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सुरतान-सुराही * ध्यान; होश । पु० समाधि लगानेवाला, ध्यान करने- | -जीवी(विन्)-पु. कलाल । -प-वि• सुरापान वाला; श्रोता-'कथता, बकता, सरता सोई...'-कबीर । करनेवाला, शराबी। -पान-पु. शराब रखने या सुरतान-पु० दे० 'सुलतान'; दे० 'सुर' [हिं०] में। पीनेका पात्र । -पान-पु० शराब पीना; मद्यपानके सरति-स्त्री० [सं०] रति, कामक्रीड़ा, विहार । -गोपना- समय खायी जानेवाली चाट, गजक । -पीत-वि. स्त्री० दे० 'सुरत-गोपना'।
जिसने मद्यपान किया है। -प्रिय-वि० जिसे मद्य प्रिय सुरतिवंत*-वि० कामविह्वल ।
हो।-मंड-पु० (खमीर पैदा होनेपर) शराबके ऊपर सुरती-स्त्री० तंबाकूका सुखाया हुआ पत्ता।
उठ आनेवाला फेन, मधफेन । -भांड-पु० दे० 'सुरा. सुरत्न-वि० [सं०] अच्छे रत्नोंवाला; सर्वश्रेष्ठ । पु० सुवर्ण पात्र'। -भाजन-पु० मदिरा रखने या पीनेका पात्र । लाल आदि अच्छे रत्न ।
-मत्त-वि० मदमस्त, शराबके नशेमें चूर । -मदसुरथा-स्त्री० [सं०] एक अप्सरा; एक पुराणवर्णित नदी। पु० शराबका नशा। -समुद्र-पु० दे० 'सुराब्धि' । सुरथाकार-पु० [सं०] एक वर्ष, भूखंड, देश ।
-सार-पु० मद्यका सार (स्पिरिट), (अलकोहल)। सुरबुली-स्त्री० एक पौधा जिसकी छालसे रंग बनाते हैं। सुराई*-स्त्री० शूरता, बहादुरी । सुरभि-वि० [सं०] सुगंधित, खुशबूदार प्रिय, मनोरम । सुराख-पु० दे० 'सूराख' सुराग । स्त्री० सुगंधि, सुवासः सल्लकी; एक पौराणिक गाय जो सुराग-पु० दे० 'सुराग'; [सं०] प्रगाढ़ प्रेम; अच्छा रंग। गोजातिकी माता मानी जाती है। गायपृथ्वी; तुलसी। सुराग़-पु० [अ०] खोज, निशान, पद-चिह्न । -चूर्ण-पु० खुशबू मिलाया हुआ चूरा ( पाउडर)। सुरागाय-स्त्री० एक तरहकी जंगली गाय जिसकी पूँछके -तनय,-पुत्र-पु० बैल । -तनया-स्त्री० गाय ।। बालका चँवर बनाते हैं। -मास-पु. वसंत ऋतु; चैत्र मास । -मुख-पु० | सुरागार-पु० [सं०] शराबखाना; देवालय । वसंतका आरंभ। -समय-पु० वसंत ऋतु ।
सुराग़ी-पु० खोजी जासूस मुखबिर । सरभित-वि० [सं०] सुगंधित किया हुआ, बासा हुआ। सुराचार्य-पु० [सं०] बृहस्पति । सुरभिमान् (मत्)-वि० [सं०] सुगंधियुक्त । सुराज-पु० अच्छा राज्य; स्वराज्य । सुरभी-स्त्री० [सं०] खुशबू ; गाय; सलई ।
सुराजा(जन)-पु० [सं०] अच्छा राजा। सरमई-वि० सुरमेके रंगका, हलका नीला। पु० सुरमेके सुराजीव-पु० [सं०] विष्णु; कलाल । रंगसे मिलता-जुलता रंग; इस रंगका कबूतर । स्त्री० सराजीवी(विन)-पु० [सं०] कलाल । हलके काले रंगकी एक चिड़िया ।
