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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वधिक - वर वधिक - पु० दे० 'बधिक ; [सं०] कस्तूरी | वधिर - वि० [सं०] दे० 'बधिर' । | वधु वधुका - पु० [सं०] पुत्रवधू; दुलहिन; युवती । वधू- स्त्री० [सं०] दुलहिन; पत्नी; पतोहू; स्त्री । -गृहप्रवेश - पु० स्त्रीका पतिके घर में प्रवेश करनेकी एक विधि । -धन- पु० स्त्रीका निजी धन । वधूटी - स्त्री० [सं०] नवयुवती; पुत्रवधू । | वधूत* - पु० दे० 'अवधूत' । वधोपाय- पु० [सं०] मारनेका हथियार या उपाय । वध्य - वि० [सं०] हंतव्य, मार डालने योग्य; दंड्य । पु०वह जिसका वध या सजा की जानेवाली हो । - घातक, -घ्नवि०, पु० प्राणदंड पाये हुए व्यक्तिका वध करनेवाला । - भूमि - स्त्री०, - स्थल, -स्थान- पु० दे० 'वधभूमि' । वन- पु० [सं०] (फॉरेस्ट) जंगल; बाग, उपवन; जल; घर । - कदली- स्त्री० जंगली केला । - कुंजर, - गज-पु० जंगली हाथी । - गमन - पु० संन्यास ग्रहण । -चर- पु० वनमें भ्रमण करनेवाला आदमी; जंगली आदमी; पशुः एक जीव; : शरभ । - चारी (रिन्) - पु० वनचर । -ज, - जात-पु० जंगल में रहनेवाला; हाथी; कमल; मोथा; जंगली विजौरा नीबू । - जीवी (विन्) - पु० लकड़हारा ; बहे - लिया । - द - पु० बादल । - देव, देवता- पु० जंगलका अधिष्ठाता देवता । - देवी - स्त्री० जंगलकी अधिष्ठात्री देवी । - नाशन - पु० ( डीफॉरेस्टेशन ) किसी क्षेत्रको जंगल या जंगलोंसे रहित कर देना । - पाल-पु० ( रेंजर) जंगल या वनकी देख-भाल करनेवाला अधिकारी । - प्रस्थ - वि० तपस्वी । - मातंग - पु० वनकुंजर | - मानुष - पु० बंदर और आदमी दोनोंसे मिलता-जुलता एक तरहका जंगली प्राणी । -माला - स्त्री० बनके फूलोंकी माला; घुटनोंतक लंबी ऋतु कृसुमोंकी माला (कृष्णकी) । - माली (लिन् ) - वि० वनमाला पहनने वाला | पु० कृष्ण । -रक्षक, संरक्षक - पु० (कनसवेंटर ऑफ फॉरेस्ट्स) वनोंका संरक्षण करनेवाला, उन्हें हानि या विनाश से बचानेवाला । -राज-पु० सिंह । - राजि, - राजी - स्त्री० वन, जंगल, वृक्षसमूह; जंगलकी पगदंडी | - रुह - पु० कमल । -रोपण - पु० (एफॉरेस्टेशन) किसी भूमिको वन या जंगल के रूपमें परिणत करनेका काम । - लक्ष्मी - स्त्री० वनकी शोभा केला । - वास-पु० वनमें रहना । - वासी (सिन्) - वि० वनमें रहनेवाला । पु० वनमें रहनेवाला व्यक्ति । -विज्ञान- पु० (सिलवी कलचर) वृक्षारोपण आदि संबंधी विज्ञान । - व्रीहि - पु० तिनी । - स्थ- पु० वनवासी व्यक्ति; वानप्रस्थ; मृग । - स्थली - स्त्री० वनकी भूमि, जहाँ वन हो । -हास ० काँस; एक फूल, कुंद । वनस्पति - स्त्री० [सं०] बिना फूलोंके वृक्ष ( गूलर, पीपल, पाकर आदि - मनु० ); पेड़-पौधे; दे० 'वनस्पति घी' ।