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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रगड़ना-रजवंती ६७४ रगड़ना-स० क्रि०धिसना, घर्षण करना; पीसना(मसाला, दे० 'रचवाना' । अ० कि० मेहँदी, अलक्तक आदिसे हाथभाँग); कोई काम बार-बार करना कोई काम जल्दी और पैर रँगाना; (मेहंदी) लगाना। परिश्रमपूर्वक करना (यह काम तो दस दिनोंमें रगड़ रचित-वि० [सं०] निर्मित, बनाया हुआ । डालोगे); तंग करना, परेशान करना । अ० कि विकास रचिपचि-अ० परिश्रम करके, गढ़ गढ़कर (सू०)। न करना, जहाँका तहाँ रहना; अत्यधिक परिश्रम करना । | रच्छ-पु० दे० 'रक्ष'। रगड़वाना-स० क्रि० रगड़नेमें प्रवृत्त करना, रगड़नेका रच्छक* -पु० दे० 'रक्षक' । काम दूसरेसे लेना। रच्छन*-पु० दे० 'रक्षण'। रगड़ा-पु० रगड़, घर्षण; अति परिशमा झगड़ा; जल्दी रच्छस*-पु० दे० 'राक्षस' । अंत न होनेवाला झगड़ा। -झगड़ा-पु. लड़ाई-झगड़ा; | रच्छा*-स्त्री० दे० 'रक्षा' । बखेड़ा । मु०-देना-घिसना, रगड़ना । रज*-पु० चाँदी, रजत; धोबी, रजक ।-कण-पु० [हिं०] रगड़ान-स्त्री० रगड़ा, रगड़नेकी क्रिया या भाव । धूलिकण, रजःकण, गर्द । रगड़ी-वि० रगड़ा करनेवाला, झगड़ालू, उलझनेवाला। | रज(स्)-पु० [सं०] स्त्रियोंका मासिक रक्तस्राव, ऋतु, रगद*-पु० रक्त, रुधिर (कबीर) । कुसुम, आर्तव; तीन गुणों मेंसे दूसरा (सांख्य); जल; रगदना-स० क्रि० दे० 'रगेदना'। स्त्री० धूल, गर्द; पराग । रगर*-स्त्री० दे० 'रगड़' । रजक-पु० [सं०] धोची। रगरा-पु० दे० 'रगड़ा'। रजतंत*-स्त्री० वीरता, शूरता । रगवाना*-स० क्रि० चुप कराना; बहलाना (बच्चोंको)। रजत-वि० [सं०] शुभ्र, धवल, उज्ज्वल, चाँदीके रंगका; रगाना-अ० क्रि० चुप शांत होना । सक्रि० चुप कराना। चाँदीका बना हुआ। पु० चाँदी, रूपा सोना; मुक्ताहार; रगी-स्त्री० मैसूर में होनेवाला एक मोटा अन्न । धवल रंग। -जयंती-स्त्री० (सिलवर जबिली) किसी रंगीला-वि० जिद्दी, हठी, पाजी, बदजात । व्यक्ति या संस्था आदिके जीवनकालके २५ वर्ष समाप्त रगेद-स्त्री० दौड़ाने, भगानेकी क्रिया; संभोग-प्रवृत्ति । होनेपर मनाया जानेवाला उत्सव । -पट-पु० (सिलवर रगेदना-स० क्रि० भगाना, खदेड़ना, दौड़ाना । स्क्रीन) वह सफेद परदा जिसपर चलचित्र (सिनेमा)के रघु-पु० [सं०] सूर्यवंशोत्पन्न राजा दिलीप और रानी। चित्र दिखाये जाते हैं। -पर्वत-पु० चाँदीका पहाड़ । सुदक्षिणाके पुत्र, अजके पिता । -कुल-पु० रघुका वंश। -पात्र,-भाजन-पु० चाँदीका बरतन । कुल-गौरव,-कुल-चंद्र-कुल-तिलक, कुल-मणि-पु० | रजतमय-वि० [सं०] चाँदीका बना हुआ। रामचंद्र ।-नंदन-पु० रामचंद्र । -नाथ-पु० रघुओंके | रजताई*-स्त्री० सफेदी। स्वामी, रामचंद्र ।