके लिहल; हरिक परतापसे इरि बचेला'; तोता; कृष्ण; राम; भर्तृहरिः शुक्र; एक पर्वत; एक लोकः एक वर्ष, भूभाग । - कथा - स्त्री० विष्णुके अवतारोंके चरित्रोंका वर्णन । -कीर्तन-पु० हरिविष्णुके अवतारों आदि का गुणगान । -गण-पु० घोड़ोंका झुंड । - गिरि- पु० एक पर्वत । - गीतिकास्त्री० एक वृत्त । - चंदन - पु० पाँच देवतरुओंमेंसे एक; पीला चंदन । - चाप - पु० इंद्रधनुष् । -जन - पु० भगवनका सेवक, अछूत जातिका व्यक्ति (आधु० ) । - जान* - पु० विष्णुवाहन, गरुड़ । - तालिका - स्त्री० दूर्वा भाद्रशुका तृतीया, जिस दिन स्त्रियाँ तीजका पर्व मनाती हैं। - तुरंगम, - तुरग - पु० इंद्रका घोड़ा । - दास-पु० विष्णुभक्त । - दिक् (श्) - स्त्री०इंद्रकी दिशा, पूरब दिशा । -द्वार - पु० हृषीकेशके पासका एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान । - द्विद (ष) - पु० असुर । धनुष-पु० इंद्रधनुष् । - धाम (न्) - पु० वैकुंठ । -नख- पु० सिंहका नख; बाघके नखवाला तावीज जो बच्चोंको पहनाया जाता है । - नग* - पु० सर्पमणि । - नाथ- पु० हनुमान् ।-पदपु० वैकुंठ | - पर्ण - वि० हरी पत्तियोंवाला । पु० मूली । - पर्वत - पु० एक पहाड़। -पुर-पु० बैकुंठ । प्रियवि० विष्णुको प्रिय । पु० कदंब; बंधूकः विष्णुकंद; शंख; उशीर; मूर्ख; पागल आदमी; रक्त या कृष्ण चंदन । - प्रिया - स्त्री० लक्ष्मी; पृथ्वी; तुलसी; सुरा । - बीजपु० हरताल | - बोधिनी - स्त्री० कार्तिक शुक्ला एकादशी । -भक्त-पु० भगवान्का भक्त, हरिसेवक । -भक्तिस्त्री० भगवान्की भक्ति । - भुक् (ज्) - पु० ( मेढक खानेवाला ) सर्प । - मंदिर - पु० विष्णुमंदिर । - मणिपु० सर्पका मणि । - मेध - पु० अश्वमेध; विष्णु । -यानपु० गरुड़ | - वंश - पु० कृष्णका वंश; बंदरोंका वंश; एक प्रसिद्ध ग्रंथ जो महाभारतका परिशिष्ट है । - वर्ष पु० जंबूद्वीपका एक खंड | -वल्लभा - स्त्री० लक्ष्मी; तुलसी; जयाः अधिक मासकी एकादशी। -वास - वि० पीत वस्त्रधारी (विष्णु) । पु० अश्वत्थ, पीपल । -वासरपु० एकादशी; रविवार । -वाहन- पु० गरुड़ इंद्र; सूर्य । - शयनी - स्त्री० आषाढ़ शुक्ला एकादशी ( विष्णुके सोनेका दिन ) । - संकीर्तन - पु० विष्णुका गुणगान । - सुत - पु० अर्जुन; प्रद्युम्न - सूनु-पु० अर्जुन । - सौरभ - पु० कस्तूरी । - हय-पु० इंद्रका घोड़ा; इंद्र; सूर्य; स्कंद; गणेश । - हर- पु० विष्णु और शिव । -हरक्षेत्र- पु० एक तीर्थस्थान जो सोनपुर (विहार) में है और जहाँ कार्तिकी पूर्णिमाको बहुत बड़ा मेला लगता है । हरि* - अ०धीरे | हरि-अ० धीरे-धीरे, आहिस्ते-आहिस्ते । हरिअर* - वि० हरा |
हरिअराना - भ० क्रि० हरा होना ।
हरिआना * - अ० क्रि० हरे रंगका होना, हरा होना; थकानका दूर होना, ताजा होना; आनंदित, प्रसन्न होना।
