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विमांस-वियोजक
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विमांस-पु० [सं०] (कुत्ते आदिका) अखाद्य मांस। विमूल-वि० [सं०] जड़से उखाड़ा हुआ; मूलहीन; नष्ट । विमाता(त)-स्त्री० [सं०] सौतेली माँ। -ज-पु० | विमूलन-पु० [सं०] मूलोच्छेद करना नाश करना। सौतेला भाई।
विमृश्य-वि० [सं०] जिसपर विवेचन या विचार करना विमान-वि० [सं०] असम्मानित । पु० असम्मान; देव- हो; जिसकी समीक्षा करनी हो। यान, वायुयान, राजप्रासाद; देवमंदिर; सजी हुई अरथी; विमोक्ता(क्त)-वि० [सं०] मुक्त करनेवाला । रामलीला आदिमें काम आनेवाला एक तरहका यान । - विमोक्ष-पु० [सं०] छुटकारा; मुक्ति, निर्वाण; आजाद कर्मी (र्मिन्)-पु० (एअर क्र) विमानमें काम करनेवाला करना; दान; (बाण) चलाना; ग्रहणका अंत । कर्मचारी । -गृहा-घर-पु० ( हैंगर) वायुयान रखनेका विमोक्षण-पु० [सं०] विमोचन, बंधनमुक्त करना; परिघर । -चारी(रिन्)-वि० विमानसे यात्रा करने त्यजन; (बाण आदिका) चलाना। वाला। -चालक-पु. वायुयान चलानेवाला (पाय- | विमोघ-वि० [सं०] व्यर्थ, बेकार, निष्फल; अमोध । लट। -चालन-पु० (ऐवियेशन) हवाई जहाज विमोचक-वि० [सं०] मुक्त करनेवाला; गिरानेवाला; चलानेकी विद्या या क्रिया, उड्डयन । -चालनविज्ञान- | छोड़नेवाला। पु० (एरोनॉटिक्स) विमान चलाने आदिकी विद्या । | विमोचन-पु० [सं०] दूर करना; मुक्त करना; सबूतके -वाहक पोत-पु० (एअरक्राफ्ट कैरियर) विमानोंको अभावमें अभियोगसे बरी होना; (रि. पशन) मूल्य चुकाढोकर ले जानेवाला जहाज | -वेधी तोप-स्त्री० [हिं०] कर वापस लेना या बंधनादिसे छुड़ाना; बंधन या कैदसे (एंटी एअरक्राफ्ट गन) विमानोंपर गोले बरसाकर उन्हें छूटना: जुएसे हटाना; निकालना फेंकना गिराना; शिव । नष्ट कर डालनेवाली तोप । -सेनाधिकारी(रिन)- विमोचना*-स० क्रि० बंधन-मुक्त करना छोड़ना गिराना। पु० (विंग कमांडर) विमान-सेनाकी टुकड़ीका नायक। विमोचनीय-वि० [सं०] छोड़ने योग्य । विमानना-स्त्री० [सं०] अनादर, तिरस्कार ।
विमोचित-वि० [सं०] खोला हुआ, मुक्त किया हुआ। विमानास्थान-पु० [सं०] ( एअरबेस) हवाई जहाजोंके विमोह-पु० [सं०] मतिभ्रंश; भ्रम; अशान; आसक्ति । ठहरने, रखे जाने आदिका स्थान या केंद्र।
विमोहक-वि० [सं०] भ्रममें डालनेवालाक्षुब्ध करनेवाला। विमानित-वि० [सं०] अनाहत, तिरस्कृत ।
विमोहन-पु० [सं०] भ्रम; बुद्धिभ्रंश; उच्चाटन; लुभाना । विमानीकृत-वि० [सं०] निराहत; विमान बनाया हुआ। | -शील-वि० भ्रममें डालनेवाला; मुग्ध करनेवाला । विमार्ग-पु० [सं०] कुमार्ग; झाड़ना । -गामी(मिन्)- विमोहना*-अ० कि० मुग्ध होना; धोखा खाना। स०
