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विदग्धक-विद्यार्जन
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विदग्धक-पु० [सं०] जलती हुई लाश (बौद्ध)।
होती थी); मसखरा; चार नायकोंमेंसे एक । वि० दूषित विदग्धता-स्त्री० [सं०] विद्वत्ता; कुशलता; रसिकता। | या गंदा करनेवाला; मजाक करनेवाला; परनिंदक । विदग्धा-स्त्री० [सं०] चतुरतासे परपुरुषको अपने में अनु-विदूषण-पु० [सं०] निंदा करगा; दोषारोप करना। रक्त करनेवाली नायिका ।
विदूषना-सक्रि० सताना, कष्ट देना दोषी ठहराना। विदमान-वि० विद्यमान, उपस्थित, मौजूद । अ० मौजू- अ० कि० दुःखी होना। दगीमें, सामने।
विदेश-पु० [सं०] दूसरा देश, परदेश, देशांतर ।-गतविदरना*-अ० क्रि० फटना। स० क्रि० विदीर्ण करना, वि० प्रवसित, परदेश गया हुआ। -गमन-पु० परदेश फाड़ना।
जाना। -ज-वि० दूसरे देशमें उत्पन्न । -वास-पु० विदर्भ-पु० [सं०] आधुनिक बरार; एक राजा; एक ऋषिः दूसरे देशमें रहना। -वासी(सिन्)-वि० परदेशमें मसूढेका एक रोग; दाँत हिलना। -जा-स्त्री० अगस्त्य रहनेवाला । -स्थ-वि० परदेशमें रहने या घटित पत्नी, लोपामुद्रा दमयंती; रुक्मिणी ।-तनया-सुभ्र-| होनेवाला। स्त्री० दमयंती। -राज-पु० विदर्भका राजा, भीष्मक । विदेशी-वि० दे० 'विदेशीय' । पु० परदेशका रहनेवाला। विदलन-पु०[सं०] मलने, दबाने, दलनेकी क्रिया टुकड़े- विदेशीय-वि० [सं०] परदेशी, दूसरे देशका । टुकड़े करना; दमन; फाड़ना; फटना ।
विदेह-वि० [सं०] शरीररहित; अचेत, बेसुध; मृत; विदलना*-स० क्रि० दलित, नष्ट करना ।
बिरागी; दैहिक चिंताओंसे रहित; जिसकी उत्पत्ति माताविदलित-वि० [सं०] दला, रौंदा, मला हुआ; टुकड़े पितासे न हो (देवता आदि)। पु० राजा जनक; निमि; टुकड़े किया हुआ।
मिथिला; मिथिलाके निवासी; शरीररहित व्यक्ति । विदा-स्त्री० [सं०] शान; समझ विद्याः [अ० 'विदा'] | -कुमारी,-जा-स्त्री० सीता ।
बिदाई, रुखसती; दुलहिनकी मैकेसे विदाई । वि० प्रस्थित । | विदेहत्व-पु० [सं०] शरीर न होनेका भाव । विदाई-स्त्री० बिदा होनेकी क्रिया; बिदा होनेकी अनुमति; | विद-वि० [सं०] ज्ञाता, जानकार; पंडित (समासांतमें)। जानेके समय दी जानेवाली रकम ।
| विद्ध-वि० [सं०] छेदा हुआ; आहत विदीर्ण आबद्ध । विदार-पु० [सं०] युद्ध, प्लावन, जलाशयके पानीका विद्यमान-वि० [सं०] उपस्थित, वर्तमान; यथार्थ । ऊपरसे बहना दे० 'विदारण' ।
विद्यमानता-स्त्री० [सं०] उपस्थिति, मौजूदगी। विदारक-वि० [सं०] फाड़ने, विदारण करनेवाला। विद्या-स्त्री० [सं०] ज्ञान-विज्ञान; किसी विषयका विशेष विदारण-पु० [सं०] टुकड़े करना, फाइना रौंदना युद्ध, ज्ञान; गुण जादू-दाता(त)-पु० पढ़ानेवाला शिक्षक । लड़ाई; मुँह खोलना; जंगल आदि काटकर साफ करना; -दान-पु० विद्या पढ़ाना; ग्रंथ, पुस्तक आदि देना। कष्ट देना; वध करना।