-धी (तेल) - पु० [हिं०] बिनौले, मूँगफली आदिका जमाया हुआ तेल । - शास्त्र - पु० पेड़, पौधों आदिके विषय में सांगोपांग विवेचन करनेवाला विज्ञान, वनस्पति विज्ञान | वनांत - पु० [सं०] वनकी भूमि; वनका सीमांत भाग । वनांतर - पु० [सं०] अन्य वनः वनका भीतरी भाग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७१८ वनाग्नि - स्त्री० [सं०] वनमें लगनेवाली आग, दावानल | वनिता - स्त्री० [सं०] स्त्री; प्रिया, प्रेयसी । वनी - स्त्री० [सं०] छोटा वन । वनोत्सर्ग-पु० [सं०] मंदिर, कूप आदि बनवाकर सार्वजनिक उपयोगके लिए दान करना । वनौषधि - स्त्री० [सं०] जंगली जड़ी-बूटी | वन्य- वि० [सं०] वनमें पैदा होनेवाला; जंगली । वन्या - स्त्री० [सं०] सघन वन; वनोंका समूह; जल-प्लावन । वपन - पु० [सं०] बीज बोना; केश- मुंडन । वपित - वि० बोया हुआ । वपु - पु० [सं०] शरीर । वधुमान - वि० वपुष्मान्, सुंदर और पुष्ट देवाला । वपुष्मान् ( मत्) - वि० [सं०] शरीरी, मूर्त; सुंदर । वप्ता (तृ) - पु० [सं०] पिता, जनक; बीज बोनेवाला । वप्र- पु० [सं०] भीटा, दूहा, मिट्टीका स्तूप; साँड़ आदिका सींगसे दूह आदिकी मिट्टी कुरेदना । - क्रिया, -क्रीड़ास्त्री० साँड़ आदिका ढूहकी मिट्टी कुरेदना । वफ़ा - पु० [अ०] वचनका पालन; (प्रीति मित्रता आदिका ) निर्वाह; कर्तव्यपालन; कृतज्ञता । -दार - वि० वचनपालक; प्रीति, मित्रता आदिका निर्वाह करनेवाला; स्वामिभक्त, राजभक्त । - दारी - स्त्री० वफादार होना । वनात - स्त्री० [अ०] मृत्यु, मौत । मु० - पाना - मर जाना । वन्द - पु० [सं०] दूतमंडल, प्रतिनिधि-मंडल ( डेपुटेशन) । वबा - स्त्री० [अ०] मरी, महामारी । - ई - वि० महामारीरूप, छुतही (बीमारी) । वबाल - पु० [अ०] कठिनाई; बोझ, भार; बला, अभिशाप । वमन - पु० [सं०] उलटी, कै करना; बाहर निकालना । वमना* - स० क्रि० कै करना । मित- वि० [सं०] वमन किया हुआ; वमन कराया हुआ । वयःपरिणति - स्त्री० [सं०] अवस्थाकी प्रौढ़ता । वयःसंधि - स्त्री० [सं०] बाल्य और तारुण्यके बीचका काल | वयःस्थ - वि० [सं०] जवान; बली; प्रौढ़ । पु० समसामयिक व्यक्ति; समवयस्क मित्र । वय ( स ) - पु० [सं०] उम्र, अवस्था । वयन - पु० [सं०] बुनना, बुननेकी क्रिया । वयस - पु० अवस्था, उम्र; [सं०] पक्षी । वयस्क - वि० [सं०] उम्र, अवस्थाका ( समस्तरूप में प्रयुक्त, जैसे अल्पवयस्क, समवयस्क); सयाना, बालिग । -मताधिकार - पु० ( ऐडल्ट सफरेज ) विधानसभा आदिके प्रतिनिधि चुननेका वह अधिकार जो राज्य के सभी वयस्क नागरिकों को, बिना किसी भेद-भावके, प्राप्त होता है । वयस्य - वि० [सं०] समवयस्क; हमजोली । पु० मित्र, साथी । वयस्या - स्त्री० [सं०] सहेली; अंतरंग सखी । वयोवृद्ध - वि० [सं०] बूढ़ा | वरंच - अ० [सं०] बल्कि, अपितु; लेकिन । वर - पु० [सं०] चुनाव; पसंद; इच्छा; देवता या गुरुजनों से इच्छा पूर्ति के लिए की जानेवाली प्रार्थना या उनकी कृपासे मिलनेवाला फल; दूल्हा; प्रेमिक । वि० श्रेष्ठ । - ज - वि० बड़ा, ज्येष्ठ, अग्रज । - द - दाता (तृ) - वि० वर देनेवाला । - दक्षिणा- स्त्री० कन्यापक्षकी ओरसे For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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