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वज़न-वधालय वज़न-पु० [अ०] तौलनेकी क्रिया; तौल; भार; छंदके -क्रिया-स्त्री० बनियेका पेशा, सौदागरी । -सार्थ-पु० वर्णों या मात्राओंकी माप (उर्दू फारसी); वकअत, महत्त्व | व्यापारियोंका गिरोह, कारवाँ। मान, प्रतिष्ठा । -कश-पु० तौलनेवाला । -दार-वि० वणिग्ग्राम-पु० [सं०] व्यापारियोंका मंडल । बोझवाला, भारी महत्त्वयुक्त, वकअत रखनेवाला। वतन-पु० [अ०] जन्मस्थान; मूल वासस्थान, स्वदेश । वज़नी-वि० वजन रखनेवाला, भारी; महत्त्वयुक्त । -परस्ती-स्त्री० देशभक्ति । वजह-स्त्री० [अ०] कारण, सवबा जरिया।
वतनी-वि० [अ०] अपने देशका, स्वदेशी; स्वदेशवासी। वज़ा (वजन)-पु० [अ०] रखना; तरतीब देना; बनाना; वतीरा-पु० [अ०] तरीका, दस्तूर, चलन, राह । बनावट; ढंग रीति-नीति वेशभूषाका प्रचलित ढंग,फैशन | वत्-अ० [सं०] सादृश्य या समानतासूचक एक शब्द जो प्रसवः मिनहाई ।-दार-वि० सजधजका, शौकीन, तरह- संशा या विशेषणके अंतमें जोड़ा जाता है। दार; सुंदर; फैशनका खयाल रखनेवाला; जो अपनी वत्स-पु० [सं०] बछड़ा, गायका बच्चा:संतान पुत्र (प्रायः वजापर कायम रहे, अपनी रीति-नीतिका त्याग न करे ।। प्यारका सूचन करनेके लिए संबोधन में प्रयुक्त); वर्ष वज़ारत-स्त्री० [अ०] वजीरका काम या पद।।
वत्सासुर; वक्ष, छाती; एक देश। -कामा-स्त्री० बच्चोंको वजाहस-स्त्री० [अ०] सुंदरता भव्यता; बड़प्पन । प्यार करनेवाली; बच्चेकी चाह करनेवाली (स्त्री या गाय)। वज़ाहत-स्त्री० [अ०] खोलकर कहना, विस्तारसे बताना । -दंत-पु० एक तरहका बाण । -नाम-पु० एक विषैला वजीफा-पु० [अ०] नित्यपाठकी प्रार्थना, दैनिक वृत्तिः । पौधा, एक तेज जहर, बछनाग (औषधोपयोगी)। -पाल, मासिक वेतन पेंशन; छात्रवृत्ति।
-पालक-पु० बछड़ोंकी देखभाल करनेवाला कृष्ण, बलवजीर-पु० [अ०] मंत्री। -(२) आज़म-पु. प्रधान राम । -पीता-स्त्री. वह गाय जो बछड़ेको दूध पिला मंत्री।-खारजा-पु० परराष्ट्रमंत्री। जंग-पु० युद्धमंत्री। चुकी हो। -राज-पु० वत्स देशका राजा, उदयन ।
-तालीम-पु० शिक्षामंत्री ।-माल-पु० राजस्वमंत्री। वत्सतरी-स्त्री० [सं०] तीन सालकी बछिया, कलोर । वज़ीरी-पु० सरहदी पठानोंका एक कबीला या जाति । वत्सर-पु० [सं०] वर्ष, साल । स्त्री० दे० 'वजारत'।
वत्सल-वि० [सं०] पुत्र-प्रेमसे युक्त छोटोंके प्रति पुत्रसा घज़-पु० दे० 'वुजू'।
प्रेम करनेवाला। वजूद-पु० [अ०] विद्यमानता, मौजूदगी, जिंदगी। वसिमा(मन)-स्त्री०सं०] बचपन । (बावजूद-इतना होने पर भी)। .