वि० बुरे रास्तेपर जानेवाला । -गा-स्त्री० पुंश्चली। क्रि० मुग्ध करना, लुभाना प्रभावित कर वशीभूत करना; विमार्जन-पु० [सं०] धोना, साफ करना; पवित्र करना। भ्रांत करना। विमुक्त-वि० [सं०] मुक्त किया हुआ, छोड़ा हुआ; स्वतंत्र विमोहित-वि० [सं०J लुब्ध, मुग्ध; बसुध, मृच्छाग्रस्त । परित्यक्त; फेंका, चलाया हुआ; वंचित धीर, शांत,...से | विमोही(हिन्)-वि० [सं०] मुग्ध करनेवाला; भ्रममें सवित; बचा हुआ; बरी किया हुआ। -कंठ-वि० जोरसे | डालनेवाला; अचेत करनेवाला । चिल्लाने या रोनेवाला। -शाप-वि०जिसे शापसे छट- | विमोट-पु० बमीठा, बाँबी। कारा मिल गया हो।
वियंग*-पु० दो अंगोंवाले, महादेव । विमुक्ति-स्त्री० [सं०] रिहाई, छुटकारा पार्थक्य; मोक्ष विय-वि० दो दूसरा।
अभियोगसे बरी होना। -पथ-पु० मोक्षका मार्ग। वियत्-पु० [सं०] आकाश, वायुमंडल । वि० गतिशील । विमुख-वि० [सं०] बहिर्मुखः विरत प्रतिकूल; वंचित | -पताका-स्त्री० बिजली ।
हताश परहेजगार; उदासीन; मुखहीन छिद्ररहित । | वियदंगा-स्त्री० [सं०] आकाशगंगा। विमुग्ध-वि० [सं०] हतबुद्धि, घबड़ाया हुआ; भ्रममें पड़ा वियन्मणि-पु० [सं०] सूर्य । हुआ; भीत; मोहित; मत्त । -कारी(रिन्)-वि०वियुक्त-वि० [सं०] अलग किया हुआ, परित्यक्ता रहित, मोहनेवाला; भ्रममें डालनेवाला ।
वंचित; जिसका किसीसे पार्थक्य हुआ हो, जुदा। विमुग्धक-पु० [सं०] मोहनेवाला; अभिनयका एक भेद। वियो*-वि० दूसरा ।। विमुद-वि० [सं०] निरानंद, खिन्न ।
वियोग-पु० [सं०] विच्छेदः पार्थक्य; विरह अभाव; छुटविमुद्रीकरण-पु०[सं०] (डीमॉनेटाइजेशन) किसी सिका, कारा; व्यवकलन, घटाव । -शृंगार-पु० श्रृंगाररसका नोट आदिका मुद्राके रूपमें चलन बंद कर देना, उसका वह विभाग जिसमें प्रेमियोंके विरहका वर्णन होता है। विधि-ग्राह्य न रह जाना, (किसी धातु आदिका मुद्राके वियोगांत-वि० [सं०] जिसके कथानकका अंत वियोगमें रूपमें) व्यर्थीकरण ।
हो, दुःखांत (नाटकादि)। विमूढ-वि० [सं०] घबड़ाया हुआ; मूर्ख बेसुध; मोहित वियोगावसान-वि० [सं०] जिसका वियोगमै अंत हो। चतुर । -गर्भ-पु० वह गर्भ जिसमें बच्चा मर गया हो वियोगिन-स्त्री० दे० 'वियोगिनी'।
और प्रसवमें कष्ट हो। -चेता(तस),-धी-वि०वियोगिनी-स्त्री० [सं०] प्रेमीसे बिछुड़ी हुई स्त्री, विरहिणी। मूर्ख, नासमझ । -भाव-पु० बेसुध होनेकी अवस्था । वियोगी(गिन्)-वि० [सं०] प्रियासे बिछुड़ा हुआ,विरही। विमूढक-पु० [सं०] एक तरहका प्रहसन (ना.)। पु० विरही पुरुष; चक्रवाक । विमर्छ-वि० [सं०] जिसकी मूर्छा दूर हो गयी हो। वियोजक-पु० [सं०] पृथक् करनेवाला; घटायी जानेवाली
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