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सतीत्व - सरव
- पुत्र - पु० साध्वी स्त्रीका पुत्र । - व्रत- पु० पातिव्रत्य । -व्रता - स्त्री० पतिव्रता स्त्री । मु०-होना- पतिके शक्के साथ जल मरना; किसीके पीछे परेशान होना, मर मिटना । सतीत्व - पु० [सं०] सती होनेका भाव, पातिव्रत्य । - हरण - पु० सतीत्व नष्ट करना ।
सतीन- वि० [सं०] यथार्थ, वास्तविक । पु० मटरका एक भेद, कलाय; बाँस; जल ।
सतीपन- पु० दे० 'सतीत्व' |
सतीर्थ - वि० [सं०] तीर्थयुक्त | पु० सहाध्यायी, साथ अध्ययन करनेवाले ब्रह्मचारी; शिव ।
सतुआ-पु० भुने हुए अन्नका चूर्ण, सक्तु, सत्तू संक्रांति - स्त्री० मेषकी संक्रांति (जिस दिन सत्तू के दान और भोजन का विधान है ) । - सोंठ - स्त्री० एक तरहकी सोंठ । सतुआन - स्त्री० दे० 'सतुआ संक्रांति' । सतुष - वि० [सं०] भूसीवाला | पु० तुषयुक्त अन्न सतून - पु० [फा०] खंभा, स्तंभ |
सतना -५० बाजके झपटनेका एक ढंग ।
सतृद् (ष), सतृष, सतृष्ण - वि० [सं०] प्यासा; इच्छुक । सतेजा (जस) - वि० [सं०] कांतियुक्त; जीव-शक्ति-संपन्न । सतोखना * - स० क्रि० संतोष देना; ढाढ़स दिलाना; संतुष्ट करना ।
सतोगुण - पु० दे० 'सत्त्वगुण' |
सतोगुणी + - वि० सत्त्वगुणमे युक्त । सतौसर - पु० सात लड़ियोंका हार ।
सत् - वि० [सं०] सत्तायुक्त, वर्तमान, विद्यमान; यथार्थ, सत्य; स्थायी; भला, धार्मिकः पवित्र; उच्च, उत्तम; उचित; सम्मान्यः विद्वान्, चतुर; सुंदर; धीर । पु० संत, सज्जन, धार्मिक व्यक्ति; वह जिसका अस्तित्व हो; यथार्थता, सत्य; ब्रह्म । - कथा - स्त्री० अच्छी वार्ता या कथा । -करणपु० सत्कार करना; अंत्येष्टि क्रिया । कर्तव्य - वि० जिसका सम्मान करना हो । कर्ता (र्तृ) - पु० अच्छा काम करनेवाला; हितैषी; सत्कार करनेवाला; विष्णु । - कर्म (न्) - पु० नेक काम, पुण्य कर्म, वेदविहित कर्म; सत्कार; अंत्येष्टि; प्रायश्चित्त । - कर्मा ( र्मन् ) - वि० अच्छा काम करनेवाला । - कला - स्त्री० ललित कला । - कवि - पु० उत्तम कवि, सुकवि । -कायदृष्टि - स्त्री० मृत्यु के बाद आत्मा, शरीर आदिको सत्ताका भ्रांत सिद्धांत (बौद्ध) । - कार - पु० आदर-सत्कार, आवभगत; आतिथ्य; देखभाल; पर्व, उत्सव; दावत । -कार्य - वि० सम्मान के योग्य; जिसकी अंत्येष्टि की जाय । पु० कारणमें कार्यका निहित रखना (सांख्य); अच्छा काम । -कार्यवाद- पु० कारणके अभाव में कार्यकी उत्पत्ति न माननेका सिद्धांत । - कीर्ति स्त्री० सुयश, अच्छी कीर्ति । वि० जिसका अच्छा नाम फैला हो ।-कुल- पु० उत्तम कुल । वि० कुलीन, सद्वंशजात । - कुलीन - वि० अच्छे वंशका | - कृत - वि० अच्छी तरह किया हुआ; पूजित; सम्मानित; जिसकी आवभगत की गयी हो; जिसका अच्छा स्वागत किया गया हो । पु०शिव; सम्मान; आतिथ्य; पुण्य कार्य । - कृति - स्त्री० अच्छा कर्म करना, पुण्यः सद्व्यवहार; आदर-सत्कार । क्रिय- वि० अच्छा कर्म करनेवाला ।
