________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शिलात्मज-शिश्नोदरपरायण शिलाजीत गेरू । -जित्,-जीत-स्त्री० [हिं०] सूर्यके मंगल, कल्याण, मुखअद्वैत ब्रह्म मोक्ष । वि० मंगलकारी, तापसे तपी शिलाओंसे निकला काला रस जो वैद्यकके शुभावह सुखी। -कांता-स्त्री० पार्वती, दुर्गा ।-कारीअनुसार पुष्टिकारक माना गया है। -तल-पु० पत्थरका (रिन्)-वि० मंगलकारी, शुभावह । -धातु-स्त्री० ऊपरी भाग, शिला, पाषाण-पृष्ठ । -दान-पु० पुराणोक्त पारा।-निर्माल्य-पु. शिवार्पित वस्तु, शिवपुजनकी एक दान जिसमें ब्राह्मणको शालग्रामकी बटिया दी जाती सामग्री, शिवभोग आदि अग्राह्य वस्तु । -पुरी-स्त्री० है। -निर्माण-विज्ञान-पु० (पिट्रोलॉजी) चट्टानोंकी काशीपुरी, वाराणसी, बनारस । -प्रिय-वि. वह जो रचना, स्वरूप आदिका अध्ययन करनेकी विद्या । शिवको प्रिय हो । पु० रुद्राक्ष स्फटिक; धतूरा; बिल्वपत्र; -निर्यास-पु० दे० 'शिलाजीत' । -न्यास-पु० वक वृक्ष । -प्रिया-स्त्री० दुर्गा । -बीज-पु० पारा। (भवनादिकी) नीवँका पत्थर रखना ।-पट्ट-पट्टक-पु० -मौलिसता-स्त्री० गंगा। -रात्रि-स्त्री० शिवका कोई चीज पीसने के लिए शिला-खंड, सिल; बैठनेके लिए एक व्रत-पर्व जो फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशीको होता है। शिला-खंड, पत्थरकी चौकी; पत्थरका टुकड़ा, चट्टान । -रानी-[हिं०] स्त्री० पार्वती। -लिंग-पु० मिट्टी, -पुत्र-पुत्रक-पु० किसी वस्तुको पीसनेवाला थोड़ा पत्थरकी शिवकी लिंगमूर्ति, पिंडी। -लोक-पु. वह लंबा और गोला पत्थर, लोढ़ा।-फलक-पु० शिलापट्टक, लोक जहाँ शिव निवास करते हैं, कैलास ।-वल्लभ-पु. पत्थरकी पटिया । -बंध-पु० पत्थरका बना परकोटा, आम्र वृक्ष । -वल्लभा-स्त्री० शतपत्री, सेवती; सफेद किलेकी चहारदीवारी। -भव-पु० शिलाजीत; शैलेय। गुलाब; दुर्गा, पार्वती । -वीर्य-पु० पारा। -मुद्रित-वि० (लिथोग्राफ्ड) विशेष प्रकारके पत्थरपर शिवता-स्त्री०, शिवत्व-पु० [सं०] शिवपद, शिवलिख या खोदकर छापा हुआ।-रस-पु० शैलेय नामक सायुज्य; अमरता; मोक्ष । गंधद्रव्य । -रोपण-पु० दे० 'शिला-न्यास' ।-लिपि- शिवा-स्त्री० [सं०] शिवकी पत्नी, पार्वती, दुर्गा; शृगाली; स्त्री०,-लेख-पु० सम्राट, धर्माचार्य आदि विशिष्ट मुक्ति कल्याणी नारी, भाग्यशालिनी स्त्री। व्यक्तियों द्वारा किसी वस्तुके प्रचार, प्रमाण, स्थायित्व शिवानी-स्त्री० [सं०] शिवको पत्नी, पार्वती, दुर्गा । आदिके लिए पत्थरपर खोदवाया अनुशासन, आदेश, शिवाराति-पु० [सं०] कुत्ता (शिवा-शृगाली); कामदेव । दान आदि । -वृष्टि-स्त्री० उपलवृष्टि, ओलोंकी वर्षा | शिवालय-पु० [सं०] वह मंदिर जिसमें शिवमूर्ति, शिव-सार-पु. लोहा । -स्वेद-पु० शिलाजीत ।-हरि- लिंग स्थापित हो; देवमंदिर । पु० शालग्रामकी बटिया, मूर्ति ।
शिवाला-पु० दे० 'शिवालय'। शिलात्मज-पु० [सं०] लोहा ।