वदंती-स्त्री० [सं०] बात, कथन; कथा । वजूहात, वुजूह-स्त्री० [अ०] 'वजह'का बहु० ।
वदतोव्याघात-पु० [सं०] कथनका दोष, पहले कही हुई। वज्र-वि० [सं०] बहुत कठोर; भीषण; अनौदार, काँटे. बातके विरुद्ध कहना। दार । पु० इंद्रका अस्त्र, कुलिश, अशनि; विजली; कोई वदन-पु० [सं०] चेहरा, मुखड़ा; मुख, शकल; भाषण, घातक अस्त्र; भाला; हीरा आदि छेदनेका औजार। कथन; अग्रभाग; त्रिभुजका शीर्ष। -पवन, मारुत-पु० -घोप-पु० बिजलीकी कड़क जैसी आवाज । -तुंडपु० गणेश; गरुड़ गीध; मच्छर सेहुँ । -पाणि-पु० वदनामय-पु० [सं०] मुखका रोग। इंद्र। -पात-पु. वज्रका या वसा गिरना; भारी वदन्य, वदान्य-बि० [सं०] उदार; अत्यंत दानशील; विपत्ति ।-लेप-पु० एक पलस्तर, दीवार आदि पर लगाने वाग्मी; मधुरभाषी, बातसे संतुष्ट करनेवाला। का एक मसाला । -सार-पु. हीरा। -हृदय-वि० वदाम-पु० [सं०] बादाम नामक फल । बहुत कड़े दिलका।
वदि-अ० [सं०] कृष्ण पक्षमें (महीनेके नामके अंतमें जोड़ा वज्रांग-पु० [सं०] हनूमान् साँप ।
जाता है)। वज्रायुध-पु० [सं०] इंद्र।
वदी-अ० दे० 'यदि'। वज्री (ज्रिन्)-पु० [सं०] इंद्र।
वदुसाना-स० क्रि० भला बुरा कहना, दोषारोप करना। वज्रोली-स्त्री० [सं०] उंगलियोंकी एक विशेष स्थिति । वद्य-वि० [सं०] कहने योग्य, अनिंद्य । पु० बात, कथन; वट-पु० [सं०] बरगदका वृक्ष कौड़ी; गोली; वटिका। कृष्ण पक्षके दिन । -पक्ष-पु० कृष्ण पक्ष । वटक-पु० [सं०] बड़ा, पकौड़ा; वट्टा गोली; आठवध-पु० [सं०] मार डालना, नाश, हनन; मृत्यु या मासेकी तोल ।
शारीरिक दंड; आघात; लकवा; विलोप; गुणनक्रिया वटिका-स्त्री० [सं०] गोली; बरी; शतरंजकी गोटी। मारनेवाला। -कर्माधिकारी(रिन)-पु. जल्लाद । वटी-स्त्री० [सं०] गोली; रस्सी ।
-जीवी(विन्)-पु० वधका काम करके रोजी कमानेवटु-पु० [सं०] ब्रह्मचारी; बालक ।
वाला-कसाई, जल्लाद, व्याधा आदि । -दंड-निग्रह घटुक-पु० [सं०] भैरव-विशेष; बालक; ब्रह्मचारी ।
-पु० फाँसीको सजा। -भूमि-स्त्री०, -स्थान-पु० वट्टक-पु० [सं०] गोलो, वटिका ।
वह स्थान जहाँ प्राणदंड दिया जाय, वधस्थल । वडवा-स्त्री० [सं०] घोड़ी; अश्विनी नक्षत्र; दासी ।-मुख- वधक-वि० [सं०] हत्या करनेवाला; धातक । पु० जल्लाद। पु० वडवानल; शिव । -सुत-पु. अश्विनीकुमार । वधार्ह-वि० [सं०] वधके योग्य । वणिक (ज)-पु० [सं०] व्यापार करनेवाला; बनिया। वधालय-पु० [सं०] (स्लॉटर हाउस) पशुओंके वध -(क)कटक-३० वणिकसार्थ' । -कर्म (न्)-पु०, करनेका स्थान ।
साँस।
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