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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शशक-शह -पहल,-पहलू-वि० छ कोनोंवाला, षट्कोण ।-माही- प्रकारका केतु जिसके दिखाई देनेपर महामारी फैलती है। वि० हर छ महीने में होनेवाला (परीक्षा इ०), छमाही। शस्त्रागार-पु० [सं०] दे० 'शस्त्रगृह' । शशक-पु० [सं०] खरगोश । -विषाण-पु०असंभव बात || शस्त्राजीव-पु० [सं०] दे० 'शस्त्रजीवी' । शशांक-पु० [सं०] चंद्रमा । -ज-पु० बुध । -मुकुट, शस्त्री-स्त्री० [सं०] छोटा शस्त्र, छुरी । -शेखर-पु० शिव । -सुत-पु० बुध ग्रह ।। शस्त्री(स्त्रिन्)-वि० [सं०] शस्त्रधारी, शस्त्रसे सुसज्जित । शशा-पु० दे० 'शश'। पु० सैनिक। शशि-पु० दे० 'शशी'। शस्त्रोपजीवी(विन)-पु० [सं०] दे० 'शस्त्रजीवी' । शशी(शिन् )-पु० [सं०] चंद्रमा । -कर-पु० चंद्रमा. शस्य-वि० [सं०] प्रशंसनीय; श्रेष्ठ, बढ़िया। पु० नयी की किरण । -कला-स्त्री० चंद्रकला, चंद्रमाका अंश: - घास फसल; अन्न, धान्य; वृक्षादिसे निकला हुआ फल, एक वर्णवृत्त । -कांत-पु० चंद्रकांत मणि कुमुद ।। फूल आदि; योग्यता, गुण । -क्षेत्र-पु० अनाजका क्षेत्र । -खंड-पु० चंद्रमाकी कला शिव । -ग्रह-पु० चंद्र- -ध्वंसी(सिन)-पु० तून या तूर्णका पेड़ । वि० धान्यग्रहण । -ज-पु० बुध ग्रह । -तिथि-स्त्री० पूर्णिमा । का नाश करनेवाला । -भक्षक-वि० अनाज खाने-धर-पु० शिव । -पुत्र-पु० बुध ग्रह । -प्रभ- वाला ।-मंजरी-स्त्री० गेहूँ आदिकी नयी बाल, कणिश। वि० जो चंद्रमाके सदृश प्रभासे युक्त हो । पु० मोती; -शाली(लिन्),-संपन्न-वि० धान्यसे परिपूर्ण । कुमुद । -प्रभा-स्त्री० चाँदनी। -प्रिया-स्त्री० सत्ता- -संपद-स्त्री० धान्यकी बहुलता । ईसों नक्षत्र जिन्हें पुराणोंने चंद्रमाकी पत्नियाँ माना है। शस्यागार-पु० [सं०] अन्न रखनेका स्थान, खलिहान । -भाल,-भूषण,-भृत्-पु० शिव । -मंडल-पु० | शस्यारु-पु० [सं०] शमी वृक्षका एक भेद । चंद्रमंडल, चंद्रमाका घेरा। -मणि-पु. चंद्रकांत मणि ।। शहंशा, शहंशाह-पु० [फा०] राजाओंका राजा, सम्राट् । -मुख-वि० चंद्रमाके समान मुखवाला। [स्त्री० 'शशि-शहंशाही-स्त्री० शहंशाहका भाव या कार्य; शाही रंगमुखी'] । -मौलि-पु० शिव । -रस-पु. सुधा, ढंग; शहंशाहका पद । वि० शाही दंगका, राजसी। अमृत । -रेखा-स्त्री. चंद्रकला। -लेखा-चंद्ररेखा; शह-पु० [फा०] (शाहका लघु रूप) बादशाह; मदद एक वर्ण वृत्त; गुडुची। -वदना-स्त्री० एक वर्णवृत्त । | हिमायत; उकसाना, उभारना; शतरंज में बादशाहको वि० स्त्री० शशिमुखी। -शाला-स्त्री० शीशमहल । दी गयी किश्त पतंगको धीरे-धीरे डोर पिलानेकी क्रिया, -शेखर-पु० शिव । -सुत-पु० बुध । -हीरा-पु० ढील । -कार-पु० दे० 'शाहकार'। -चाल-स्त्री. [हिं०] चंद्रकांत मणि । शतरंजके बादशाहकी चाल जो कोई और मुहरा न रह शशीश-पु० [सं०] शिव।। जानेपर चली जाती है। -जादगी-स्त्री० शहजादा शस्ति-स्त्री० [सं०] प्रशंसा; स्तुति । होनेकी स्थिति, चाल । -जादा-पु० शाहका बेटा, राजशसा*-पु० खरहा। कुमार । -जादी-स्त्री० बादशाहकी बेटी, राजकुमारी। शस्त्र-पु० [सं०] हथियार, अस्त्र औजार, उपाय । -कर्म- -ज़ोर-वि० अति बली।