________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
६६७
याम्या - स्त्री० [सं०] दक्षिण दिशा; भरणी नक्षत्र रात्रि । याम्योत्तर रेखा - स्त्री० [सं०] एक ऐसी कल्पित रेखा जो किसी स्थान से चलकर सुमेरु-कुमेरुके चारों ओर मानी गयी है । भारतके ज्योतिषी उज्जयिनी या लंकासे इसका प्रारंभ मानते थे । आजकल इस रेखाका केंद्र प्रायः ग्रीन विच (इंग०) माना जाता है ।
|
यायावर - पु० [सं०] खानाबदोश, वह जिसका कोई निय मित स्थान न हो; संन्यासी, परिव्राजक; अश्वमेधका घोड़ा । वि० सदा घूमनेवाला ।
(न्) - पु० [सं०] जानेवाला |
यार - पु० [फा०] मित्र; प्रेमी; परस्त्रीसे प्रेम करनेवाला; साथी; सहायक; हिमायती ।
युगावतार - वि० [सं०] युगका अवतारी महान् पुरुष |
याराना - पु० [फा०] मैत्री; अनुचित प्रेम (स्त्री-पुरुषका) । युग्म - ५० [सं०] जोड़ा; अन्योन्याश्रय संबंधयुक्त वस्तुएँ, वि० मित्रकासा, मित्रताका ।
बातें ; मिथुन राशि | वि० दोकी संख्यावाले (व्यक्ति, पदार्थ आदि) । - चारी (रिन् ) - वि० जोड़ेमें चलने, घूमनेवाले । - ज - पु० जुड़वा बच्चे, यमज, यमल । युग्मक - पु० [सं०] जोड़ा, युग्म; ( डबल्स ) टेनिस या asfiers खेल में दो-दो पुरुष खेलाड़ियों या दो-दो स्त्री खेलाड़ियों का जोड़ा ।
यास - पु० [सं०] प्रयास, चेष्टा; लाल जवासा 1 यासु* - सर्व० दे० 'जासु' ।
युक्त वि० [सं०] जुड़ा हुआ, जकड़ा हुआ; उचित, तर्क संगत; संयुक्त सहित नियुक्त; मिलित; निपुण, चतुर । - मना (नस) - वि० दत्तचित्त ।
यारी - स्त्री० [फा०] मैत्री, मित्रभाव ।
याल - स्त्री० [तु०] घोडेकी गर्दनपरके बाल, अयाल । याचक - पु० [सं०] जौ; जौका सत्तू ; जौकी बनी हुई वस्तु लाख; अलक्तक, आलता, महावर; साठी धान । यावज्जीवन - अ० [सं०] जीवनपर्यंत, आजीवन | यावत् वि० [सं०] जितना; सब | अ० जहाँतक; जबतक । युग्मेच्छा - स्त्री० [सं०] संभोगकी इच्छा |
यावनी - वि० यवन-संबंधी; मुसलमानी ।
यावास - पु० [सं०] जवासेकी शराब |
युक्ताक्षर - पु० [सं०] संयुक्त वर्ण, मिलित वर्ण । युक्ताहार - पु० [सं०] उचित आहार | वि० उचित आहार करनेवाला |
युक्ति - स्त्री० [सं०] योग, मिलन; तर्क, ऊहा; दलील, उचित विचार; हेतु, कारण; न्याय, नीति; कौशल, चातुर्य; अनुमान; उपाय, योजना; चाल, रीति; एक अलंकार । - कर, - पूर्ण - वि० तर्कके अनुकूल; विचारपूर्ण । -मूलक- वि० ( रैशनल ) युक्ति या तर्कपर आधारित, तर्कसंगत, बुद्धिसंगत। -युक्त - वि० युक्तिपूर्ण, उचित; चतुर; प्रमाणित सिद्ध । -संगत - वि० युक्ति या तर्कके अनुकूल ।
युक्त्याभास - पु० [सं०] (सोफिस्ट्री ) देखने में बुद्धिमत्तापूर्ण, किंतु वास्तव में तथ्यहीन तर्क ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
या युद्धापराधी
निधि, श्रेष्ठतम पुरुष । -युग- अ० बहुत दिनोंतक । - ल - पु० जोड़ा, युग्म । वि० वह जो दोकी संख्या में हो । युगति* - स्त्री० दे० 'युक्ति' । युगम* - पु० दे० 'युग्म' |
