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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असुराई-अस्थायी दुष्ट । वि० जीवित; अपार्थिव; ब्रह्म या वरुणका एक विशे- रण आदिमें भूल-चूक न करनेवाला; शुद्ध; सत्पथसे न षण । -गुरु-पु० शुक्राचार्य । -राज-पु० राजा बलि । बहकनेवाल!; अच्युत । -रिपु,-सूदन-पु० विष्णु।। अस्तंगत-वि० [सं०] डूबा हुआ; अवनत; नष्ट लुप्त । असुराई*-स्त्री० असुरत्व उत्पात । अस्त-वि० [सं०] डूबा हुआ फेंका हुआ; गत; समाप्त । असुराचार्य-पु० [सं०] शुक्राचार्यः शुक्र ग्रह । पु० (सूर्य-चंद्रका) डूबना; अदृश्य होना; ह्रास पतन; अंत; असुराधिप-पु० [सं०] राजा बलि । नाश कुंटली में लग्नसे सातवाँ स्थान । -गमन-पु. असुरारि-पु० [सं०] विष्णु; देवता । डूबना लोपः मृत्यु । -गिरि-पु० पश्चिमी पर्वत । असुरी-स्त्री० [सं०] राक्षसी; राई । -व्यस्त-वि० तितर-बितर, जहाँ-तहाँ बिखरा हुआ असविधा-स्त्री० सुभीता न होना; अड़चन; कठिनाई । अव्यवस्थित, बे-तरतीब । असुस्थ-वि० [सं०] अस्वस्थ, बीमार । अस्तन*-पु० दे० 'स्तन'। असहाती*-वि० स्त्री० अच्छी न लगनेवाली, बुरी। अस्तबल-पु० [अ०] अश्वशाला, तबेला। असूझ-वि०अंधकारमय जिसका वारापार न मूझे, अपार; अस्तमन-पु० [सं०] डूबना, अस्त होना । विकट । स्त्री० अदूरदर्शिता । अस्तमित-वि० [सं०] अस्तंगत । असूत*-वि० असंबद्ध । अस्तर-पु० सिले कपड़े, जूते आदिके भीतरकी तह, असूया-स्त्री० [सं०] दूसरेके गुण, सुख, समृद्धि आदिको भितल्ला; अंतरौटा; इत्रकी जमीन; चित्रकी जमीन बाँधनेसहन न कर सकना; दूसरेके गुणमें दोष निकालना का मसाला। जलन, ईर्ष्या रोष; एक संचारी भाव । अस्ताचल, अस्ताद्रि-पु० [सं०] पश्चिमका वह कल्पित असूयिता (त), असूयु-वि० [सं०] ईर्ष्यालु; असंतुष्ट । । पर्वत जिसके पीछे सूर्यका अस्त होना माना जाता है। असूर्यपश्या-वि० स्त्री० [सं०] ऐसे कड़े पर्दे में रहनेवाली कि अस्ति-स्त्री० [सं०] सत्ता, भाव, विद्यमानता । -अस्ति* सूर्यको भी न देख सके । स्त्री० राजमहिषी; पतिव्रता स्त्री। -अ० वाह-वाह ! असृग्दोह-पु० [सं०] खून आना। अस्तित्व-पु० [सं०] सत्ता, हस्ती, विद्यमान होना। असेग*-वि० असह्य, कठिन ।। अस्तिमंत-पु० (दि हैज) धनी या संपन्न व्यक्ति । असेचन, असेचनक, असेचनीय-वि० [सं०] जिसको | अस्तु-अ० [सं०] जो हो, ऐसा हो । देखनेसे तृप्ति न हो, अत्यधिक सुंदर । अस्तुति-स्त्री० [सं०] प्रशंसा न करना; * दे० 'स्तुति' । असेवन-बि० [सं०] सेवा न करनेवाला उपेक्षा करनेवाला; अस्तुरा-पु० दे० 'उस्तुरा' । अभ्यास न कर परित्याग करनेवाला । पु० उपेक्षा त्याग अस्तेय-पु०[सं०] चोरीन करना; चोरी न करनेका व्रत । " ध्यान न देना। अस्त्र-पु० [सं०] हथियार, फेंककर चलाया जानेवाला असेवा-स्त्री० [सं०] (रोगी आदिकी) सेवा-शश्रषा न हथियार (बाण आदि); धनुष, मंत्र-प्रेरित बाण आदि; करना, उपेक्षा। चीर-फाड़का औजार, नश्तर । -कार,-कारक,-कारी असेवित-वि० [सं०] उपेक्षित; जिसकी ओर ध्यान न (रिन्)-पु० हथियार बनानेवाला। -चिकित्सादिया गया हो; जिससे परहेज किया गया हो। स्त्री० चीर-फाड़, शल्य-चिकित्सा । -जीव-जीवीअसैनिक-वि० [सं०] जो सैनिक न हो; सैनिकसे भिन्न | (विन्),-धारी (रिन्) पु० सैनिक । -निर्माण, (सिविल) देश यां समाजके शासन इत्यादिसे संबंध रखने- शाला-स्त्री० (आर्डनेंस फैक्टरी) तोपें, गोला-बारूद वाला (सैनिकका उलटा), मुल्की (फोजी नहीं)।-व्यय- बम आदि तैयार करनेका कारखाना। -मार्जक-पु० पु० (सिविल एक्सपेंडिचर) असैनिक कार्योंके लिए होने- अस्त्र साफ करनेवाला । -लाघव-पु० अस्त्र चलानेकी वाला व्यय । कुशलता । -विद्या-स्त्री० अस्त्र-संचालनकी विद्या, बाणअसैनिकीकरण-पु० [सं०] (डीमिलिटैरिजेशन) किसी विद्या । -वेद-पु० धनुर्वेद । -शस्त्र-पु० हरबा-हथिस्थान या क्षेत्रका सैन्यविहीन कर दिया जाना। यार । -शाला-स्त्री० अस्त्र-शस्त्र रखनेका स्थान । असैला*-वि० कुमार्गगामी; अनुचित । -शिक्षा-स्त्री० अस्त्र-संचालनकी शिक्षा । असोक*-वि०, पु० दे० 'अशोक' । अस्त्रागार-पु० [सं०] हरवा-हथियार रखनेका भंडार, असोच-वि० चिंतारहित, निर्दछ । सलहखाना। असोजा-पु० आश्विन मास, कार । अस्त्री (स्त्रिन)-वि० [सं०] अस्त्रसे लड़नेवाला, अस्त्रधारी। असोढ-वि० [सं०] जिसका सहन न किया जा सके; जो अस्त्रीक-वि० [सं०] बिना स्त्रीका रँडुआ । वशमें न लाया जा सके। अस्थल*-पु० दे० 'स्थल'। असोस*-वि० न सूखनेवाला, अशोष्य । अस्थाई*-वि० दे० 'स्थायी'। असौंदर्य-पु० [सं०] कुरूपता। अस्थान-पु०[सं०] बुरा स्थान या अवसर; *दे० स्थान' । असौंध-पु० दुगंध। अस्थायी (यिन)-वि० [सं०] जो सदा या अधिक दिन असौच-पु० दे० 'अशीच' । रहनेवाला न हो, क्षणिक; अस्थिर । -संधि-स्त्री० असौम्य-वि० [सं०] असुंदर. भद्दा; अप्रिय । (आमिसटिस) युद्ध समाप्त कर देनेके संबंधों की गयी अस्खलित-वि० [सं०] जो फिसले-डगमगाये नहीं; उच्चा-! अस्थायी संधि । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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