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भ्रमणकारी; खर्च - ५०
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+ पटेला । वि० [अ०] सैर करनेवाला, अनियत, अस्थायी । पु० महसूल, चुंगी । फुटकर खर्च, अनिश्चित, असाधारण खर्च । सायल - वि०, पु० [अ०] सवाल करनेवाला; चाहनेवाला; प्रार्थी, अर्जी देनेवाला; याचना करनेवाला । साया- पु० साड़ीके नीचे पहननेकी घाँघरेकीसी एक पोशाकः [फा०] छाया, छाँद्द; परछाई; (ला० ) आश्रय, संरक्षण; सुहबतका असर; जिन, परीकी सवारी, प्रेतबाधा; चित्र या फोटोका छाया दिखानेवाला भाग -दारवि० छायायुक्त, छाँवाला । मु०-उठना-संरक्षकका मर जाना। -उतरना - छायाका ऊपर से नीचे आना; प्रेतबाधा दूर होना । - पड़ना - छाँह पड़ना; सुहबतका असर होना । - होना - जिन, परीका असर, प्रेतबाधा होना । - ( ये ) की तरह साथ-साथ फिरना या होनाहर वक्त साथ लगे रहना, छन भरके लिए भी विलग न होना । - मेँ आना - जिन, परी आदिका असर पड़ जाना, प्रेतबाधा होना । - से बचकर चलना - बहुत दूर रहना, असर न पड़ने देना । -से भागना - भड़कना; सामीप्यसे डरना; नफरत करना । सायुज्य - पु० [सं०] ऐसा संयोग जिसमें कोई भेद न रहे, एक में मिल जाना, एकत्व; मुक्तिका एक भेद जिसमें जीवात्मा परमात्मा में लीन हो जाता है; एकरूपता । सारंग - वि० [सं०] नानावर्ण; बुंदोंवाला; रंजित; * सुंदर; सरस | पु० विभिन्न वर्ण; चित्रमृग; मृग - 'स्नारंग प्रीति करी जो नाद सो सनमुख बान सह्यो' - सू० ; सिंह; हाथी; भ्रमर; कोयल; खंजन; लवा पक्षी; मयूर; राजहंस; चातक; मधुमक्खी; एक वृत्त; एक राग; बादल; वृक्ष; छाता; वस्त्रः बाल; शंख; शिव, कामदेव; पुष्प; कमल; कपूर; धनुष; विष्णुका धनुप् ; चंदन; एक वाद्य, सारंगी; आभूषण; सुवर्ण; पृथ्वी; रात्रि; प्रकाश; दीप्ति; शोभा; रत्न; अश्व; सरोवर; समुद्र; जल; कपोत; स्तन; वायस; हाथ; नक्षत्र; छल; मेढक; आकाश; अंजन; विद्युत्; सर्प; चंद्रमा । - चर - पु० शीशा । -ज-पु० हिरन । -ज-दृशी - वि० स्त्री० मृगनयनी । - नाथ- पु० सारनाथका प्राचीन नाम । - पाणि-पु० विष्णु । - पानि - पु० विष्णु । -लोचना - वि० स्त्री० मृगनयनी ।
सारथी - पु० दे० 'सारथि' |
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सारद* - स्त्री० दे० 'शारदा' । * वि० दे० 'शारद' | सारदी - स्त्री० [सं०] जलपीपल । * वि० शारदीय । सारदूल* - पु० दे० 'शार्दूल' |
सारना* - स० क्रि० दूर करना, निकालना; पोंछना, साफ करना; पूरा करना; लगाना; काढ़ना - 'जातहि राम तिलक तेहि सारा' - रामा०; दुरुस्त करना; सँभालना; सुंदर बनाना; चलाना । सारनाथ- पु० बनारसके उत्तर- पूरब, लगभग तीन मीलपर स्थित एक स्थान जो बौद्धोंका प्रसिद्ध तीर्थ है । सारभाटा - पु० दे० 'ज्वारभाटा' ।
सारंगा - स्त्री० एक ही लकड़ीकी बनी हुई डोंगी; एक सारमेय - पु० [सं०] सरमाकी संतान; कुत्ता (विशेषकर तरहकी बनी नाव; एक रागिनी ।
