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सटीक - वि०बिलकुल ठीक; [सं०] टीका, व्याख्या से सटोरिया - पु० दे० 'सट्टेबाज़' |
सह-पु० [सं०] दरवाजेकी चौखट में दोनों पाइवों में लगायी जानेवाली लकड़ियाँ ।
सट्टक - पु० [सं०] प्राकृत भाषा में रचित एक उपरूपक; जीरा मिला हुआ तक्र !
युक्त 1
सट्टा - पु० इकरारनामा; बाजार । - बट्टा-पु० मेल-जोल; छलपूर्ण उपाय ( लड़ाना) । - ( है ) बाज़ - पु० अधिक लाभकी आशा से जोखिम उठाते हुए भी चीजोंका सौदा
करना ।
सट्टी - स्त्री० किसी एक चीजका बाजार । मु० - मचानाशोरगुल करना । - लगाना - चीजें अस्त-व्यस्त करना । सठ - वि०, पु० दे० 'शठ' |
सडायँध - स्त्री० सड़ी हुई चीजसे निकलनेवाली दुर्गंध । सड़ाव - पु० सड़ने की क्रिया या स्थिति ।
सड़ासड़ - अ० ' सड़ सड़' की ध्वनिके साथ ।
सड़ियल - वि० सड़ा, गला हुआ; खराब, रद्दी; तुच्छ । सण - पु० [सं०] दे० 'शण' । : - तूल- पु० सनके रेशे । - सूत्र - पु० सनकी रस्सी ।
सत* - वि० सत्य, यथार्थ । पु० सचाई, यथार्थता; सत्त्व, किसी पदार्थका सार, मूल तत्त्व; जीवशक्ति । - कार - पु० आदर-सम्मान । -गुरु-पु० अच्छा गुरु; परमात्मा । - जुग - पु० सत्ययुग । भाय, -भाव * - पु० सद्भाव । - युग-पु० सत्ययुग। -वंती - स्त्री० सती, पतिव्रता । - संग - पु०, - संगति- स्त्री० अच्छी संगति । -संगीवि० सत्संग में रहनेवाला । मु०-पर चढ़ना-सती होना । - पर रहना - पातिव्रत्यका पालन करना । सत* - वि० सौ दल* पु० शतदल, कमल । - पत्र* - पु० कमल । - परब - पु० बाँस । - मख* - पु० इंद्र | - मूली- स्त्री० शतमूली, शतावर ।
सत - वि० 'सात'का समासगत रूप । -कोन- वि० सात कोनोंवाला । - दंता - वि० सात दाँतोंवाला (पशु) । - पतिया - स्त्री० एक तरहकी तरोई; सात पति करनेवाली स्त्री, पुंश्चली । - पुतिया स्त्री० एक तरइकी तरोई । -पदी, - भौंरी - स्त्री० दे० 'सतफेरा' - फेरा - पु० सप्तपदी नामक वैवाहिक कृत्य । - मासा, वाँसा - वि० सात मासमें उत्पन्न होनेवाला (बच्चा) । पु० वह बच्चा जिसकी
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५१-क
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सटीक - सती
पैदाइश सात महीनेपर हुई हो। -रंगा - वि० सात रंगोंवाला | पु० इंद्रधनुष् । -लड़ा - वि० सात लड़ियोंवाला (हार) । - लड़ी, लरी - स्त्री० सात लड़ियोंका हार । - सई - स्त्री० सात सौ पद्योंवाला ग्रंथ । सतकारना* - स० क्रि० आदर-सम्मान करना । सतत - वि० [सं०] अविच्छिन्न (समास) । अ० हमेशा, सर्वदा । - गति - पु० वायु । ज्वर-पु० हमेशा बना रहनेवाला ज्वर । - दुर्गत- वि० हमेशा कष्ट में रहनेवाला । सतनजा- पु० सात तरहके अनाजोंका मिश्रण । सतनु - वि० [सं०] शरीरवाला; शरीरयुक्त । सतरंज - पु०, स्त्री० दे० 'शतरंज' | सतरंजी - स्त्री० दे० 'शतरंजी' ।