युगलक - पु० [सं०] जोड़ा; पद्योंका वह जोड़ा जिसका एक साथ अन्वय हो ।
युगांत-पु० [सं०] युग समाप्तिः प्रलय । युगांतक - पु० [सं०] प्रलय; प्रलयकाल । युगांतर - पु० [सं०] अन्य युग; दूसरा समय | मु०करना - आमूल परिवर्तन कर देना; समय, प्रथा, बदल देना ।
युगंधर - पु० [सं०] रस, कूबर; गाड़ीका बम । युग-पु० [सं०] युग्म, जोड़ा; बिसातपर चली जानेवाली पासेकी गोल गोटियाँ; पासेके खेलकी वे दो गोटियाँ जो साथ ही एक घर में आ जायें; समय, काल; पुराणमतसे कालका सुदीर्घ परिमाण - सत्य, त्रेता, द्वापर, कलियुग; ( गाड़ीका) जूआ । वि० दोकी संख्यावाला । - चेतना स्त्री० कालविशेषकी विशिष्ट प्रवृत्ति । - धर्म - पु० समया नुकूल आचरण, व्यवहार ।-पत्-अ० एक जूएमें, अगलबगल; साथ-साथ, एक साथ, एक समय । - पुरुष - वि० युगका महान्, श्रेष्ठ पुरुष । - प्रतीक- पु० युगका प्रति
युग्य - ५० [सं०] जोड़ी, वह गाड़ी जिसमें दो घोड़े या बैल "तें; दो पशु जो एक साथ गाड़ी में जुतें; जोड़ी । वि。जोता जाने योग्य; जोता जानेवाला ।-वाह-पु० गाड़ीवान । युत - वि० [सं०] युक्त, मिला हुआ; सहित ।
युद्ध - पु० [सं०] परस्पर अभिघात के लिए शस्त्र प्रहारका कर्म, संग्राम, लड़ाई, रण । -कारी (रिन् ) - पु० योद्धा । वि० युद्ध करनेवाला । -काल- पु० युद्धका समय । - क्षेत्र -५० दे० 'युद्धभूमि' । - परिषद् - स्त्री० ( वारकौंसिल ) युद्धका संचालन करने के लिए ( मंत्रिमंडल के कतिपय सदस्यों से ) निर्मित विशेष समिति । -पोत- पु० लड़ाई में काम आनेवाला जहाज, रणपोत । -बंदी - स्त्री० दे० 'लड़ाईबंदी' । पु० लड़ाईका कैदी । -भू-भूमिस्त्री० रणक्षेत्र, जिस स्थान पर युद्ध हो । - मंत्री (त्रिन्) - ५० युद्धविभागका संचालन करनेवाला मंत्री । - मार्ग-पु० युद्धकी पद्धति । - रंग- पु० युद्धस्थल; षडानन, कार्त्तिकेय । - रत, - लिप्स - वि० (बेलिजरेंट) (वह राष्ट्र या दल) जो नियमित रूपसे किसीके विरुद्ध लड़ाई ठानकर युद्धकार्यों में लगा हुआ हो। -विद्या- स्त्री०, - शास्त्र - पु० युद्धका शास्त्र, विज्ञान । - वीर - पु० युद्ध करनेवाला पराक्रमी व्यक्ति, वीर रसके नायकका एक भेद । - शक्ति - स्त्री० युद्ध करनेकी शक्ति, बल । -शाली ( लिनू ) - वि० युद्धप्रेमी, युद्ध पसंद करनेवाला । -सार- पु० घोड़ा । - स्थगन - पु० (सीज फायर) युद्ध में स्थायी या अस्थायी संधि होनेके पहले लड़ाई बंद कर देनेकी स्थिति । युद्धक - पु० [सं०] योद्धा; युद्ध; युद्धकारी विमान | युद्धमय - वि० [सं०] युद्धप्रिय; युद्ध-संबंधी । युद्धाचार्य - पु० [सं०] युद्ध विद्याकी शिक्षा देनेवाला । युद्धापराधी ( धिन् ) - पु० [सं०] (वारक्रिमिनल ) वह जिसने युद्ध-संबंधी कोई अपराध - शत्रुके हाथ कोई उपयोगी सामग्री, समाचार, भेद आदि बेच देना - किया हो ।
For Private and Personal Use Only