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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधिक -पु० सं०] माया, जहाजमा या विनियमन-विपरिधान ७३८ वेगका नियंत्रण करनेवाला आला । होना, दिखलाया जाय । विनियमन-पु० [सं०] (रेगुलेशन, रेगुलेटिंग) नियमादि विनोद-पु० [सं०] मनोरंजन मनोरंजक बात; परिहास; बनाकर नियंत्रित करना, गति, वेग, विस्तार आदि अधिक क्रीडा प्रसन्नता, प्रमोद ।। न बढ़ने देना, आवश्यकतानुसार घटाना-बढ़ाना या विनोदन-पु० [सं०] क्रीडा करना; मन बहलाना। ठीक करना। | विनोदी(दिन)-वि० [सं०] क्रीड़ाशील; मौजी। विनियम्य-वि० [सं०] रोक-थाम करने योग्य; संयत, विन्यस्त-वि० [सं०] रखा हुआ; जमाया, जड़ा हुआ; नियंत्रित करने योग्य । डाला हुआ; प्रवृत्त किया हुआ; व्यवस्थित अर्पित; जमा विनियुक्त-वि० [सं०] काममें लगाया हुआ, नियोजित किया हुआ। अर्पित; आदिष्ट प्रेरित कार्यसे मुक्त किया हुआ। विन्यास-पु० [सं०] रखना, स्थापन करना; जड़ना; विनियोक्ता (क्त)-वि०,पु० [सं०] नियुक्त करनेवाला। धारण करना; सुपुर्द करना; व्यवस्थित करना; [एरेंजमेंट) विनियोग-पु० [सं०] विभाग, बँटवारा नियुक्ति, कार्य- | सिलसिलेसे रखने, क्रम ठीक करने आदिका काम; अंगोंकी भार प्रयोग संबंध; ( ऐप्रोप्रियेशन) (कोई वस्तु या धन)। स्थिति; फैलाना; प्रदर्शन; आधार संग्रह, समूह । अधिकार में ले लेना या अपने प्रयोगमें ले आना, उपयो- | विपंच-पु. ( अंपायर ) पंचोंके बीच मतभेद होनेपर जन ।-विधेयक-पु० (ऐप्रोप्रियेशन बिल) वह विधेयक अभिनिर्णयके लिए आमंत्रित अन्य व्यक्ति । जिसमें इस बातका भी ब्यौरा दिया रहता है कि राजस्वका विपंचिका, विपंची-स्त्री० [सं०] एक तरहकी वीणा कितना अंश किस मदमें खर्च किया जायगा । क्रीड़ा, केलि । विनियोजित-वि० [सं०] नियुक्त, लगाया हुआ; अर्पित विपक्ष-पु० [सं०] विरोधी पक्ष; शत्रु, विरोधी प्रतिवादी प्रेरित। किसी बातके विरोधमें कुछ कहना किसी नियमके विरुद्ध विनियोज्य-वि० [सं०] काममें लगाया जानेवाला | व्यवस्था, बाधक नियम, अपवाद (व्या०); वह पक्ष जिसमें प्रयोगमें लाया जानेवाला। साध्यका अभाव हो (न्याय); निष्पक्षता; वह दिन जब विनिर्गत-वि० [सं०] बाहर निकला हुआ मुक्त व्यतीत । पाख बदले । विनिर्दिष्ट-वि० [सं०] विशेष रूपसे निर्दिष्ट । विपक्षी(क्षिन)-पु० [सं०] विरुद्ध पक्षका व्यक्ति; शत्रु । विनिर्देश-पु[सं०] (स्पेसिफिकेशन) निश्चित रूपसे कोई विपज्जनक-वि० [सं०] संकट पैदा करनेवाला। बात कहना या निर्देश करना; इस प्रकार कही हुई बातः | विपणि, विपणी-स्त्री० [सं०] हाटा दुकान; बिक्रीका विशेषताओं-संबंधी विवरण । माल; व्यापार, विक्रो। विनिर्मल-वि० [सं०] अत्यधिक स्वच्छ, जिसमें जरा भी विपणी(णिन्)-पु० [सं०] व्यापारी, दुकानदार । मल न हो। विपत्काल-पु० [सं०] संकटके दिन, दुर्दिन । विनिर्मित-वि० [सं०] ...