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हरिआली स्त्री० दे० 'हरिअरी' । हरिश्चंद* - पु० दे० 'हरिश्चंद्र' | हरिजाई* - वि० स्त्री० दे० 'हरजाई' | हरिण पु० [सं०] मृग, हिरनः शिवः विष्णुः सूर्य; नेवला; हंस; एक लोक पीलापन लिये सफेद रंग, पांडुवर्ण । वि० पीलापन लिये सफेद, भूरा, पांडु रंगका; हरा । -कलंकपु० चंद्रमा । - चर्म (न्) - पु० मृगछाला । -धामा(नू ) - पु० चंद्रमा । -नयना, - नयनी, नेत्रा - स्त्री० हरिण जैसी आँखोंवाली स्त्री । - लक्षण, - लांछन - पु० चंद्रमा । - लोचना - स्त्री० दे० 'हरिणनयनी' । - लोलाक्षीस्त्री० हरिण जैसी चंचल आँखोंवाली स्त्री । - हृदय - वि० हरिणके समान भीरु हृदयवाला, बुजदिल । हरिणांक - पु० [सं०] चंद्रमा | हरिणाक्षी-स्त्री० [सं०] दे० 'हरिणनयना' | हरिणाधिप - पु० [सं०] सिंह | हरिणारि - पु० [सं०] सिंह | हरिणी - स्त्री० [सं०] मादा हरिण, मृगी; हरिद्रा; इरा रंग; स्वर्णजूथी, सोनजुही; मंजिष्ठा, मजीठ; स्त्रियोंके चार भेदों में से एक जिसे चित्रिणी कहते हैं; तरुणी, युवती; सुंदरी स्त्री; एक वर्णवृत्तः स्वर्णप्रतिमा । - हशी, - नयना - स्त्री० मृगी जैसे नेत्रोंवाली स्त्री । हरिणेश- पु० [सं०] सिंह |
हरित - वि० [सं०] हरा; ताजा; भूरा; पीला; गहरा नीला । पु० हरा रंग भूरा रंग; इन रंगों का पदार्थ | सोना; सब्जी आदि; पांडु रोग । -कपिश-वि० पीलापन लिये भूरा । - गोमय- पु० ताजा गोवर - धान्य- पु० कच्चा अन्न ( जो अभी पका न हो ) । - नेमी ( मिन् ) - वि० जिसके रथ के पहिये सुवर्णके हो ( शिव ) । -प्रभवि० जिसका रंग पीला पड़ गया हो, पांडु । - भेषजपु० कमला रोगकी दवा । - मणि- पु० मरकत । हरिताश्म (न्) - पु० [सं०] मरकतमणि, पन्ना; तूतिया । हरितोपल - पु० [सं०] मरकत ।
हरित् वि० [सं०] हरा; पीला; पिंगल; हरा मिश्रित पीला | पु० हरा रंग पीला रंग; पिंगल वर्ण; सूर्यका एक घोड़ा, मरकत; विष्णुः सूर्य सिंह; मूँग; घास । स्त्री० हलदी; दिशा; तृण, घास। पति-पु० दिक्पति । - पर्ण-पु० मूली । हरिदंबर - वि० [सं०] पीला या हरा वस्त्र धारण करनेवाला । हरिद्र- पु० [सं०] पीला चंदन |
हरिद्रा - स्त्री० [सं०] हलदी; हल्दीका चूर्ण; एक नदी । - गणपति, गणेश- पु० 'तंत्रसारोक्त' एक प्रकारके पीत रंगके गणेश । - प्रमेह, मेह-पु० एक प्रकारका प्रमेह, जिसमें जलन के साथ पीला पेशाब होता है। -रागवि० जिसका प्रेम हलदीके रंगकी तरह अस्थायी हो । पु० अस्थायी प्रेम |
हरिद्राभ - वि० [सं०] हलदीके रंगका, पीला ।
हरिअरी* - स्त्री० हरियाली, हरी वनस्पतिका ढेर, हरी हरिन - पु० कुरंग, मृग; (क्लोरिन) पीले तथा हरेसे रंगकी घास, हरे पेड़-पौधों की राशि; हरा रंग ।
दुर्गंधियुक्त गैस, जो वजनदार भी होती है । हरिनाकुस* - पु० दे० 'हिरण्यकशिपु' । हरिनाक्ष, हरिनाच्छ* - पु० दे० 'हिरण्याक्ष' ।
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