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शकट-शत
७६४ महाराज शालिवाहन द्वारा प्रवर्तित एक संवत् । शक्यार्थ-पु० [सं०] शब्दकी अभिधा शक्तिसे शेय अर्थ । शकट-पु० [सं०] गाड़ी जिसे पशु अथवा मनुष्य खींचे, शक्र-पु० [सं०] इंद्र; शिव; चौदहकी संख्या (चौदह इंद्र छकड़ा, सग्गड़, बैलगाड़ी; एक राक्षस । -व्यूह-पु० होनेके कारण)। -गोप-पु० इंद्रगोप, बीरबहूटी । शकटके आकार में रचित व्यूह, सैन्यरचना ।-हा(हन्)- -चाप-पु० इंद्रधनुष । -ज,-जात-पु० कोआ। - पु० कृष्ण ।
जित्-पु० मेघनाद ।-नंदन-पु० अर्जुन । -वाहनशकर-स्त्री० [फा०] चीनी, शर्करा, बूरा ।-कंद-पु०मोटी पु० मेष । -सुत-पु० जयंत; बालि; अजुन । मूलीकी शकलका एक कंद जो काफी मीठा होता है और | शक्राणी-स्त्री० [सं०] शची, इंद्राणी । जिसे उबाल या भूनकर खाते हैं। -ज़बान-वि० | शक्ल-स्त्री० [अ०] रूप, आकृति चेहरा नकशा, बनामधुरभाषी। -पारा-पु. एक मिठाई (एक तरहका वट; ढंग, अंदाज; उपाय, ढब (निकलना, निकालना); खुरमा)। मु०-से मुह भरना-खुशखबरी सुनानेवाले- रेखागणितकी कोई आकृति । मु०(अपनी)-तो देखो को मिठाई खिलाना।
(देखिये)-अपनी योग्यता, अपनी सामर्थ्य तो देखो, शकल-पु० [सं०] चमड़ा; छिलका, छाल; खंड, टुकड़ा। अनधिकार चेष्टापर व्यंग्य । -दिखाना-मिलना, सामने शकल-स्त्री० दे० 'शक्ल'।-सूरत-स्त्री० मुखाकृति, रूप। आना। -देखते रह जाना,-देखा करना-चकित, शकांतक-पु० [सं०] शक लोगोंको देशके बाहर निकाल मुग्ध हो जाना। -न दिखाना-न मिलना, मुँह देनेवाला, विक्रमादित्य ।
छिपाना। -पकड़ना-रूप, आकार ग्रहण करना । शकाब्द-पु० [सं०] दे० शक-संवत्' ।
-पहचानना-सूरतसे पहचानना चेहरा या सूरत देखशकारि-पु० [सं०] दे० 'शकांतक' ।
कर शीलस्वभाव जान लेना (मैं चोरको शकृसे पहचानता शकुंत-पु० [सं०] चिड़िया, पक्षी, नीलकंठ ।
हूँ)। -बनाना-शकु बिगाड़ना, असुंदर बन जाना। शकुंतला-स्त्री० [सं०] मेनका और विश्वामित्रके सहवाससे | -बिगाड़ना-चेहरेको असुंदर कर लेना या कर देना; उत्पन्न तथा कण्व ऋषि द्वारा पालित-पोषित कन्या, दुष्यंत- पीटकर मुँहको सुजा देना। की पली तथा उनके पुत्र भरतकी माता; कालिदासका | शरस-पु० [अ०] मानवदेह व्यक्ति, आदमी। एक प्रसिद्ध नाटक।
शरूसी-वि० [अ०] एक आदमीका, वैयक्तिक ।-हुकूमतशकुन-पु० [सं०] विशिष्ट पशु, पक्षी, व्यक्ति, वस्तु, स्त्री० एकतंत्र राज्य । व्यापारके देखने-सुनने, होने आदिसे मिलनेवाली शुभ, शरसीयत-स्त्री० [अ०] वैयक्तिक विशेषताएँ; व्यक्तित्व । अशुभकी पूर्वसूचना, सगुन शुभ घड़ी, शुभ अवसरपर शग़ल-पु० [अ०] काम धंधा; मनबहलाव । होनेवाले, मंगल कार्यमें गाये जानेवाले गीत; पक्षी। शगुन-पु० दे० 'शकुन'; विवाह पक्का होनेकी रस्म -शास्त्र-पु० वह शास्त्र जिसमें शकुनके शुभाशुभ होने तिलक। तथा उसके फलोंका विचार किया गया हो।