से बना हुआ रचित मनाया। विपत्ति-स्त्री० [सं०] संकट, आफत; मृत्यु नाश; यातना। हुआ (उत्सव); निर्धारित, निश्चित । -कर-वि० संकट उत्पन्न करनेवाला । -काल-पु० कष्टविनिर्मक्त-वि० [सं०] छोड़ा हुआ; बंधनरहित निकला के दिन । मु०-उठाना,-झेलना-तकलीफ सहना । हुआ। -काटना-दुःखके दिन बिताना। -ढहना-किसीपर विनिवर्तित-वि० [सं०] लौटाया हुआ पलटा हुआ। सहसा भारी दुःख पड़ना । -भोगना-कष्ट सहना । विनिवृत्त-वि० [सं०] लौटा हुआ; इटा हुआ; समाप्त; -मैं डालना-किसीको दुःख देना। -में पड़नामुक्त लुप्त । संकटग्रस्त होना। -मोल लेना-जान-बूझकर संकटमें विनिवृत्ति-स्त्री० [सं०] विराम, अंत; छुटकारा। पड़ना। -सिरपर लेना-व्यर्थ झंझट, दिक्कतमें पड़ना। विनिवेदित-वि० [सं०] घोषित, जनाया हुआ । विपत्र-पु० [सं०] (बिल) किसी महाजन, बैंक, खजाने आदि विनिश्चय-पु० [सं०] (डेसीज़न) कोई काम करने आदिके द्वारा दिया गया वह पत्र जिसमें लिखा हो कि इसमें निर्दिष्ट संबंधमें किसी सभा आदि में विशेष रूपसे कुछ निश्चय रकम अमुक तिथितक चुका दी जायगी, हुंडी; खरीदे किया जाना, किसी प्रश्नका निपटारा । या मँगाये गये मालका मूल्य चुकानेके लिए जारी किया विनिषिद्ध व्यापार-पु० [सं०] (कंट्रावैड ट्रेड ) उन | गया वह लिखित पत्र या साधन जो ऋण चुकानेके लिए वस्तुओंका व्यापार जिनके आयात या निर्यातकी मनाही दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार किया गया हो, विनिमयपत्र । कर दी गयी हो या जिन्हें युद्धग्रस्त देशोंके हाथ बेचना विपथ-पु० [सं०] भिन्न मार्ग; गलत रास्ता । -गा-वि० तटस्थ राष्ट्रोंके लिए अनुचित ठहराया गया हो। स्त्री० कुमार्गपर जानेवाली; स्त्री० नदी।-गामी(मिन)विनीत-वि० [सं०] हटाया हुआ, ले गया हुआ; नम्र, वि० कुमार्गगामी। विनयी; जानकार, ज्ञान रखनेवाला; जितेंद्रिय । -वेष-विपदा-स्त्री० [सं०] विपत्ति, दुःख । पु० सादी पोशाक। विपद-स्त्री० [सं०] आफत, संकट; मृत्युः नाश । विनीतता-स्त्री०, विनीतत्व-पु० [सं०] नम्रता, शिष्टता। -आक्रांत-वि० संकट-ग्रस्त । -ग्रस्त-वि० संकटापन्न । विनु*-अ०बिना। विपन्न-वि० [सं०] मृत; नष्ट; संकटग्रस्त । विनोक्ति-स्त्री० [सं०] एक काव्यालंकार, जहाँ किसी एक | विपरिधान-पु० [सं०] (यूनीफार्म) सेना, पुलिस आदिके वस्तुके बिना अपर वस्तुका शोभित होना, या शोभित न । कर्मचारियों के लिए निर्धारित विशेष पहनावा, जो प्रायः For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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