-ज़ोरी-स्त्री० बलवान् होना; (न्)-पु. फोड़े आदिके चीरने-फाइनेका काम । जबरदस्ती। -तरा-पु० दे० 'शाहतरा। -तीर-कार-कारक-पु० शस्त्र निर्माता । -कोष-पु० शस्त्र पु० पाटनके नीचे दी हुई बड़ी कड़ी। -तूत-पु० एक रखनेका खाना, म्यान । -क्रिया-स्त्री० फोड़े आदिको। प्रसिद्ध पेड़ और उसका फल जो पकनेपर काफी मीठा चीरने फाड़नेका काम । -गृह-पु० जहाँ अनेक प्रकारके होता है। -पर-पु० पक्षीके डैनेका सबसे बड़ा पर । शस्त्र रखे जाते हों, शस्त्रागार । -चिकित्सा-स्त्री० शस्त्र (मु०-पर झाड़ना-पक्षीका डैनेको फैलाकर जोरसे द्वारा उपचार, शल्य-चिकित्सा (सर्जरी)। -जीवी. हिलाना कि खराब और कमजोर पर झड़ जायें)। (विन)-पु० युद्ध ही जिसकी जीविका हो वह, सैनिक। -बाज़-पु. बड़ा बाज; बड़ी जातिका बाज । - -त्याग-पु० हथियार डाल देना, शस्त्रन्यास । -धर- बाला-पु. विवाहकी प्रायः सभी रस्मोंमें वरके साथ धारी(रिन्),-भृत्-वि० शस्त्र धारण करनेवाला । रहनेवाला छोटा लड़का जो आम तौरसे उसका छोटा पु० योद्धा, सैनिक। -निर्माणशाला-स्त्री. (आर्डनेंस भाई होता है। -बुलबुल-स्त्री० लाल देह और काली फैक्टरी) तोप, गोले तथा शस्त्रादि तैयार करनेका कार- गर्दनवाली बुलबुल । -मात-स्त्री० शतरंजमें बादशाहको खाना । -न्यास-पु० शस्त्रोंका परित्याग । -पाणि- ऐसी जगह किश्त देना कि उसके चलनेके लिए कोई वि०, पु० दे० 'शस्त्रधर'। -पूत-वि० शस्त्रों द्वारा घर न रह जाय और मात हो जाय; (ला०) निरुत्तर, रणभूमिमें निहत होनेके कारण जो पवित्र हो गया हो। चुप कर देनेवाली बात । (मु०-मात करना-निरुत्तर, -प्रहार-पु० शस्त्रकी चोट या आघात । -विद्या-स्त्री० चुप कर देना)। -रग-स्त्री० दे० 'शाहरग' । -रुखशस्त्र चलानेका शान, कौशल; धनुर्वेद । -वृत्ति-पु० स्त्री० शतरंज में बादशाहको रुख (हाथी)की शह ।-रुखीवह जिसकी जीविका शस्त्र चलानेपर ही आश्रित हो, स्त्री० बादशाहको ऐसे घरमें रखना जिससे रुखकी शह सैनिक । -शाला-स्त्री० शस्त्रगृह, शस्त्रागार । -शास्त्र- पड़े, सामनेकी चोट । -सवार-पु० कुशल घोड़सवार । पु० दे० 'शस्त्रविद्या' ।-हत-वि० शस्त्र द्वारा मारा गया -सवारी-स्त्री० अच्छी घोड़सवारी। मु०-देना-लड़ने(आदमी, जानवर आदि)। झगड़नेको उकसाना, उभारना; शतरंजमें बादशाहको शस्त्राख्य-पु० [सं०] शस्त्रकेतु, पूर्व में उदित होनेवाला एक किश्त देना; पतंगको डोर पिलाना, ढील देना। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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