सुराज्य-पु० [सं०] सुंदर, प्रजारंजक राज्य; + दे० सुरमा-पु० [फा०] एक खनिज पदार्थ जिसका बारीक _ 'स्वराज्य'। चूर्ण आँखोंमें अंजनके रूपमें लगाया जाता है; अंजन । | सुराधानी-स्त्री० [सं०] शराब रखनेका छोटा घड़ा। वि० बहुत बारीक (करना, होनाके साथ)। -कश-वि० सुराधिप, सुराधीश-पु० [सं०] इंद्र । सुरमा लगानेवाला। पु० सुरमा लगानेकी सलाई । सुरानीक-पु० [सं०] देवसेना । -दान-पु०,-दानी-स्त्री० सुरमा रखनेकी डिबिया। सुरापगा-स्त्री० [सं०] गंगा। सुरमै*-वि०, पु० दे० 'सुरमई'।
सुराब्धि-पु० [सं०] सुराका समुद्र, पुराणोक्त समुद्रसुरम्य-वि० [सं०] अति रमणीय, मनोहर ।
विशेष । सुरर्षि-पु० [सं०] देवर्षि ।
सुराय*-पु० अच्छा, श्रेष्ठ राजा। सुरली*-स्त्री० सुंदर क्रीड़ा।
सुरायुध-पु० [सं०] देवास्त्र । सुरवाल-पु० पायजामा सेहरा।
सुरारि-पु० [सं०] (देवताओंका शत्रु) असुर, राक्षस । सुरस-वि० [सं०] सुंदर रसयुक्त, रसीला सुस्वादु; मधुर । | -हंता(त)-पु० असुरोंका नाश करनेवाले, विष्णु । सुरसती*-स्त्री० दे० 'सरस्वती'।
-हा(हन्)-पु० शिव । सुरसा-स्त्री० [सं०] समुद्र लाँघकर लंका जाते समय हनू- सुरार्चन-पु० [सं०] देवपूजा। मान्का रास्ता रोकनेवाली एक नागमाता; एक राक्षसी।। सुरालय-पु० [सं०] स्वर्ग; मेरु; देवालय; मदिरालय । सुरसुराना-अ० क्रि० कीड़ोंका रेंगना; खुजली होना। सुराव-पु० [सं०] सुंदर ध्वनि । सुरसुराहट-स्त्री० हलकी खुजली; सुरसुरानेका भाव।। सुरावास-पु० [सं०] सुमेरु, स्वर्ग; देवालय । सुरसुरी-स्त्री० सुरसुराहट, छडूंदर नामकी आतिशबाजी। सुराश्रय-पु० [सं०] मेरु पर्वत । सुरहना*-अ० क्रि० (घाव आदिका) भर आना, सूख | सरासार-पु० दे० 'सुरा में । जाना-'सुरह्यो घाइ देह बल आयो'-छत्र० ।
सुरासुर-पु० [सं०] सुर और असुर । सुरहरा*-वि० जिससे 'सुर-सुर'की आवाज निकलती हो। | सुराही-स्त्री० [अ०] लंबी गरदन और तंग मुहँका बरतन सुरही-स्त्री० चमरी गाय; एक घासा दे० 'सोरही। जो पहले शराब और अब अधिकतर पानी रखनेके काम सुरांगना-सी० [सं०] देवपत्नी; अप्सरा।
आता है। सुराहीकी शकलका कपड़ा जिसे अँगरखे आदिकी सुरा-स्त्री० [सं०] मद्य, शराब । -कार-पु० शराब दोनों बगलोंके नीचे सुंदरताके लिए लगाते हैं। नैचेका चुआनेवाला, कलाल । -कुंभ,-घट-पु० शराब रखने- चिलमके नीचे रहनेवाला हिस्सा ।-दार-वि० सुराहीकी का मटका या घड़ा, मद्यपात्र । -गृह-पु० मदिरालय । शकलका ।-दार गरदन-स्त्री० लंबी और सुंदर गरदन ।
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