-नायक-पु०रघुकुल में प्रधान, रामचंद्र। | रजताकर-पु० [सं०] चाँदीकी खान । -पति-पु० रघुकुलके स्वामी, रामचंद्र । -राइ,- | रजताचल-पु० [सं०] रजताद्रि, कैलास; चाँदीका पहाड़। राय*-पु. रघुकुलके राजा रामचंद्र । -रैया*-दे० | रजतोपम-पु० [सं०] रूपामाखी । 'रघुराय' । -वंश-पु० रघुका वंश, खानदान; कालि- रजधानी*-स्त्री० दे० 'राजधानी'; राज्य-'हमको लिखदास-निर्मित एक महाकाव्य । -वंश-मणि-रघुवंशके लिख जोग पठाबत आपु करत रजधानी'-सू० । मणि, रामचंद्र । -वशी(शिन्)-पु. वह जो रघुके | रजन-वि० [सं०] रँगनेवाला । पु० रंगनेका काम किरण । वंशमें उत्पन्न हो; क्षत्रियोंकी एक उपजाति (ये रघुके वंशमें स्त्री० [अं० 'रेज़िन'] राल; एक प्रकारका गोंद । उत्पन्न कहे जाते है)।-वर-वीर-श्रेष्ठ-पु०रामचंद्र । रजना*-अ० क्रि० रँगा जाना; रंगमें डुबोया जाना । रघूत्तम-पु० [सं०] रघुश्रेष्ठ, रामचंद्र । स० क्रि० रँगना; रंगमें डुबाना। रचना-स० क्रि० सिरजना, निर्माण करना; निश्चित रजनी-स्त्री० [सं०] रात नीली, नील; जतुका, एक पहाड़ी करना, विधान करना; ग्रंथ आदि लिखना; उत्पन्न करना; लता, हल्दी; दारु हल्दी; शाल्मली द्वीपकी एक नदी ठानना, करना; आयोजन करना; जाल रचना; कल्पना (पु०); लाइ, लाख। -कर-पु. चंद्रमा। -गंधाकरना, काल्पनिक सृष्टि करना; शृंगार करना; क्रमसे स्त्री० हुसना नामक पुष्पवृक्ष । -चर-पु० राक्षस रखना, सजाना रंगना, रंजित करना । अ० क्रि० आसक्त चंद्रमा । वि. जो रातको चलता, घूमता-फिरता हो। या अनुरक्त होना; रँगा जाना, रंग चढ़ना । स्त्री० [सं०] -जल-पु० ओस, कुहरा पाला, नीहार । -पति-पु० निर्माण, बनानेकी क्रिया निर्माणको प्रक्रिया; व्यवस्था, चंद्रमा । -मुख-पु० सायंकाल, प्रदोषकाल । -रमणप्रबंध; तैयारी; उत्पादन; नवसृष्टिः निर्मित वस्तु (घर, पु० रात्रिका स्वामी, चंद्रमा । मूर्ति, ग्रंथ, कविता आदि), सृष्टि विन्यास सँवारना (बाल, | रजनीश-पु० [सं०] चंद्रमा । वेश आदि); उद्यम, उद्योग । रजपूत*-पु० दे० 'राजपूत' । रचयिता(त)-वि० [सं०] निर्माता, प्रणेता, रचनेवाला।। रजपूती*-स्त्री० राजपूतपन, क्षत्रियत्व शूरता, वीरता । पु० ग्रंथकार । रजब-पु० [अ०] मुसलमानोंके सालका सातवाँ चांद्रमास । रचवाना-स० कि० (किसी औरसे) रचना कराना,रचनाके रजबहा-पु० नदी या नहरसे निकाला हुआ बड़ा नल । लिए किसीको प्रेरित करना; मेहँदी आदि लगवाना। रजवंती, रजवती-वि० वह स्त्री जिसे रजस्राव हो रहा रचाना-सक्रि० आयोजन, संभार, समारोह करना; हो, रजस्वला । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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