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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६१ (धस सुर-सुरता इंद्र। -कानन-पु० देवोद्यान। -कामिनी-स्त्री० विष्णुः इंद्र । -सिंधु-स्त्री० गंगा; मंदाकिनी । -संदरीअप्सरा। -कारु-पु० देवताओंके शिल्पी, विश्वकर्मा। स्त्री. अप्सरा, दुर्गा; एक योगिनी। -सुरभी-स्त्री. -कामुक-पु० इंद्रधनुष । -गज-पु० ऐरावत ।-गाय- कामधेनु । -सेनप-पु० देवताओंके सेनापति, कात्तिस्त्री० [हिं०] कामधेनु । -गिरि-पु० मेरु । -गुरु- केय । -सेना-स्त्री० देवताओंकी सेना । -सैयाँ*-पु० पु० बृहस्पति । -गैया-स्त्री० कामधेनु । -चाप- दे० 'सुरसाई"। -सैनी*-स्त्री० हरिशयनी एकादशी। पु० इंद्रधनुष । -जन-पु० देववर्ग; दे० क्रममें । -तरं- -स्त्री-स्त्री० अप्सरा। -स्रोतस्विनी-स्त्री. गंगा । गिणी-स्त्री. आकाशगंग'; गंगा नदी। -तरु-पु० -स्वामी(मिन)-पु० इंद्र; विष्णुशिव । त-पु० कश्यप; इंद्र । -माण,-त्राता-सर-पु० स्वर, आवाज। -कुदाव*-पु० स्वर-परिवर्तन (त)-पु० विष्णु; इंद्र। -द्रुम-पु० कल्पवृक्ष देवदारु । द्वारा धोखा देना। -तान-स्त्री० स्वरका आलाप; दे० -द्विट(प)-पु० सुरद्वेषी, असुर; राहु । धाम(न)-पु० क्रममें । -ताल-पु० स्वर और ताल । -दार-वि० स्वर्ग । (मु०-धाम सिधारना-मर जाना।)-धुनी- सुरीला ।-फॉकताल-पु० तालका एक प्रकार -बहार स्त्री० गंगा। -धेनु-स्त्री० कामधेनु । -नदी-स्त्री० -पु० सितार जैसा एक बाजा । -भंग-पु० दे० 'स्वरगंगा। -नाथ,-नायक-पु० इंद्र। -नारी-स्त्री० भंग। -सिंगार-पु० एक बाजा। मु०-मिलानादेवांगना । -नाह*-पु० दे० 'सुरनाथ'। -निम्नगा- आवाज मिलाना, स्वरोंका मेल करना । स्त्री० गंगा । -निर्झरिणी-स्त्री० आकाशगंगा । -प*- सुरकना-स० क्रि० दे० 'सुड़कना'। पु० दे० 'सुरपति'। -पति-पु० इंद्रा शिव । -पति सुरक्त-वि० [सं०] गाढ़ा रँगा हुआ; गाढ़ा लाल; बहुत तनय-पु० अर्जुन; जयंत । -पथ-पु० आकाश; छाया- प्रभावित; अनुरक्त; बहुत सुंदर । पथ। -पर्वत-पु० मेरु पर्वत । -पादप-पु० कल्प- सुरक्षण-पु० [सं०] सम्यक् रक्षण । वृक्ष । -पाल,-पालक-पु० इंद्र। -पुर-पु० अमरा- सुरक्षा-स्त्री० [सं०] सम्यक, समुचित रक्षा । - वती; स्वर्ग । -पुरी-स्त्री० अमरावती। -पुरोधा- स्त्री० (सिक्यूरिटी काउंसिल) संयुक्त राष्ट्रसंघकी कार्य )-पु० बृहस्पति ।-प्रिया-स्त्री० जाती, चमेली; पालिका परिषद् जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस तथा अप्सरा । -बाला-स्त्री०देवांगना। -बृच्छ*-पु० दे० चीन-इन देशोंके पाँच स्थायी सदस्य और अन्य राष्ट्रोंके 'सुरवृक्ष'। -बेल-स्त्री० [हिं०] कल्पलता। -भवन- चार अस्थायी सदस्य लिये जाते हैं। (विश्वशांति-संबंधी पु० देवमंदिर । -भान*-पु० इंद्र; सूर्य। -भिषक- समस्याएँ मुख्य रूपसे इसीके