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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुकूल । ७५७ वैधवेय-वैश्य वैधवेय-पु० [सं०] विधवाका, विधवाके गर्भसे उत्पन्न पुत्र । वि० शत्रुता पैदा करनेवाला । -कारी(रिन्),-कृत्वैधव्य-पु० [सं०] रँडापा ।-लक्षणोपेता-स्त्री० वैधव्यके वि० झगड़ालू । -प्रतिक्रिया-स्त्री०,-प्रतीकार-पु० चिह्नोंसे युक्त (विवाहके अयोग्य) कन्या। वैर-प्रतिशोध । -भाव-पु० शत्रुता ।-रक्षी(क्षिन्)वैधानिक-वि० [सं०] विधान-संबंधी; विधान(संविधान)के वि० शत्रुताका निवारण करनेवाला। -शुद्धि-स्त्री० वैरका बदला। -व्रत-पु० शत्रुताका व्रत, प्रतिशा। वेधीकरण-पु० [सं०] (वैलिडेशन) विधिके अनुरूप या वैरल्य-पु० [सं०] विरलता, न्यूनता । अनुकूल बना देना, वैध रूप दे देना। वैरस, वैरस्य-पु० [सं०] विरसता; अनिच्छा, इच्छा वैधुर्य-पु० [सं०] विधुरता, वियोग; अविद्यमानता; कात- न होना, अरुचि।। रता नैराश्य। वैरागी(गिन)-पु० [सं०] एक वैष्णव संप्रदाय, उदासी। वैनतेय-पु० [सं०] विनता-पुत्र, गरुड़ । वि०विषयकी इच्छासे रहित, विरक्त, उदासीन । वैनयिक-वि० [सं०] विनय, शिष्टता, अनुशासन-संबंधी। वैराग्य-पु० [सं०] रंग बदलना, विवर्ण होना; विषयवैनायक-वि० [सं०] विनायक, गणेश-संबंधी। वासना और सांसारिक संबंधोंसे मनका उचट जाना, वैनाशिक-वि० [सं०] विनाश-संबंधी; नश्वर विनाशमें विरक्ति, उदासीनता। विश्वास करनेवाला विनाश करनेवाला । वैराज्य-पु० [सं०] दो राजाओंकी संयुक्त शासनप्रणाली, वपरीत्य-पु० [सं०] विपरीत होनेका भाव, प्रतिकूलता। दुराज; ऐसे शासनवाला देश विदेशी शासन । वैपारी-पु० दे० 'व्यापारी' । वैरि-पु० [सं०] वैरी, दुश्मन । वैपुल्य-पु० [सं०] प्राचुर्य, अधिकता: विशालता। वैरी(रिन)-वि० [सं०] शत्रुतापूर्ण । पु० शत्रुः योद्धा । वैफल्य-पु०[सं०] विफलता; निरर्थकता, उपयोगराहित्य । वैरूप्य-पु० [सं०] विरूपता; विकृति; कुरूपता; रूप. वैभव-पु० [सं०] शक्ति; ऐश्वर्य; गौरवान्वित पद; महत्ता विभिन्नता । __ अलौकिक शक्ति ।-शाली(लिन)-वि० वैभव-विशिष्ट वरेचन, वैरेचनिक-वि० [सं०] विरेचन संबंधी। ऐश्वर्यवाला। वैरोचन-वि० [सं०] सूर्य-संबंधी; विरोचनसे उत्पन्न । पु० वैभापिक-वि० [सं०] वैकल्पिक । पु० विभाषा (एक बौद्ध | सूर्यका एक पुत्र; विरोचनका पुत्र, बलि ।