शिविका-स्त्री० [सं०] डोली, पालकी; अरथी; चबूतरा । शिलास्व-पु० [सं०] शिलाका भाव या धर्म, पत्थरपन । शिविर-पु० [सं०] सेनाके लिए विश्रामस्थल, सेना निवेश शिली-स्त्री० [सं०] दरवाजेके चौखटके नीचेकी लकड़ी, तंबू, खेमा; दुर्ग, किला । डेहरी स्तंभशीर्ष; भाला; बाण; मेंढकी; केंचुआ ।-पद- शिवेतर-वि० [सं०] अमंगल, अशुभ । पु० श्लीपद, पादस्फीति, फीलपाँव रोग। -मुख-पु० शिशिर-पु० [सं०] भारतकी छः ऋतुओंमेंसे एक ऋतु भ्रमर युद्ध; बाण; मूर्ख ।
जो माघ और फाल्गुनमें पढ़ती है। ओप्स; शीत, शीतशिलेय-वि० [सं०] शिला-संबंधी पथरीला। पु० शैलेय काल । वि० शीतल । -काल,-समय-पु० जाड़ेकी गंधद्रव्य शिलाजीत ।।
ऋतु, शिशिर ऋतु । -किरण,-दीधिति-पु. चंद्रमा। शिलोद्भव-पु०[सं०] शैलेय गंधद्रव्य; एक प्रकारका चंदन। -न-पु० अग्नि । -मयूख,-रश्मि-पु०चंद्रमा । शिल्प-पु० [सं०] कला आदि कर्म, हुनर, कारीगरी शिशिरांत-पु० [सं०] शिशिर ऋतु समाप्त होनेपर आनेस्रवा। -कला-स्त्री० दस्तकारीका कौशल, हुनरकी वाली ऋतु, वसंत ऋतु । दक्षता । -कार,-कारक,-कारी (रिन्)-पु० शिल्पी, | शिशिरांशु-पु० [सं०] चंद्रमा। कारीगर ।-कौशल-पु. शिल्पकला, शिल्पचातुर्य ।-गृह- शिशु-पु० [सं०] नवजातसे लेकर लगभग आठ वर्षतकके पु० कारीगरोंके काम करनेका स्थान, कारखाना । वयका बालक; बालक, बच्चाजानवरों, पक्षियों आदिका -जीवी(विन)-पु० कारीगरीका काम करके जीवन- बच्चा, शावक । -कल्याण-केंद्र-पु० (चाइल्डवेलफेयर यापन करनेवाला व्यक्ति, शिल्पी । -लिपि-स्त्री० पत्थर सेंटर) वह स्थान जहाँ बच्चों के स्वास्थ्य आदिकी देखभाल आदिपर अक्षर खोदना। -विद्या-स्त्री० वस्तु-निर्माण- की जाती और विविध उपायों द्वारा उनके हित-साधनका पद्धतिका शान, चीजोंको बनानेके ढंगकी जानकारी। प्रयत्न किया जाता है। -पाल-पु० चेदि (वर्तमान -विद्यालय-पु० शिल्प-शिक्षाका स्कूल ।-शाला-स्त्री. बुंदेलखंड) का एक प्रसिद्ध राजा जिसे कृष्णने मारा था। शिल्प विद्यालय; शिल्प संबंधी काम करनेका स्थान या -मार-पु. ( स नामका जलजीव । घर, शिल्पगृह, कारखाना । -शास्त्र-पु. वह शास्त्र, शिशुता-स्त्री० [सं०] लड़कपन, बचपन । विद्या, ग्रंथ जिसमें शिल्प-संबंधी निर्माणका शान, विवेचन | शिशताई*-स्त्री० दे० 'शिशुता' । हो, शिल्प-विद्या, शिल्प-विज्ञान ।
शिशुख-पु०सं०] दे० 'शिशुता' । शिल्पी(ल्पिन्)-पु० [सं०] शिल्पकार, कारीगर । शिशुपन*-पु० बचपन, लड़कपन । शिव-पु० [सं०] महादेव, महेश, हिंदुओंके तीन प्रधान शिश्न-पु० [सं०] पुरुषकी जननेंद्रिय, पुरुषका उपस्थ । देवताओं(त्रिमूर्ति)मेंसे एक जिनका कार्य सृष्टिसंहार है। शिश्नोदरपरायण-वि० [सं०] कामुक और उदरंभरि
For Private and Personal Use Only