________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शर्तिया-शश शर्त पर।
सर्जन, चीर-फाड़ द्वारा चिकित्सा करनेवाला, शल्यशर्तिया, शर्तीया-वि० अचूक, पक्का (-इलाज)। अ० चिकित्सक। -क्रिया-स्त्री० शस्त्रचिकित्सा। -चिकिशर्त बदकर।
त्सक-पु. (सर्जन) फोड़ों, विकृत या रुग्ण अंगोंको शर्ती-वि०किसी शर्त,प्रतिज्ञापर आश्रित । अ०दे० शर्तिया। चीर-फाड़कर ठीक करनेवाला तथा टूटी या स्थानच्युत शर्बत-पु० दे० 'शरबत'।
हड्डी आदिको जोड़ने-बैठानेवालाचिकित्सक ।-चिकित्साशर्बती-वि० दे० 'शरबती' ।
स्त्री० चीर-फाड़ द्वारा शरीरको नीरोग करनेकी विधि । शर्म-स्त्री० [फा०] लज्जा, हया; इज्जत, लाज (रखना, -तंत्र-पु. शल्यशास्त्र संबंधी आयुर्वेदीय ग्रंथ, सुश्रुतमें रहना); खयाल, लिहाज । -गी-वि० शर्मिदा, लज्जा- वर्णित आठ तंत्रोंमेंसे एक तंत्र जिसमें चीर-फाड़के शस्त्रों युक्त । -नाक-वि० लजानेलायक, लज्जाजनक ।-सार- आदिका वर्णन है। -लोम (न)-पु० साहीका काँटा । वि० शर्मिदा, लज्जित । मु०-आना-लाज लगना । -विज्ञान-पु०,-विद्या-स्त्री० (सर्जरी) चीर-फाड़ द्वारा -करना-लज्जित होना; लिहाज करना। -की बात- फोड़ों या विकृत एवं रुग्ण अंगादि ठीक करनेकी विद्या लज्जाजनक कार्य । -खाना-लज्जा अनुभव करना। या शास्त्र । -शास्त्र-पु. वह शास्त्र जिसमें शल्यचिकि -से गटरी हो जाना-(दुलहिनका) लाजके मारे सुकड़. त्साका वर्णन हो। कर गठरीसा बन जाना, जमीनमें गड़ जाना।
शल्यारि-पु० [सं०] शल्यराजको मारनेवाले युधिष्ठिर । शर्म(न्)-पु० [सं०] सुख, आनंदगृह (वै०); आश्रय: शल्याहरण-पु० [सं०] शरीरमें गड़े काँटे, बाण आदिको
आशीर्वचन: रक्षा । -द-वि० आनंददायक । पु० विष्णु। निकालनेका कार्य। शर्मा(मन)-पु० [सं०] ब्राह्मणवर्ण-बोधक उपाधि । शल्योद्धरण-पु० [सं०] दे० 'शल्याहरण'। शर्माऊ, शर्माल-वि० लज्जाशील, शीला ।
शल्योद्योग-पु० (सजिकल इट्र मेंट्स इंडस्ट्री) शल्यचिकिशर्माना-स० कि०, अ० कि० दे० 'शरमाना'।
त्सामें प्रयुक्त होनेवाले औजारोंके निर्माणका उद्योग । शर्माशर्मी-अ० लज्जावश, संकोचवश ।
शल्ल-पु० [सं०] त्वचा; वस्कल, पेड़की छाल, मेढक । शर्मिंदगी-स्त्री० [फा०] शर्मिंदा होना।
शल्लक-पु० [सं०] सलईका पेड़ दे० 'शल्ल' । शर्मिदा-वि० [फा०] लज्जित, लजाया हुआ।
शल्ली-स्त्री० [सं०] दे० 'शल्ल'; साही नामक जंतु । शर्मीला-वि० लज्जाशील ।
शव-पु० [सं०] लाश, मृत शरीर ।-काम्य-पु० कुत्ता। शर्व-पु० [सं०] शिवः विष्णु ।