सठता * - स्त्री० शठता; मूर्खता । सठियाना - अ० क्रि० साठ वर्षको अवस्थाका होना; वृद्ध होना; वार्द्धक्य के कारण मानसिक शक्तिका हास होना । सड़क - स्त्री० मनुष्यों, सवारियों आदिके गमनागमनके योग्य बना हुआ चौड़ा मार्ग; मार्ग, रास्ता । सड़न - स्त्री० सड़नेकी क्रिया ।
सड़ना - अ० क्रि० किसी चीजका गलना, संयोजक तत्त्वोंका सतराहट - स्त्री० कोप, रोष ।
अलग-अलग हो जाना; बुरी हालत में रहना ।
सड़सठ - वि० साठ से सात अधिक । पु० साठ और सातकी संख्या, ६७ ।
सड़ान - स्त्री० सड़ने की क्रिया; सड़ने की बू ।
सड़ाना - स० क्रि० किसी चीजको सड़ने में प्रवृत्त करना; सतर्पना* स० क्रि० अच्छी तरह संतुष्ट, तृप्त करना । बुरी हालत में रखना ।
सतलज - स्त्री० पंजाबकी एक नदी, शतद्र ।
सतह - स्त्री० [अ०] वस्तुका ऊपरी भाग; तल; वह वस्तु जिसमें लंबाई-चौड़ाईभर हो, गहराई न हो (ग० ); जलका ऊपरी भाग; फर्श; छत ।
सतर * वि० वक्र, टेढ़ा, कुटिल; क्रुद्ध । स्त्री० [अ०] पंक्ति, लकीर । पु० छिपाना; स्त्री या पुरुषका गोपनीय स्थान, गुह्यांग; परदा। -पोश- वि० (वह चीज ) जिससे तन ढाँके, लज्जा-निवारण करें । -पोशी-स्त्री० तन ढाँकना, लज्जा - निवारण |
सतरह - वि०, पु० दे० 'सत्तरह ' । सतराना * - अ० क्रि०कोप, गुस्सा करना; कुढ़ना, बिगड़ना ।
सतरौहाँ० - वि० क्रोधयुक्तः क्रोधसूचक - 'सतरौंही भौंहनि नहीं दुरे दुराये नेह' - मति० ।
सतर्क - वि० [सं०] तर्कयुक्त तर्ककुशल; सचेत, सावधान । सतर्कता - स्त्री० [सं०] सावधानी, होशियारी ।
सतहत्तर - वि० सत्तरसे सात अधिक । पु० सत्तर से सात अधिककी संख्या ७७ । सतांग * - पु० रथ - ' कोउ तुरंग चदि कोउ मतंग चढ़, 'को सतांग चढ़ि धायें' - रघु० । सतानंद - पु० [सं०] गौतमके पुत्र जो राजा जनकके पुरोहित थे, शतानंद |
सताना - स०क्रि०पीडित करना, कष्ट देना; परेशान करना । सतार - वि० [सं०] ताराओंसे युक्त । पु० ग्यारहवाँ स्वर्ग (जैन) ।
सतालू - पु० दे० 'सफतालू' ।
सतावना * - स० क्रि० दे० 'सताना' |
सतावर स्त्री० एक बेल जो झाड़दार होती है और दवा के काम आती है, शतावर ।
सतासी - वि० अस्सीसे सात अधिक । संख्या, ८७ ।
सति स्त्री० दान; अंत, नाश। * वि०, पु० दे० 'सत्य' । सतिवन- पु० सप्तपर्ण, छतिवन ।
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पु० सतासीको
सती-स्त्री० पु० सत्यका अनुयायी ( जती सती ) | [सं०] साध्वी, पतिव्रता स्त्री; पतिके शव के साथ जल जानेवाली स्त्री; संन्यासिनी; दक्षकी एक कन्या; एक वृत्त । -चौरा
० [हिं०] किसी सती के स्मारक के रूपमें बना हुआ चबूतरा ।