यमके चार आँखोंवाले दो कुत्तों में से एक) । - चिकित्सास्त्री० कुत्तेके काटनेका उपचार । सारमेयी - स्त्री० [सं०] कुतिया ।
सारल्य - पु० [सं०] सरलता; सचाई, ईमानदारी । सारवान् (वत्) - वि० [सं०] कठिन, ठोस; दृढ़, मजबूत; पोषक मूल्यवान्; रसदार; जिसमेंसे निर्यास निकले । सारस - वि० [सं०] तालाब-संबंधी; चिल्लानेवाला; सारस पक्षी-संबंधी । पु० हंसकी जातिका लंबी टाँगोंवाला एक पक्षी; हंस पक्षी; चंद्रमा; कमल; कमरबंद, करधनी; गरुड़का एक पुत्र; छप्पय छंदका एक भेद; झील आदिका जल; एक ताल (संगीत) । - प्रिया - स्त्री० सारसी । सारसुता *- स्त्री० यमुना । सारसुती* -
* - स्त्री० दे० 'सरस्वती' ।
सारंगाक्षा - वि० स्त्री० [सं०] मृगनयनी । सारंगिक - पु० [सं०] बहेलिया, चिडीमार; एक वर्णवृत्त । सारंगिया - पु० सारंगी बजानेवाला ।
सारंगी - स्त्री० [सं०] एक प्रसिद्ध तंत्रवाद्य |
सार - * स्त्री० संदेश, खबर - ' तलफत छाँड़ि चले मधुवनको, फिर कै लई न सार' - सू०; होश हवास । वि० [सं०] मुख्य; सर्वोत्तम; यथार्थ; हद् पु० मूल भाग; सत; मज्जा; गूदा; यथार्थ बात; निर्यास, गोंद; मथि - तार्थ; शक्ति, बल; शौर्य; साहस; ध्दता; संपत्ति; अमृत; ताजा मक्खन; वायुः साढ़ी; रोग; पूय; श्रेष्ठता; शतरंजका मोहरा; पाँसा; वज्रक्षार; हृदय; औचित्य; जंगल; इस्पात, लोहा - 'मुए चामकी साँस ते सार भसम हो जाय';
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सायल - सारसुती
अस्थि मज्जा आदि शरीरस्थ आठ ( कुछके मत से सात ) पदार्थ; मूल्य, महत्त्व; गोवर; नतीजा, फल; दुहनेके बाद तुरंत औटा हुआ दूध; चिरौजीका पेड़; अनारका वृक्ष; मूँग काढ़ा; नीलका पौधा; गमन, गति; विस्तार, फैलाव; एक वृत्त; एक अर्थालंकार - जहाँ वर्णित वस्तुओंका उत्तरोत्तर उत्कर्ष या अपकर्ष दिखलाया जाय; साला; *सँभाल, सेवा - 'करिहैं सास ससुर सम सारा' - रामा०; हथियार; शल्य; धैर्य; शय्या; मैना । - गर्भ, - गर्भित - वि० तत्त्वपूर्ण । - ग्राही ( हिन्) - वि० किसी वस्तुका मुख्य तत्त्व ग्रहण करनेवाला । - दा - स्त्री० सरस्वती; दुर्गा ।-भुक् (ज) - वि० किसी वस्तुका मुख्य भाग खा. जानेवाला । पु० अग्नि ( लोहा खा जानेके कारण) । - भूत-वि० जो सर्वश्रेष्ठ हो, सर्वोत्तम । पु० मुख्य या सर्वश्रेष्ठ वस्तु । - मिति - पु० वेद । - रूप - वि० सर्वोत्तम, मुख्य ।
- लोह - पु० इस्पात
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- वर्जित - वि० निःसार; नीरस । - वस्तु - स्त्री० मूल्यवान् या महत्त्वपूर्ण वस्तु । - विद्वि० किसी चीजका मूल्य या तत्त्व जाननेवाला ।-शून्यवि० निःसार; निकम्मा |
सार - पु० [फा०] ऊँट । - बान- पु० ऊँटहारा । सारखा। - वि० सदृश, समान । सारणि-स्त्री० [सं०] छोटी नदी; धारा; प्रणाली | सारणिक - पु० [सं०] पथिक, यात्री । सारणी-स्त्री० [सं०] क्षुद्र नदी; जल-प्रणाली; तालिका | सारथि - पु० [सं०] रथ चलानेवाला, सूत; नायकः सागर, समुद्र, साथी, सहायक ।
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