-दहन,-दाह-पु० मृत शरीर जलानेकी क्रिया । शर्वर-पु० [सं०] कंदर्प, कामदेव, अंधकार संध्याकाल । ~दाहस्थान-पु० श्मशान । -परीक्षा-स्त्री. मृत्युके शर्वरी-स्त्री० [सं०] रात्रि; हल्दी। -कर-पु० चंद्रमा । कारणका पता लगानेके लिए की गयीं शवकी जाँच । -नाथ,-पति-पु० चंद्रमा ।
-भस्म(न)-पु० जले मुद्देकी राख । -यान,-रथशर्वरीश-पु० [सं०] चंद्रमा ।
पु०श्मशानतक शव ले जानेके लिए बाँस, लकड़ी आदिकी शर्वाणी-स्त्री० [सं०] शिव-पत्नी, पार्वती।
बनी अरथी, टिकठी।-शयन-पु० श्मशान -समाधिशलराम-पु० [फा०] एक कंदशाक जिसकी जड़ तरकारी, स्त्री० शवको भूगर्भ अथवा जल में रखने, टालनेका
अचार आदिके रूप में और पत्तेसागकी तरह खाये जाते हैं। संस्कार । -साधन-पु० श्मशानमें शवपर बैठकर मंत्र शलजम-पु० दे० 'शलराम' ।
जगानेकी तंत्रशास्त्रोक्त क्रिया, साधना ।। शलजमी-वि० शलजमसे मिलता-जुलता। -आँखें- | शवर-पु० [सं०] दे० 'शबर' ।-लोध्र-पु० सफेद लोध्र । बड़ी-बड़ी आँखें।
शवरी-स्त्री० दे० 'शबरी'। शलभ-पु० [सं०] पतंग, फतिंगा; टिड्डी; छप्पय छंदका शवल-वि० [सं०] दे० 'शबल' । एक भेद; एक असुर (साहित्यमें शलभ (पतंग)को प्रेमीका शवलित-वि० [सं०] मिश्रित चिह्नित । प्रतीक माना गया है)।
शवली-स्त्री० [सं०] दे० 'शबला । (चितकबरी गाय)। शलाका-स्त्री० [सं०] किसी धातु, लकड़ी आदिकी बनी शवाच्छादन-पु० [सं०] कफन, मृतचेल । सलाई, सीख सुरमा लगानेकी सलाई फोड़े,धाव आदिकी शवान-पु० [सं०] गला-पचा अन्न अखाद्य अन्न; शवमांस। गहराई नापनेवाली डाक्टरको सलाई; छातेकी तीली शव्वाल-पु० [अ०] हिजरी सन्का दसवाँ महीना । पासा, बाण; चित्रकारकी कूँची, तूला; सलई (बैलट) शश-पु० [सं०] शशक, खरगोश, खरहा; चंद्र लांछन, वह छोटी, रंगीन गोली, पुरजा या टिकट जो चुनावके चौदका धब्बा; लोध्र वृक्षा बोल गंधद्रव्य; कामशास्त्रोक्त समय मतदाता द्वारा गुप्त रूपसे मत-दान-पेटीमें डाला। पुरुषके चार प्रकारों से एक प्रकार (शशपुरुष मृदुभाषी, जाता है। इस प्रकारका गुप्त मतदान ।
सुशील, कोमल शरीरवाला, मुकेश, सकलगुणनिधान शली-स्त्री० [सं०] साही नामक जंतु जिसके शरीर भरमें और सत्यभाषी होता है)।-घातक,-घाती(तिन्)काँटे होते हैं।
पु० बाज पक्षी । -धर-पु०चंद्रमा कपूर । -लक्षण,शलूका-पु० दे० 'सलूका' ।
लांछन-पु० चंद्रमा । -विषाण,-शृंग-पु० जैसे खरशल्य-पु०[सं०] कील, खूटी; काँटा; शलाका, बाणभाला | गोशके सींगोंका होना असंभव है वैसी ही कोई असंभव डाक्टरका चीरफाड़ करनेका औजार, विष; दुर्वचन; पाप; बात, आकाशकुसुम । अस्थि, साही जानवर ।-कर्ता(त),-कार-पु० जराह, शश-वि० [फा०] पाँच और एक, छ । पु०६ की संख्या।
For Private and Personal Use Only