-निकेतन-पु० संप्रदाय)का अनुयायी। पाताल । वैभिव्य-पु० [सं०] विभिन्नता । वैरोचनि-पु० [सं०] बलि; एक बुद्ध; सूर्यका एक पुत्र । वैभ्राज-पु० [सं०] विष्वक्सेन; एक लोक; एक पर्वत; एक वैलक्षण्य-पु० [सं०] विचित्रता विभिन्नता; अंतर । देवोद्यान, देवोद्यानस्थ सरोवर; एक अरण्य । वैवर्ण-पु० दे० 'वैवर्ण्य' । वैभ्राजक-पु० [सं०] एक देवोद्यान । वैवर्य-पु० [सं०] विवर्णता, रंग बदल जाना; मालिन्य । चमत्य-पु० [सं०] मतभेद, फूट; नापसंदी। -सूचक- | वैवश्य-पु० [सं०] विवशता; आत्मानयत्रणका अभाव वि० (डिसकॉट) असहमति या भिन्न मत सूचित करने वैवाहिक-वि० [सं०] विवाह-संबंधी। वैवाह्य-वि० [सं.] विवाह-संबंधी विवाह द्वारा संबद्ध । वैमनस्य--पु० [सं०] अन्यमनस्कता; मनमुटाव, वैर । पु० विवाह-संस्कार। वैमल्य-पु० [सं०] निर्मलता, स्वच्छता, विशुद्धता । वैशंपायन-पु० [सं०] वेदव्यासके शिष्य (इन्होंने जनमे. वैमात्र, वैमात्रेय-वि० [सं०] सौतेला । पु० सौतेला भाई। जयको महाभारतकी कथा सुनायी थी); एक प्राचीन ऋषि । वैमात्रक-पु० [सं०] सौतेला माई।। वैशद्य-पु० [सं०] विशदता, निर्मलता; कांति स्पष्टता । वैमात्रा, वैमात्री, वैमात्रेयी-स्त्री० [सं०] सौतेली बहन । वैशाख-पु० [सं०] चैत्रके बादका महीना; मथानी। वैमानिक-वि० [सं०] विमान-संबंधी। पु० विमानारोही; | -नंदन-पु० गधा। गगनपर्यटक; (एअरमैन) विमान-चालन आदिका काम | वैशाखी-स्त्री० [सं०] वैशाखकी पूर्णिमा । करनेवाला, विमानका चालक या अन्य कर्मचारी। वैशारद्य-पु० [सं०] दक्षता, पांडित्य; बुद्धि । वैमुख्य-पु० [सं०] विरक्ति; विमुखता; पलायन; घृणा। वैशिक-वि० [सं०] वेश्यागामी । पु० वेश्यागामी नायक । वैयक्तिक-वि० [सं०] व्यक्तिगत, निजी। -बंध-पु० | वैशिष्ट-पु० [सं०) विशिष्टता, विशेषता; अंतर । (पर्सनल बांड) किसी व्यक्ति द्वारा लिखा गया ऐसा प्रति- वैशिष्ट्य-पु० [सं०] विशेषता, अंतर; श्रेष्ठता। ज्ञापत्र जिसमें लिखी हुई बातें पूरी करनेको वह बाध्य | वैशेषिक-वि० [सं०] विशेषतायुक्त श्रेष्ठ; विशेष विषयहो तथा जिन्हें पूरा न करनेपर निर्धारित धन दंड-स्वरूप संबंधी; वैशेषिक दर्शन-संबंधी। पु० कणाद-प्रवर्तित एक देनेके लिए वह अपने आपको जिम्मेदार समझे। दर्शन जिसमें तत्वोंका विवेचन किया गया है। इस वैया-पु. एक प्रत्यय = वाला, (कोई काम) करनेवाला । दर्शनका अनुयायी। वैयाकरण-पु० [सं०] व्याकरणका विद्वान् । वैशेष्य-पु० [सं०] विशेषता; प्राधान्य। वैयाघ्र-वि० [सं०] व्याघ्र-संबंधी; व्याघ्र जैसा । वैश्य-पु० [सं०] द्विजातियों में तीसरा और अंतिम वर्ण वयात्य-पु० [सं०] धृष्टता; निर्लज्जता; अविनय, उजमुपन । (जिसका पेशा कृषि, वाणिज्य आदि है)। वि० वैश्य जातिवैरंकर-वि० [सं०] शत्रुता दिखलानेवाला । संबंधी । -कर्म(न)-पु० वैश्यका पेशा-कृषि, वाणिज्य वैर-पु० [सं०] विरोध, शत्रुता, दुश्मनी; घृणा ।-कारक- आदि । -वृत्ति-स्त्री० वैश्यका पेशा । वाला । als For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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