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वेद-वेष्टन वेद-पु० [सं०] ज्ञान; यथार्थ ज्ञान, हिंदुओंके आदि धर्म- छेड़छाड़ । -शाला-स्त्री. वह स्थान जहाँ यंत्रोंकी सहा. ग्रंथ (पहले ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद-ये ही तीन यतासे ग्रहों आदिकी गतिका पर्यवेक्षण किया जाता है । थे, पीछे अथर्ववेद भी मिलाया गया)।-घोष-पु० वेद- वेधक-वि० [सं०] छेद करनेवाला, छेदनेवाला ( रत्नोंपाठकी ध्वनि । -ज्ञ-वि० वेदोंका जानकार । -तत्त्व- आदिको); प्रभावित करनेवाला । पु० वेदोंका रहस्य, मुख्य अभिप्राय । त्रय-पु०,-त्रयी- वेधन-पु० [सं०] छेदनेकी क्रिया (बाणसे) निशाना मारना; स्त्री०ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेदका समाहार ।-ध्वनि- प्रवेश; खनन; गहराई; गड़ाना, आहत करना। स्त्री०,-नाद-पु० दे० 'वेदघोष' । -निंदक-पु. वेदोंमें | वेधनिका-स्त्री० [सं०] (रत्नमें) छेद करनेकी तेज नोकअविश्वास करनेवाला-नास्तिक, बौद्ध, जैन । -निंदा- | वाली बरमी । स्त्री० वेदोंमें अविश्वास ।-पाठ-पु० वेदोंका पाठ करना। वेधनी-स्त्री० [सं०] रत्नमें छेद करने की बरमी; हाथीका -पाठक,-पाठी (ठिन)-पु. वेदका पाठ करनेवाला। अंकुश । -पारग-वि० वेदज्ञ। पु० वेदज्ञ ब्राह्मण ।-माता (त)-| वेधनीय-वि० [सं०] छेदा जाने योग्य, भेदनीय । स्त्री० सरस्वती गायत्री। -वचन-पु. वेदमें आये हुए | वेधालय-पु० [सं०] दे० 'वेधशाला'। वचन या मंत्र । -वाक्य-पु. वेदका बाक्य, पूर्णतः | वेधित-वि० [सं०] छेदा हुआ, विद्ध । प्रामाणिक वाक्य; अखंडनीय बात । -वाद-पु० वेदोंके | वेधी(धिन्)-वि० [सं०] वेध करनेवाला, छेद करनेसंबंध होनेवाली बहस । -वादी (दिन)-वि० वेदज्ञ। वाला; निशाना मारनेवाला। -विक्रयी (यिन)-वि० धन लेकर वेद पढ़ानेवाला। वेध्य-वि० [सं०] वेधन करने योग्य । पु०निशाना, लक्ष्य । -विद-वि० वेदश । पु० विष्णुः वेदश ब्राह्मण ।-विहित- वेपथु-पु० [सं०] कँपकँपी, कंप। वि. वेदानुमोदित । -व्यास-पु० दे० 'कृष्ण-द्वैपायन'। वेपन-पु० [सं०] काँपना, कंपन; वातरोग । वि. कॉपने-सम्मत-वि० वेदानुमोदित। .