शगूफा-पु० दे० 'शिगूफा'। शकुनि-पु० [सं०] पक्षी; गिद्ध चिल्ल; दुर्योधनका मामा । शचि, शची-स्त्री० [सं०] इंद्राणी; बल, क्रियाशक्ति वाणी, शक्कर-स्त्री० दे० 'शकर' (चीनी)।
वाक्य शक्ति पवित्र कर्म प्रज्ञा सतावर । -पति-पु० इंद्र। शक्की-वि० शक करनेवाला, शंकाशील ।
शजरा-पु० [अ०] वंशवृक्ष, नसबनामा । शक्त-वि० [सं०] शक्तिमान् समर्थ पटु ।
शटा-स्त्री० [सं०] जटा; सिंहकेसर, शेरका अयाल । शक्ति-स्त्री० [सं०] बल, सामर्थ्य क्षमता, योग्यता; वश; शठ-वि० [सं०] धूर्त; लंपट मूढ आलसी; मध्यस्थ; जड़। प्रभाव एक तरहका बाण; साँग, तलवार, तंत्रमतवणित पु०छलिया नकली प्रेम प्रकट करनेवाला नायक धतूरेका किसी पीठकी सृष्टि, पालन, प्रलय आदि सामर्थ्य से युक्त पेड़, तगर, कुंकुम, लोहा । अधिष्ठात्रि देवी दुर्गा, लक्ष्मी, गौरी; ईश्वर-शक्ति (माया, शठता-स्त्री०, शठत्व-पु० [सं०] शठका भाव, कर्म प्रकृति); देव-शक्ति (वैष्णवी, रौद्री इ०); राज-शक्ति (प्रभु, अथवा धर्म । मंत्र, उत्साह); शब्द-शक्ति (अभिधा, लक्षणा, व्यंजना)। शण-पु० [सं०] सनका क्षुप । -तुलाधर-पु० स्वामी कात्तिकेयभाला-बरदार ।-पर-शत-पु० [सं०] सौकी संख्या। वि० सौ; असंख्य । स्तात्-अ० (अलट्रावायर्स) किसाकी शक्ति या अधिकारके -कोटि-पु० इंद्रका वज्र । स्त्री० सौ करोड़। -क्रतुबाहर । -पूजक-पु० शक्तिका उपासक, शाक्त, तांत्रिक । वि० जिसने सौ यज्ञ किये हों। पु० इंद्र। -खंड-पु० -पूजा-स्त्री० शक्तिकी उपासना। -भृत्-पु० स्वामी सोना, सुवर्ण । -गु-वि० सौ गायोंका मालिक ।-ग्रंथिकात्तिकेय ।-संतुलन-पु० (बैलेंस ऑफ पावर ) परस्पर स्त्री०दूब ।-नी-स्त्री० पत्थर में लोहेकी कीलोंको गाड़कर विरोध करनेवाले देशोंका ऐसा विभाजन या गुटबंदी बनाया गया चार ताल लंबा प्राचीन शस्त्र एक बारमें जिससे दोनों ओरकी शक्ति संतुलित रहे, बलसाम्य । सौ आदमियोंको मारनेवाला शस्त्र (या तोप ?) । -संपन-पु० शक्तिशाली, बलवान् ।
-दल-पु० कमल । -दु-स्त्री० पंजाबकी पाँच नदियोंशक्तिमत्ता-स्त्री०, शक्तिमत्व-पु० [सं०] शक्ति-युक्त मेंसे एक, सतलज नदी। -पत्र-पु. कमल; मयूर । होनेका भाव ।
-पद-पु. कनखजूरा, गोजर । -पदी-स्त्री० दे० शक्तु-पु० [सं०] सत्त ।
'शतपद'। -पाद-पु० दे० 'शतपद'। -पुत्री-स्त्री. शक्य-वि० [सं०] होने योग्य, साध्य, संभव । | सतपुतिया । -मख-पु० इंद्र उल्लू । -मन्यु-बि०
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