सामने विचारार्थ उपस्थित (ज)-पु० अश्विनीकुमार । -भूप-पु० [हिं०] इंद्रा की जाती हैं ।) विष्णु । -भूरुह-पु. देवदारु कल्पवृक्ष । -भोग-पु० सुरक्षित-वि० [सं०] भली भाँति, अच्छी तरह रक्षित । देवताओंका भोग्य, अमृत । -भीन*-पु० दे० 'सुर- -कोष्ठक-पु० (सेफ्टीवाल्ट) किसी अधिकोष(बैंक)के भवन'। -मणि-पु० चिंतामणि । -मृत्तिका-स्त्री० कोषागारमें कबूतरके दरबेकी तरह बने हुए कोष्ठक, घर या गोपीचंदन । -मौर*-पु० विष्णु ।-युवति,-योषित- खाने जिनमें ग्राहकोंसे किराया लेकर उनकी बहुमूल्य स्त्री० अप्सरा । -राइ*-पु० इंद्र; विष्णु । -राज,- वस्तुएँ-आभूषण, सोना, रत्नादि-सुरक्षित रखी जाती है। राद (ज्)-पु० इंद्र। -राय,-राव-पु० दे० सुर- सुरख*-वि० दे० 'सुख'। राज' । -रिपु-पु० देवशत्रु, राक्षस, दानव । -रूख- सुरखा*-पु० दे० 'सुर्खा' । पु० कल्पवृक्ष । -लता-स्त्री. महाज्योतिष्मती लता। सुरखाब-पु० दे० 'सुबि' । -लोक-पु० स्वर्ग, देवलोक । - लोक सुंदरी-स्त्री० सुरखिया-स्त्री० एक चिड़िया जिसका सिर, गरदन और अप्सरा दुर्गा । -वधू-स्त्री० देवांगना। -वन-पु० पीठ लाल रंगकी होती है । देवोद्यान । -वर्म(न्)-पु. आकाश । -वल्लभा- सुरखी-स्त्री० दे० 'सुखीं' । स्त्री० सफेद दूब । -वाणी-स्त्री० देववाणी, संस्कृत । सुरग-पु० दे० 'स्वर्ग' । -वास-पु० स्वर्ग । -वाहिनी-स्त्री० आकाशगंगा। सुरच्छन*-पु० दे० 'सुरक्षण' । -विटप,-वृक्ष-पु० कल्पवृक्ष । -वैरी-पु० (देवताओं- सुरज*-पु. सूर्य। के शत्रु) असुर । -विलासिनी-स्त्री० अप्सरा ।-वीथी- सुरजन*-पु० सुजन, नेक आदमी । वि० चतुर । स्त्री० नक्षत्रवीथी, नक्षत्रोंका मार्ग । -वीर*-पु० इंद्र । सुरझन*-स्त्री० दे० 'सुलझन'। -वैद्य-पु० अश्विनीकुमार । -शत्रु-पु० असुर । सुरझना*-अ० कि० दे० 'सुलझना'। -शाखी(खिन)-पु० कल्पवृक्ष । -शिल्पी(ल्पिन्)- सुरझाना*-स० कि० दे० 'सुलझाना'। पु० विश्वकर्मा । -श्रेष्ठ-पु. वह जो देवताओं में श्रेष्ठ हो; सुरझावना*-स० क्रि० दे० 'सुलझाना' । गणेश; इंद्रधर्म । -सदन,-सद्म(न)- सरत*-स्त्री० ध्यान, याद । पु० [सं०] संभोग, कामपु० स्वर्ग; देवालय । -सरि(री)*-स्त्री० गंगा; गोदा- क्रीड़ा; एक भिक्षु (बौद्ध)। वि०क्रीड़ाशील; अति अनुरक्त । वरी। -सरिता-स्त्री० [हिं०] दे० 'सुरसरित्' । सरित- -केलि,-क्रीड़ा-स्त्री० कामक्रीड़ा ।-गुप्ता,-गोपनास्त्री० गंगा। -सरित्सुत-पु. भीष्म । -साई-पु० स्त्री० रतिचिह्न छिपानेवाली नायिका । - ग्लानि-स्त्री० इंद्र विष्णुः शिव । -साल*-वि० देवताओंको सालने- सुरत-जनित शिथिलता। वाला, सुरपीड़क । -साहब-पु० देवताओंके स्वामी, सुरता-स्त्री० [सं०] देवत्व; सुरसमूह; एक अप्सरा; पत्नी; For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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