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- क्रिया- स्त्री० नेक काम, पुण्य; व्यवस्थित करना; सत्कार, आतिथ्य; सौजन्यः संस्कार; मृतककर्म । - पथ- पु० सुमार्ग, अच्छी सड़क; सदाचार। -पात्रपु० योग्य व्यक्ति, वह व्यक्ति जो कोई चीज पानेके योग्य हो । - पुत्र- पु० योग्य पुत्र; वह पुत्र जो पितरोंके निमित्त विहित कर्म करे । - पुरुष - पु० भला आदमी, सज्जन । -संग- पु०, - संगति - स्त्री० अच्छे आदमियोंका साथ । - संसर्ग-पु० दे० 'सत्संग' | - सन्निधान, - समागम - पु० दे० 'सत्संग' । -सहाय - पु० अच्छा मित्र । वि० जिसके मित्र नेक हों । सन्त-पु० सत्त्व, सारभाग, रस; तत्त्व; * सत्यः सतीत्व । सत्तम - वि० [सं०] सर्वश्रेष्ठ परम पूज्य ।
सत्तर- वि० साठसे दस अधिक । पु० सत्तरकी संख्या, ७० । सत्तरह - वि० दससे सात अधिक । पु० सत्तरद्दकी संख्या, १७ ।
सत्तांतरित प्रदेश - पु० [सं०] (सीडेड टेरिटरी) वह प्रदेश जिसका शासन या सत्ता दूसरेको सौंप दी गयी हो, जो दूसरेको अर्पित कर दिया गया हो ।
सत्ता - पु० सात बूटियोंवाला ताशका पत्ता । स्त्री० [सं०] अस्तित्व; यथार्थता; उत्तमता; अधिकार, प्रभुत्व ( हिं० ) । - धारी (रिन्) - वि० जिसके हाथमें शासनसूत्र हो । सत्ताइस, सत्ताईस - वि० बीससे सात अधिक । पु० सत्ताइसकी संख्या, २७ ।
सत्तानबे - वि० नब्बेसे सात अधिक । पु० सत्तानवेकी संख्या, ९७ ।
सत्तार - पु० [अ०] परदा डालनेवाला, दोष ढाँकनेवाला; ईश्वर
सत्तावन - वि० पचास से सात अधिक । पु० सत्तावनकी संख्या, ५७ ।
सत्तासी - वि० अस्सीसे सात अधिक । पु० सत्तासीकी संख्या, ८७ ।
सत्तू - पु० सक्तु, भुने हुए अन्न (जौ, चने का आटा | मु० - बाँधकर पीछे पड़ना- किसीके विरुद्ध निरंतर चेष्टाशील रहना; पूरी तैयारीसे किसी काममें लगना । सत्र- पु० [सं०] सोमयज्ञ जो साधारणतः तेरह से सौ दिनोंतक चलता था; यश; होम, दानादि; उदारता; पुण्य, धर्मः मकान; आच्छादन; वस्त्र; संपत्ति; जंगल; तालाब; छल, धोखा; छद्मवेश; आश्रयस्थान, पनाइ; वह स्थान जहाँ दरिद्रोंको खाना बाँटा जाता है, लंगर; दो बड़े अवकाशोंके बीच किसी संस्थाका लगातार चलनेवाला कार्यकाल |
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सत्व - पु० [सं०] अस्तित्व; सहजात प्रकृति, स्वभाव; धर्म, गुण, आत्मतत्त्व, चैतन्य; प्राण वायु, जीवन; भ्रूण; पदार्थ; धन; मूल तत्त्व, वायु आदि; प्राणी, जीवधारी; प्रेतः धार्मिकता; सत्य, यथार्थता; शक्ति, जीवशक्ति; बुद्धि, समझदारी; विशेषता; प्रकृतिके तीन गुणोंमेंसे एक जो सर्वोच्च है (सांख्य); संज्ञा । - कर्ता ( ) - पु० प्राणियोंका स्रष्टा । - गुण - पु० प्रकृतिके तीन गुणोंमेंसे एक । - गुणी ( णिन् ) - वि० सत्त्व गुणवाला । - धाम (न्) - पु० विष्णु । - पति-पु० जीवधारियोंका स्वामी ।