वाला; कॅपानेवाला। वेदक-वि० [सं०] जाननेवाला; होशमें लानेवाला। । वेला-स्त्री० [सं०] सीमा, मर्यादा; फासला; समुद्र और वेदन-पु०, वेदना-सी० [सं०] शान; अनुभूति पीड़ा। स्थलकी सीमा तट, कूल; समुद्रतटा समुद्रकी लहर समय वेदांग-पु० [सं०] वेदोंके अंग, वेदोंके अंगस्वरूप कुछ समयका एक मान, घंटा या पहर, अवसर, अवकाश ग्रंथ जो वेदमंत्रोंके उच्चारण, अर्थ समझने आदिमें सहायक तरंग; प्रवाह । -कूल-पु० समुद्रतट; ताम्रलिप्त देश । होते है (इनकी संख्या ६ है-शिक्षा, कल्प, निरुक्त, छंद, -जल,-सलिल-पु० ज्वारका जल (टाइडल वाटर्स) । ज्योतिष और व्याकरण)।
-तट-पु० समुद्रतट । -पत्रक-पु० ( टाइमटेबुल) दे० वेदांत-पु० [सं०] ब्रह्मविद्या (उपनिषद् और आरण्यकके 'समयसारिणी'।
अंतिम भाग जिनमें आत्मा, परमात्मा और जगत्का | वेलातिक्रम-पु० [सं०] विलंब । निरूपण किया गया है); छः दर्शनों में से एक (इसमें ब्रह्म-वेलातिग-वि० [सं०] किनारेके ऊपरसे बहनेवाला । को ही पारमार्थिक सत्ता कहा है और जीव तथा जगत् वेलादि-पु० [सं०] समुद्रतटवती पर्वत । अतिरिक्त पदार्थनहीं माने गये हैं)।-ज्ञ-वि०वेदांत जानने वेल्लि-स्त्री० [सं०] लता । वाला। -वादी(दिन)-वि. वेदांत दर्शन मानने- | वेश-पु० [सं०] प्रवेश; मकान खेमा; वेश्यालय; वेश्याका वाला।
बर्ताव; बाना। -धर,-धारी(रिन् )-वि० दूसरेका वेदांती(तिन्)-वि०,पु०[सं०] वेदांतका पंडित, ब्रह्मवादी। बाना धारण करनेवाला। -भूषा-स्त्री० पहनावा, वेदाध्ययन-पु० [सं०] वेदोंका अध्ययन ।
पोशाक। -युवती,-योषित्,-वधू-वनिता-स्त्री० वेदाध्यापक-पु० [सं०] वेदका अध्यापन करनेवाला, वेश्या ।। आचार्य ।
वेश्म(न)-पु० [सं०] घर, मकान । वेदाध्यायी(यिन)-वि० [सं०] वेदोंका पाठ करनेवाला। वेश्मांत-पु० [सं०] अंतःपुर, जनानखाना । वेदिका-स्त्री० [सं०] वेदी, यज्ञभूमि धामिक कृत्यों के लिए | वेश्या-स्त्री० [सं०] नाच-गान तथा कसबसे जीविका बनाया हुआ छोटा चबूतरा आसन ।
चलानेवाली स्त्री, गणिका । -गमन-पु० कामवासनाकी वेदित-वि० [सं०] निवेदित, सूचित; देखा हुआ। तृप्तिके लिए गणिकाके पास जाना। -गामी (मिन)-पु० वेदितव्य-वि० [सं०] ज्ञातव्य, जानने योग्य ।
रंडीबाज । -गृह-पु. चकला। -घटक-पु० वेश्या वेदी-स्त्री० [सं०] यश इत्यादिके लिए तैयार किया हुआ पहुँचानेवाला दलाल ।-पति-पु० वेश्याका पति, जार। स्थान मंदिर या प्रासादके प्रांगण में बना हुआ चतुष्कोण | -पुत्र-पु० वेश्याका पुत्र, अवैध पुत्र। -वृत्ति-स्त्री. स्थान या मंडप ।
कसब कमाना, धन लेकर पर-पुरुषोंसे संभोग कराना। वेदोक्त-वि० [सं०] वेदोलिखित, वेदानुमोदित । वेश्यालय-पु०[सं०](ब्रोथेल) वेश्या या वेश्याओंके रहनेकी वेद्य-वि० [सं०] जानने, समझने योग्य; कथनीय, कहने | जगह, चकला । योग्य; बतलाने योग्य; स्तुत्य प्राप्त करने योग्य । वेष-पु० [सं०] वेश; नेपथ्य, रंगमंचके पीछे वेश-रचनाका वेध-पु० [सं०] वेधना, छेद करना; घुसाना; आहत स्थान; बदला हुआ भेस ।-धर-वि० दूसरेका भेस धारण करनाछिद्र, बिल; खुदाई; गड्ढेकी गहराई; निशाना करनेवाला ।-धारी (रिन्)-विदे० 'वेशधारी'; ढोंगी। मारना; सूर्य, किसी ग्रहका दूसरे ग्रहके सामने पहुँचना; वेष्टन-पु० [सं०] घेरना, लपेटना; लपेटनेवाली चीज
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