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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६७३ रक्षणीय-रगड़ रक्षणीय-वि० [सं०] रखने योग्य; रक्षा करने योग्य । रखला-पु० दे० 'रहकला' । रक्षन*-पु० दे० 'रक्षण' । रखवाई-स्त्री० पहरेदारी, चौकीदारी रखवालीकी मजदूरी रक्षना*-स० क्रि० रक्षा करना; सँभालना। रखनेकी क्रिया या ढंग; रखनेकी उजरत; चौकीदारीका रक्षस*-पु० राक्षस, असुर । टैक्स; खेत रखाना। रक्षा-स्त्री० [सं०] ( कष्ट, अनिष्ट, आपत्तिसे) बचानेकी रखवाना-स० क्रि० रखनेका काम दूसरेसे कराना। क्रिया, रखवाली; रखना; सुरक्षा; कपास, रेशमका सूत्र रखवार*-पु० रखवाला; चौकीदार, पहरेदारः रक्षा जो विशेष अवसरपर कलाई पर बाँधा जाता था। -गृह- करनेवाला। पु० चौकी; विश्राम-भवन; सौरी, सूतिकागृह । -दल- रखवारी-स्त्री० दे० 'रखवाली' । पु० ( होमगार्ड ) पुलिसके सहायक रूपमें काम करने-रखवाला-पु० रक्षा करनेवाला, रक्षक; चौकीदार । वाला नागरिकोंका संघटन । -प्रदीप-पु० दीपक जो रखवाली-स्त्री० रक्षाकार्य; हिफाजत, सुरक्षा । भूत-प्रेतसे बचनेके लिए जलाया जाय (तंत्र)।-बंधन-रखाई-स्त्री० रक्षा करनेकी क्रिया; रक्षा करनेका भाव; पु० सलूनो नामका त्योहार जो श्रावणको पूर्णिमाको होता धन जो रक्षा करने के बदले दिया जाय । है (इस अवसरपर बहनें अपने भाइयोंकी और पुरोहित रखान-स्त्री० रखौना, चराईकी भूमि, चर । अपने यजमानोंकी कलाईमें कपास या रेशमका अभि- | रखाना-सक्रि० रखवाना, रक्षा करना, रखवाली करना। मंत्रित रक्षासूत्र बाँधते हैं)। -भूषण-पु. भूषण, जंतर, | रखिया-वि० रखनेवाला, रक्षक । कवच जो भूत-प्रेतादिसे बचने के लिए पहना जाता है। | रखियाना-स० क्रि० राखसे माँजना (बर्तन आदि)। -मणि,-रत्न-पु० मणि, रल जो ग्रहकोपसे बचनेके रखीसर-पु० ऋषीश्वर (कबीर) । विचारसे धारण किया जाय । रखेड़िया-पु० ढोंगी साधु, राख रगड़कर बना हुआ साधु । रक्षाइद*-स्त्री० राक्षसपन । रखेली-स्त्री० रखैल, रखनी, बैठाली, उपपत्नी (जो बिना रक्षित-वि० [सं०] जिसकी रक्षा की गयी हो; रखा हुआ विवाह किये घरमें रखी जाय)। प्रतिपालित; सुरक्षित । रखैया-पु० रक्षा करनेवाला; रखनेवाला । रक्षी (क्षिन् )-पु० [सं०] पहरेदार, चौकीदार; रक्षा रखैल-स्त्री० दे० 'रखेली'। करनेवाला, रक्षक; * राक्षसोपासक । रखौत, रखौना-पु० चर, चरी, चरनेके लिए रखायी रक्ष्य-वि० [सं०] रक्षणीय, रक्षा करने योग्य । हुई, सुरक्षित भूमि । रक्ष्यमाण-वि० [सं०] जिसकी रक्षा हो रही हो रक्षित ! रग-स्त्री० [फा०] नस, नाड़ी; फूल, पत्तेका रेशा आँखका होनेवाला। डोरा; तार, तागा; नस्ल, जात; दूध पिलानेवालीका रख, रखा-स्त्री० चर, पशुओंके चरनेके लिए सुरक्षित प्रभाव; बुरी आदत हठ, जिद । -रगमे -हर रगमें; भूमि, रखौना, रखायी हुई चरभूमि या जंगल । सारे शरीरमें । मु०-उतरना-आँत उतरना; जिद रखना-स० क्रि० धरना; टिकाना; ठहराना; बचाना, दूर होना; क्रोध उतरना ।