-धन-पु० विद्या द्वारा अर्जित धन; विद्यारूपी धन । विदारना*-स० क्रि० फाड़ना।
-धर-वि० विद्यावाला, जादूगर । पु० एक देवयोनि विदारिका-स्त्री० [सं०] एक डाकिनी; कड़वी तूंबी। (गंधर्व, किन्नर आदि)। -धरी-स्त्री० विद्याधर जातिकी विदारित-वि० [सं०] फाड़ा हुआ।
स्त्री। -पति-पु० राजदरबारका सबसे बड़ा विद्वान् एक विदारी-स्त्री० [सं०] शालपर्णी; भूमिकुष्मांड; एक कंठ- प्रसिद्ध मैथिल कवि । -पीठ-पु० शिक्षाकेंद्र; बड़ा विद्या
रोग; बगल या पट्टेकी सूजन; कानका एक रोग । -कंद- लय । -बल-पु० जादूकी शक्ति विद्या, शास्त्रज्ञानका पु० भूमिकुष्मांड ।
बल । -भाक(ज)-वि० विद्वान् ।-मंदिर-पु० विद्याविदारी(रिन)-वि० [सं०] फाड़नेवाला; काटनेवाला।
लय । -मठ-पु० महाविद्यालय; साधुओंका विद्यालय । विदित-वि० [सं०] जाना हुआ, अवगत, शात ।
-लाभ-पु० विद्याकी प्राप्ति। -विक्रय-पु० धन लेकर विदिशा-स्त्री० [सं०] दो दिशाओंके बीचकी दिशा; एक पढ़ाना। -विद-वि० विद्वान् । -विहीन-वि० मूर्ख । प्राचीन नगरी (वर्तमान भेलसा)।
-वृद्ध-वि० विद्या या ज्ञानमें बढ़ा हुआ। -व्रत-पु० विदिसा-स्त्री० दे० 'विदिशा'।
गुरुके पास रहकर विद्योपार्जन करना। -हीन-वि० विदीर्ण-वि० [सं०] फाड़ा हुआ; चीरा हुआ; निहत; अशिक्षित, मूर्ख । मु०-चलना-चतुराई, करतब (बाजीफैला हुआ खुला हुआ। -मुख-वि० जिसका मुख गरोंका), धूर्तताका सफल होना। -झूठी पड़ना-चतुखुला हो। -हृदय-वि० जिसका दिल फट गया हो, राई, करतब (बाजीगरी), धूर्तताका नाकामयाब होना। मर्माहत ।
-फलना-विद्याका फलीभूत, सफल होना । -लगनाविदुर-वि० [सं०] चतुर; जानकारः कुशल । पु० चतुर | दे० 'विद्या चलना'] व्यक्ति पड्यंत्रकारी; धृतराष्ट्र और पांडुके भाई जो व्यास | विद्यागम-पु० [सं०] विद्या, शानकी प्राप्ति । और अंबिकाकी दासीके पुत्र थे।
विद्याधिराज-पु० [सं०] श्रेष्ठ विद्वान, पूर्ण पंडित । विदुष*-पु० पंडित, विद्वान् ।
विद्यानुसेवन-पु० [सं०] विद्याध्ययन । विदुषी-स्त्री० [सं०] पंडिता स्त्री।
विद्याभ्यास-पु० [सं०] विद्याध्ययन । विदर-वि० [सं०] सुदूरवती । पु० दूरस्थ देश, प्रदेश। विद्यारंभ-पु० [सं०] विद्याकी पढ़ाई आरंभ करनेका विदूषक-[सं०] नकल आदि करके हँसानेवाला (पुराने | संस्कार। समयमें राजाओंके मनोरंजनके लिए इनकी नियुक्ति विद्यार्जन-पु०सं०] विद्याकी प्राप्ति; ज्ञान या शिक्षा द्वारा
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