-का खुल जाना-फरद खुलरक्षा करना (अपनी चीज रखना सीखो); निर्वाह, पालन वानेपर बेहद खून निकलना । -खड़ी होना-नस फूल करना (बात रखना); हिफाजत करना, नष्ट न होने देना जाना। -खुलना-रगसे बहुतसा खून निकलना । (इज्जत रखना); एकत्र करना (जोड़-जोड़कर धन रखना); -चढ़ना-किसी नसका अपनी जगहसे हटना; क्रोध सौंपना, सिपुर्द करना; रेहन, बंधक करना; अपने हाथ- आना; हटके वश होना। -दबना-डरना; दबाव में, अधिकारमें करना; पालन-पोषण, व्यवहारके लिए मानना, किसीके प्रभाव, अधिकारमें होना। -पहिअपने अधिकार में लेना (घोड़ा, गाय, पहलवान रखना); चानना-भेद, रहस्य जानना । -फड़कना-रगका नियुक्त करना, तैनात करना (कामके लिए आदमी हरकत करना; अनिष्टकी शंका होना, माथा ठनकना। रखना); रोक लेना; चोट पहुँचाना (मुक्का, थप्पड़ रखना); -फूलना-खूनके दबावसे रगफा मोटा हो जाना। मुल्तबी करना, दूसरे दिनपर टालना (यह बात कलपर -मिलना-फस्द खोलनेके लिए टटोलने पर रगका पता रखो); उपस्थित न करना, बचना (यह जहमत अलग लगना । -मे दौड़ जाना-असर करना। -रग रखो); आरोप करना; जिम्मे लगाना, थोपना (सब कुछ फड़कना-अधिक उत्साह, आवेशके लक्षण प्रकट होना । मेरे सिर रखो); ऋणी, कर्जदार होना (पैसा न रखना); -रगसे वाकिफ होना-पूरी तरह जानना । (मनमें) अनुमान, धारणा करना (विश्वास रखना); डेरा -(गे)निकल आना-बहुत दुबला होना ।-मरनाकराना, ठहराना ( उन्हें धर्मशालामें रख दिया है); नसोंकी ताकत जाती रहना; नामर्द हो जाना; कमजोर स्त्री-पुरुषसे संबंध करना (औरत, मर्द रखना); संभोग हो जाना। करना (बाजारू); गर्भ धारण कराना (पेट रखना); रगड-स्त्री० घर्षण, घिसनेकी क्रिया या भाव; चिह्न जो (चिड़ियोंका) अंडे देना (बतक सालमें कितने अंडे रखती घर्पणसे हो जाय; कड़ा परिश्रम हठा झगड़ा; द्वेष, हलकी है); बचाना (महीनेमें खा-पीकर क्या रखते हो)। चोट जिसमें चमड़ा छिल जाय। मु०-खाना-धक्के खाना। रखनी-स्त्री० रखेल, रखी हुई स्त्री, उपपत्नी। -देना-पीस डालना; तंग करना। -पड़ना-अधिक रख-रखाव-पु० देखरेख करते हुए बनाये रखने, चालू परिश्रम पड़ना (उसे बहुत रगड़ पड़ी, इसीसे थक गया)। रखनेकी क्रिया; पालन-पोषण । -लगना-छिल जाना, हलकी चोट आना। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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